US में 8 लाख लोगों की भाषा, केन्या के रेडियो में बजते हिंदुस्तानी गाने... दुनिया में यूं बड़ी हो रही हिंदी की 'बिंदी'

विज्ञापन
Himanshu Joshi

इन दिनों देशभर के कई शिक्षण और औद्योगिक संस्थानों में हिंदी सप्ताह बड़े जोश के साथ मनाया जा रहा है. हिंदी सप्ताह मनाए जाने का मुख्य उद्देश्य हिंदी भाषा के लिए विकास की भावना को लोगों के मन में केवल 14 सितंबर के दिन हिंदी दिवस तक ही सीमित न कर उसे और अधिक बढ़ाना है. इस हिंदी सप्ताह में हम पूरे विश्वभर में हिंदी के विकास पर नजर डालें, तो हिंदी भाषा का विकास पूरे विश्व में तेजी के साथ हो रहा है. अमेरिका और स्पेन में हिंदी के प्रचार प्रसार से जुड़े लोगों से बातचीत कर हमें पता चला कि इसकी स्थिति पहले से कहीं अधिक मजबूत हुई है. अन्य देशों में हिंदी की मजबूत होती स्थिति के बारे में हमें 'विश्व में हिंदी' जैसी किताब से जानकारी प्राप्त होती है.

अमेरिका में करीब 8 लाख लोग बोलते हैं हिंदी
अमेरिका में रहने वाले अनुराग शर्मा जून 2016 से पिट्सबर्ग से हिंदी और अंग्रेजी में प्रकाशित मासिक 'सेतु' के संपादक हैं. उनकी प्रकाशित किताबों में आधी सदी का किस्सा, अनुरागी मन, छोटी सी बात समेत कई पुस्तकें शामिल हैं. वह अमेरिका के प्रतिष्ठित ड्यूक विश्वविद्यालय की हिंदी कक्षाओं को संबोधित करने के लिए समय-समय पर आमंत्रित किए जाते रहे हैं. हाल ही में उन्हें संस्कृति विभाग, मध्य प्रदेश शासन का 'राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान 2023' प्राप्त हुआ है.

अमेरिका में हिंदी के बारे में बात करते वह कहते हैं कि अमेरिका में हिंदी ग्याहरवीं सबसे मशहूर विदेशी भाषा है. भारतीय भाषाओं में इसे अमेरिका में सबसे ज्यादा लगभग 8 लाख लोगों द्वारा बोला जाता है. हिंदी बोलने वाले भारतीयों में यहां अधिकतर विद्यार्थी, शिक्षक, डॉक्टर और सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. अपने व्यवसायिक जीवन में इनमें से अधिकतर हिंदी का प्रयोग नहीं करते हैं, हिंदी इनके द्वारा अपने निजी जीवन में ही ज्यादा बोली जाती है. 

हिंदी से जुड़ी नौकरियों की बात की जाए, तो अमेरिकी यूनिवर्सिटी में हिंदी शिक्षण तक ही यह सीमित हैं. भारतीय लोग यहां हिंदी, भारत में रहने वाले अपने दादा- दादी, नाना- नानी या भारतीय गर्लफ्रेंड से बात करने के लिए सीखते हैं. अमेरिका में भारतीयों की सरकार और कॉर्पोरेट में महत्वपूर्ण पोजीशन में आने की वजह से हिंदी भविष्य में ज्यादा मजबूत होगी.

Advertisement

कोरोना काल के बाद स्पेन में हिंदी का ज्यादा विकास
उदयपुर में जन्मी और वहीं से प्राणी विज्ञान (जूलॉजी) में मास्टर्स पूजा अनिल पिछले 25 सालों से स्पेन में रहती हैं. स्पेन में हिंदी की स्थिति के बारे में बात करती वह कहती हैं कि हिंदी में मेरी रुचि के चलते भारत से यहां आने पर मैं अपने साथ कुछ हिंदी किताबें ले आई थी, उसके बाद यहां भी मैं हिंदी किताबें खरीदती रही और अब मेरे घर में एक छोटा सा हिंदी पुस्तकालय बन चुका है. मैं कविताएं, कहानी, लघुकथाएं लिखती हूं. साल 2008 में जब ब्लॉगिंग का दौर शुरू हुआ था, तब से मैं हिंदी ब्लॉगिंग में भी सक्रिय रही. 

Advertisement

साल 2007 से मैंने यहां हिंदी पढ़ानी शुरू की. स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, मोरक्को, यूके, यूएस मूल के बच्चों को मैंने यहां हिंदी पढ़ाई है. योग, आध्यात्म, भारत से प्रेम, टूरिज़्म, भ्रमण, व्यापार से जुड़े लोग, यहां हिंदी सीखने में रुचि लेते हैं. 'हिंदी गुरुकुल स्पेन' को मैंने यहां व्यवसाय के तौर पर शुरू किया था. यह पहले ऑफलाइन था, पर कोरोना के बाद से यह स्काइप और जूम पर ऑनलाइन चलता है.

Advertisement
पूजा आगे कहती हैं कि साल 2017-18 तक तो यहां कम भारतीय थे, पर शायद वीज़ा नीतियों में कुछ छूट रही होंगी. उसके बाद यहां बहुत से भारतीय आने लगे. स्पेन में भारतीय लोग बैंकिंग, फाइनेंस, व्यापर, आईटी सेक्टर में हैं. अब हिंदी पढ़ाने वाले कई लोग भी सामने आने लगे हैं. हिंदी का भविष्य यहां उज्ज्वल ही लगता है.

केन्या में 24 घंटे हिंदी संगीत चलाने वाले तीन एफएम रेडियो
पूजा अनिल ने 'विश्व रंग 2023' के अवसर पर 'आईसेक्ट पब्लिकेशन' से प्रकाशित 'विश्व में हिंदी' किताब भी हमसे साझा की. इसमें एशिया महाद्वीप, यूरोप महाद्वीप, ऑस्ट्रेलिया महाद्वीप, उत्तरी अमेरिका महाद्वीप, दक्षिण अमेरिका महाद्वीप, अफ्रीका महाद्वीप में हिंदी की स्थिति को हमारे सामने लाया गया है.

Advertisement

किताब में सारिका फलोर के आलेख 'केन्या में हिंदी का विशेष महत्व' से हमें पता चलता है कि केन्या में लगभग 6 हजार लोग हैं, जो देश की सीमाओं के भीतर हिंदी बोलते हैं. केन्या में तीन एफएम रेडियो हैं, जहां पर चौबीस घंटे हिंदी संगीत का आनंद उठा सकते हैं. आलेख से हमें यह जानकारी भी प्राप्त होती है कि केन्या में एक सीबीएसई विद्यालय है, जहां शुरू से ही बच्चों को हिंदी पढ़ाई जाती है. इसके अलावा कुछ निजी विद्यालयों में हिंदी भाषा को पाठ्यक्रम में शामिल किया जाता है.

(हिमांशु जोशी उत्तराखंड से हैं और प्रतिष्ठित उमेश डोभाल स्मृति पत्रकारिता पुरस्कार प्राप्त हैं. वह कई समाचार पत्र, पत्रिकाओं और वेब पोर्टलों के लिए लिखते रहे हैं.)

डिस्क्लेमर (अस्वीकरण): इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी विचार हैं.

Topics mentioned in this article