विधानसभा चुनाव के नतीजों और उसके बाद मुख्यमंत्रियों के नामों की घोषणा ने कांग्रेस को चारों खाने चित्त कर दिया है. यही नहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जीत की हैटट्रिक ने विपक्षी दलों की जातिगत राजनीति को तार-तार करके रख दिया है. लोगों को जातियों में बांटकर राज करने के कांग्रेसी मंत्र पर PM मोदी के 'महामंत्र' ने ऐसा करारा प्रहार किया कि पूरा विपक्ष लहूलुहान हो गया. तेलंगाना की जीत का मज़ा भी किरकिरा हो गया. उत्तर भारत के दो-दो प्रमुख राज्य हाथ से छिन जाने से कांग्रेस में गहरी मायूसी छा गई है. तीन राज्यों में भारतीय जनता पार्टी (BJP) की जीत इसलिए भी बहुत बड़ी है, क्योंकि ये चुनाव CM फेस पर नहीं, बल्कि PM मोदी की गारंटी पर लड़े गए थे. जनता ने भी 'मोदी की गारंटी, यानि हर गारंटी पूरी होने की गारंटी' के तहत ही BJP को झोली भरकर वोट दिए और तीन राज्यों में बहुमत से डबल इंजन की सरकारें बनाईं.
लेकिन इतनी बड़ी जीत के बाद भी PM मोदी संतुष्ट नहीं हुए. मुख्यमंत्रियों और उपमुख्यमंत्रियों के नाम को लेकर भी BJP के भीतर खूब मंथन चला. इसके बाद तीनों राज्यों में मुख्यमंत्री के रूप में जिन चेहरों का चुनाव किया गया है, उनसे जनता से लेकर BJP कार्यकर्ता तक सभी गदगद हैं. जनता इसलिए खुश है कि मुख्यमंत्री के रूप में एकदम नए चेहरे से न सिर्फ़ राज्य में नई ऊर्जा से विकास की रफ़्तार को पंख लगेंगे, बल्कि उन्हें विश्वास है कि रोज़गार-व्यापार के नए-नए अवसर सृजित होंगे. राजस्थान और छत्तीसगढ़ की बात करें, तो यहां के लोग भ्रष्टाचार और कुशासन से परेशान हो चुके थे. ज़ाहिर है, चुनाव नतीजों के बाद लोगों में उम्मीद जगी है कि PM मोदी की गारंटी से राज्य को भ्रष्टाचार और कुशासन से मुक्ति मिलेगी. इसके साथ नेतृत्व बदलने के इस फ़ैसले से कार्यकर्ताओं में यह विश्वास और पक्का हुआ है कि ईमानदारी, निष्ठा और मेहनत के साथ संगठन का काम करने और समाजसेवा में जुटे रहने से अब कोई भी कार्यकर्ता किसी भी पद पर पहुंच सकता है.
पहला उदाहरण राजस्थान का ही लें. क्या पहले की राजनीति में यह संभव था कि पहली बार पार्टी के टिकट पर चुनाव जीतकर आया कोई विधायक सीधे मुख्यमंत्री की कुर्सी तक जा पहुंचे. राजस्थान के CM के लिए भजनलाल शर्मा को चुनकर PM मोदी ने इस 'करिश्मे' को सच कर दिखाया है. उनके इस फ़ैसले ने साबित किया है कि यदि सच्ची निष्ठा, लगन और समर्पण से संगठन का काम किया जाए, तो कोई भी कार्यकर्ता राज्य के सर्वोच्च पद पर पहुंच सकता है. उज्जैन के डॉ मोहन यादव को देश के हृदयस्थल का मुख्यमंत्री बनाकर भी PM मोदी ने देश का दिल जीत लिया. उन्होंने बताया कि 'मोदी के मन में तो मोहन' हैं.
बड़े-बड़े राजनीतिक विश्लेषकों की सूची में भी छत्तीसगढ़ के CM के लिए विष्णुदेव साय का नाम नहीं था, लेकिन अब वह इस राज्य के मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं. तभी तो कहा जाता है कि जहां दूसरे नेता सोचना बंद कर देते हैं, वहां से PM मोदी नया सोचना शुरू करते हैं. इसलिए उनके राजनीतिक और रणनीतिक चक्रव्यूह को भेद पाना किसी के लिए भी आसान नहीं है. दरअसल, भारतीय जनता पार्टी को अलग 'चाल, चरित्र और चेहरे' के लिए जाना जाता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने BJP के लिए प्रयुक्त होने वाले इस अलंकार को नए सिरे से परिभाषित कर दिया है. वह इसे नेक्स्ट लेवल पर ले गए हैं, जिसमें 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास' का मूलमंत्र समाहित है.
दूसरी ओर, कांग्रेस हो या INDIA गठबंधन के अन्य दल हों, उन्होंने फिर अपनी पुरानी परिपाटी पर चलते हुए देश को जातियों में बांटने की राजनीति करने का कुचक्र चला. बिहार ने जातिगत गणना से इसकी शुरुआत भी कर दी और कांग्रेस के नेता विधानसभा चुनावों में जातिगत गणना कराने के वादे और 'जितनी आबादी, उतना हक' के स्लोगन उछालते नजर आए. ऐसे में PM मोदी के 'ब्रह्मास्त्र' से न सिर्फ पूरे विपक्ष के मुंह पर ताले लग गए, बल्कि बहुसंख्यक जनता के बीच भी यह भावुक मैसेज गया कि प्रधानमंत्री मोदी को गरीबों की कितनी ज़्यादा चिंता है. PM मोदी ने छत्तीसगढ़ की एक जनसभा में कहा कि उनके लिए देश की सबसे बड़ी आबादी गरीब हैं और वह उन्हें उनका पूरा हक हर हाल में दिलाएंगे.
इतना ही नहीं, इस चुनाव में देश को जातियों में बांटने की बहुत कोशिशें हुई हैं. कांग्रेस और विपक्षी दल देश को इस तरह बांटने के प्रयास पहले भी करते रहे हैं, लेकिन चुनावी नतीजों ने साफ़ कर दिया कि जनता अब उनकी 'फूट डालो और राज करो' की नीति को स्पष्ट तौर पर समझ चुकी है. यही वजह है कि लोगों ने तीनों राज्यों में कांग्रेस को बुरी तरह से नकारकर BJP को अपार समर्थन दिया. यही नहीं, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनावों में BJP की जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी दिल्ली में पार्टी हेडक्वार्टर पहुंचे, तो उन्होंने आगे की राजनीति की भी लकीर खींच दी. जातिगत बंटवारे की बात करने वालों को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि उनके लिए देश में चार जातियां ही सबसे बड़ी जातियां हैं. उन्होंने कहा, "हमारी नारी शक्ति, युवा शक्ति, किसान और हमारे गरीब परिवार... इन चार जातियों को सशक्त करने से देश सशक्त होने वाला है... मेरे मन में हमेशा से ही यही भाव है... मैं अपनी माताओं-बहनों और बेटियों के सामने अपने युवा साथियों, किसान भाइयों के सामने, गरीब भाइयों के सामने नतमस्तक हूं..."
मुझे लगता है कि कांग्रेस और INDIA गठबंधन की बाकी पार्टियों को इन नतीजों से सबक लेना चाहिए, अन्यथा अगर उनकी विभाजनकारी नीतियां जारी रहीं, तो अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में BJP सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़ दे, तो आश्चर्य मत कीजिएगा.
लेखक वरिष्ठ पत्रकार और लेखक हैं...
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