This Article is From Feb 16, 2022

दिल्ली के एक स्कूल की हिन्दी टीचर, प्लीज़ ऐसा मत कीजिए, हाथ जोड़ रहा हूं...

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Ravish Kumar

आज एक छात्रा के मैसेज ने सर झुका दिया. दूसरे की करतूत पर इतना शर्मिंदा कभी नहीं हुआ. हम अपने बच्चों से नज़र मिलाने लायक नहीं रहेंगे अगर आप सभी नफरत के इन सौदागरों की पहचान नहीं करेंगे और इससे बीमार लोगों को नहीं टोकेंगे. उसने मैसेज किया है कि क्लास के ग्रुप में उसकी हिन्दी टीचर ने सांप्रदायिक मैसेज शेयर किए हैं. इस क्लास में आधे बच्चे हिन्दू हैं और आधे मुस्लिम. इतने छोटे बच्चों के बीच हिन्दी टीचर सांप्रदायिक मैसेज शेयर करती हैं. छात्रा ने अपने मैसेज में एक बात लिखी है जिसका एक हिस्सा यहां साझा कर रहा हूं.

“मैंने अपनी ओर से अध्ययन किया और पाया कि वीडियो को गलत तरीके से एक मुस्लिम लड़के का बताया जा रहा है, इसलिए वह वास्तव में फर्जी खबरें फैला रही है और छात्रों के बीच सांप्रदायिक कलह पैदा कर रही है. मैं आपके हस्तक्षेप की मांग कर रहा हूं." जिस देश में शिक्षक दिवस मनाया जाता हो उस देश के शिक्षक ये काम कर रहे हैं. हिन्दू मुस्लिम डिबेट का प्रसार कर रहे हैं. छात्रा ने अपने मैसेज में लिखा है कि उसकी हिन्दी टीचर ने आज शाम एक वीडियो शेयर किया है.इस वीडियो में एक लड़का एक लड़की की गर्दन पर चाकू रखे हुए हैं.

इस वीडियो के साथ हिन्दी टीचर ने लिखा है कि लड़का मुस्लिम है और लड़की को मारने का प्रयास कर रहा है क्योंकि वह मुसलमान बनने से इंकार कर रही है. इस मैसेज में अपील की गई है, 'जागो हिन्दू. एक होने का समय है. बच्चों का भविष्य बचाना है. मैंने उस टीचर के व्हाट्सएप का स्क्रीन शॉट देखा है. मैसेज में अपील है कि जागो हिन्दू जागो. एक होने का समय है. गलत आपका नंबर हो सकता है.'

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गुजरात की यह घटना भयानक है लेकिन इसका वीडियो सांप्रदायिक रंग देकर दिल्ली के स्कूल में शेयर हो रहा है. छोटी सी बच्ची रिसर्च कर रही है कि सही है या गलत. उसके मन पर कितना बुरा असर पड़ा होगा. क्या टीचर रिसर्च नहीं कर सकती थी? किसी भी जघन्य अपराध में दो अलग-अलग समाज के लोग हो  सकते हैं. तो क्या उसका इस तरह बच्चों के बीच सांप्रदायिक इस्तमाल होगा. इस मैसेज को जब लिख रहा था तब उसी व्हाट्सएप ग्रुप में दिल्ली के उस स्कूल की प्रिंसिपल की तरफ से मैसेज आया कि गलती हुई है. आगे से नहीं होगी. टीचर ने भी माफी मांगी है. एक मौका दिया जा सकता है कि टीचर से गलती हुई हो.

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टीचर ने बच्चों के बीच माफी मांगी है तो मैं उस पर यकीन करना चाहूंगा. हम सभी से मैसेज फार्वर्ड करते वक्त किसी और के इनबाक्स में चला जाता है. इसलिए माफी तक की बात काफी है. फिर भी चेक किया जाना चाहिए. प्रिंसिपल को अपने बच्चों से बात करनी चाहिए कि क्या कभी भी इस टीचर ने सांप्रदायिक हिंट दिया है या सांप्रदायिक बातें की हैं. कहीं स्कूल के टीचर तो अपने ग्रुप में इस तरह के मैसेज साझा नहीं करते हैं? प्रिंसिपल को अपने टीचरों की मानसिकता का भी रिपोर्ट कार्ड रखना चाहिए.

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मैंने इस पोस्ट में मैम का नाम नहीं लिखा है. उस छात्रा का नाम नहीं लिखा है. उसके पिता का नाम नहीं लिखा है. दिल्ली के उस स्कूल का नाम भी नहीं लिखा है लेकिन छात्रा की एक बात गूंज रही है. उसके मैसेज की आखिरी लाइन “I'm seeking ur intervention.”

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डियर मैम, प्लीज़ ऐसे लोगों से दूर रहें जो आपको नफरती मैसेज भेजा करते हैं. अगर वो आपके पति हैं तो उनसे भी दूर रहिए. जो आदमी दूसरों से नफरत करता है वो आपसे भी प्यार नहीं करता होगा. ये छात्र आपके बच्चे हैं. इन्हें सीने से लगा कर रखें.  चाहें वो हिन्दू हों या मुस्लिम या किसी मज़हब जाति के हों. आठवीं नौवीं के छात्रों की क्या ही उम्र होती. क्या इन्हें देखते ही गले से लगाने का मन नहीं करता होगा आपको. बच्चे जीवन भर अपने टीचर को प्यार करते हैं.

आज उदयपुर से पटना के मेरे स्कूल में कभी पढ़ा चुकीं एक टीचर ने स्कूल के शिक्षकों की पुरानी तस्वीर भेज दी. उस तस्वीर में पाचंवीं की मेरी क्लास टीचर मिस ग्रेसी माइकल की तस्वीर थी. देखते ही मन भीग सा गया. ऐसा रिश्ता होता है टीचर के साथ. जिन्होंने सताया उनकी तस्वीर देखकर भी इमोशनल हो गया. तो प्लीज़ आप इस तरह की हरकतों से दूर रहें.
 

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