भोपाल का भोज वेटलैंड है प्रवासी पक्षियों और पक्षी प्रेमियों का स्वर्ग

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Anand Patel

भोपाल का भोज वेटलैंड यानि भोज ताल अपने विशेष जलीय इकोसिस्टम के कारण पर्यावरण और पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है. परमार वंश के राजा भोज द्वारा 11वीं सदी में निर्मित यह जलीय संरचना एशिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झीलों में से एक है. यह पर्यावरण और मानवीय दृष्‍टिकोण से अंतरराष्ट्रीय महत्व रखती है. नमभूमि स्थल यानि वेटलैंड, पर्यावरण और जैविविधता के संरक्षण के साथ ही मानव कल्याण से सीधे रूप में जुड़े हुए संरक्षित स्थल है. भोज ताल मध्य प्रदेश का एकमात्र ताल है, जिसे 2002 में रामसर साइट में शामिल किया गया. आज हम इसे भोज वेटलैंड के नाम से जानते हैं. अपने अनूठे इकोसिस्टम के कारण, यह नमभूमि क्षेत्र जैव विविधता के हॉटस्पॉट के रूप में चिन्हित है. यहां हमेशा पक्षियों, जलीय जीवों और वनस्पतियों की प्रचुरता और विविधता देखने को मिलती है.

कौन कौन से पक्षी आते हैं भोज वेटलैंड में

हर साल सर्दियों में विभिन्न देशों से करीब 320 प्रजातियों के रंग-बिरंगे आकर्षक प्रवासी पक्षी यहां डेरा डालते हैं. ये पक्षी नमभूमि के शांत पानी में चहल-कदमी करते दिखाई देते हैं. इससे यह स्थान पक्षी प्रेमियों और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन जाता है. रूस, यूरोप, आयरलैंड, ब्रिटेन और चीन और कई दूसरे देशों से बड़ी तादाद में प्रवासी पक्षी यहां आते हैं.इनमें प्रमुख रूप से साइबेरियन स्टोन चैट,कॉमन चिफचैफ, गल, ब्लैक हेडेड गल, लार्ज कामेरिंट, स्पाट बिल्ड डक, लेसर व्हिसलिंग डक, यूरेशियन राइनेक, ग्रे-लेग्ड गूज, ब्लैक हेडेड आइबिस, ग्लासी आइबिस, यूरेशियन कूट, रेड स्टार्ट, पर्पल हेरान, कामन स्निप जैसे पक्षियों के साथ ही रेड नेप्ड आइबिस,नॉर्दर्न शोवेलर, कॉमन टील, कॉमन पोचार्ड, ब्लैक हेडेड आइबिस, रेड क्रेस्टेड पोचार्ड, ब्लू थ्रोट, लेसर व्हाइट थ्रोट, ग्रीन सैंड पाइपर, पेंटेड स्टार्क, ब्राउन हेडेड, ब्लैक हेडेड बंटिंग जैसी प्रजातियों के पक्षी यहां हर साल देखने को मिलते हैं.

भोपाल के भोज वेटलैंड में हर साल सर्दियों में करीब 320 प्रजातियों के प्रवासी पक्षी आते हैं.
Photo Credit: Arun Tyagi

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भोज वेटलैंड को भारतीय सारस क्रेन के प्रजनन के लिए एक आदर्श स्थल के रूप में चिन्हित किया गया है. यह इसकी समृद्ध जैवविविधता और सफल संरक्षण प्रयासों का जीवंत उदाहरण है. वर्तमान में यहां 150-200 सारस क्रेन के जोड़े चहल-कदमी करते देखे जा सकते हैं. यह इस क्षेत्र की पारिस्थितिकी तंत्र की सेहत और स्थिरता को दर्शाता है. सारस क्रेन के जोड़े नमभूमि स्थल और जलग्रहण क्षेत्र के आसपास बहुतायत में देखे जा सकते हैं.

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क्यों जरूरी है वेटलैंड को बचाना

वेटलैंड जैवविविधता संरक्षण का महत्वपूर्ण हॉटस्पॉट है. पर्यावरण की सुरक्षा में इन नमभूमियों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है. ये विभिन्न प्रकार की वनस्पतियों और जीवों का समर्थन करती हैं, जो बड़ी संख्या में पक्षियों के लिए भोजन और आश्रय के रूप में आदर्श आवास प्रदान करती हैं.

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आज जलवायु परिवर्तन के बढ़ते खतरों के बीच, हमें वेटलैंडों को बचाने की अत्यधिक जरूरत है ताकि वह अपने पारिस्थितिकी तंत्र को सुरक्षित रख सकें और स्थानीय जैवविविधता को संरक्षित करने में मदद कर सकें. हम सभी को समय रहते भोज वेटलैंड जैसे नमभूमि स्थलों के संरक्षण के लिए मिलकर प्रयास करने होंगे. इसके लिए आवास स्थलों के संरक्षण के साथ ही स्थानीय समुदायों को संरक्षण और जीवों के महत्व के प्रति जागरूक कर उन्हें भी इस प्रयास में शामिल करना बहुत जरूरी है. इसके साथ ही पर्यावरण अनुकूल कृषि प्रथाओं को बढ़ावा देकर हम खतरों को कम करने का प्रयास कर सकते हैं. आदर्श स्थल निश्चित तौर पर जलीय इकोसिस्टम को स्थिरता देने में मदद करेगा. जैव विविधता के संरक्षण में भी इनका महत्वपूर्ण योगदान होगा.

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(लेखक पर्यावरण शिक्षा और जैवविविधता संरक्षण के क्षेत्र में काम करते हैं. वे भोपाल की पर्यावरण शिक्षा एवं संरक्षण समिति के संस्थापक और अध्यक्ष हैं.)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं. इनसे एनडीटीवी का सहमत या असहमत होना जरूरी नहीं है.

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