सदी के महानायक और बॉलीवुड के शहंशाह कहे जाने वाले हिंदी सिने जगत के सबसे चमचमाते सितारों में शीर्ष पर शामिल अमिताभ बच्चन का आज जन्मदिन है. मंगलवार को अमिताभ 80 साल के हो गए. बिग बी पिछले 53 सालों से भारतीय सिनेमा में अपना योगदान दे रहे हैं और दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं. पांच दशक के अपने करियर में अमिताभ बच्चन ने एक से बढ़कर एक सफल फिल्में दी हैं. उनके कभी न भूल पाने डायलॉग्स, शानदार कैरेक्टर्स, कमाल के डांसिंग स्टेप्स और अनदेखे लुक्स हर बार दर्शकों का दिल जीत लेते हैं. अमिताभ की आइकोनिक फिल्में देखने के लिए दर्शक आज भी बेताब रहते हैं. आज हम अमिताभ की उन्हीं फिल्मों की बात कर रहे हैं.
जंजीर (1973)
अपने करियर के शुरुआती दिनों में कई सारी फ्लॉप फिल्में देने के बाद जब ऐसा लगने लगा था कि अमिताभ फिल्मी दुनिया में अपनी छाप नहीं छोड़ पाएंगे, तभी साल 1973 में प्रकाश मेहरा के डायरेक्शन में बनी फिल्म जंजीर रिलीज हुई. ये फिल्म अमिताभ के करियर की टर्निंग प्वाइंट बनी. फिल्म ने न ही सिर्फ अमिताभ को सफलता का स्वाद चखाया, बल्कि उनकी एक एंग्री यंग फैन वाली इमेज की नींव रख दी. दिग्गज कलाकार प्राण के साथ बिग बी ने इस फिल्म में अपनी बेहतरीन अदाकारी से हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींचा.
दीवार (1975)
साल 1975 में रिलीज हुई फिल्म दीवार के डायलॉग्स इतने फेमस हुए कि आज भी लोगों को जुबानी याद हैं. ये वो दौर था जब लीड अभिनेता फिल्मों में नेगेटिव कैरेक्टर निभाने से डरते थे, लेकिन फिल्म दीवार में अमिताभ ने एक ग्रे शेड कैरेक्टर किया. इस किरदार को दर्शकों से न सिर्फ प्यार मिला, बल्कि ये अमिताभ के जीवन की सबसे सफल और यादगार फिल्मों में से एक बन गई.
अमर अकबर एंथोनी (1977)
मनमोहन देसाई की सफलतम फिल्मों में से एक 'अमर अकबर एंथोनी' में अमिताभ एंथोनी गोंसाल्वेस के किरदार में नजर आए. फिल्म में उनका एक गाना भी है 'माई नेम इज एंथोनी गोंसाल्वेस' जो बेहद सफल रहा था. इस फिल्म में अमिताभ ने एंथोनी के किरदार में दर्शकों को खूब हंसाया और जमकर तारीफें बटोरीं.
शोले (1975)
1975 में रिलीज हुई फिल्म शोले हिंदी सिनेमा की सबसे सफल और आइकोनिक फिल्मों में से एक है. फिल्म के किरदार जय-वीरू, गब्बर, बसंती और ठाकुर अमर हो गए. फिल्म के गानों से लेकर कलाकारों के अभिनय और कभी न भूल पाने वाले सीन्स दर्शकों के जेहन में आज भी ताजा है. फिल्म में अमिताभ जय के किरदार में नजर आए थे.
अग्निपथ (1990)
विजय दिनानाथ चौहान का नाम भला कौन भूल सकता है. फिल्म में अमिताभ का किरदार और उनके डायलॉग्स बोलने की शैली आज भी याद की जाती है. अग्निपथ के लिए अमिताभ को सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का राष्ट्रीय पुरस्कार भी मिला था.
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