बुद्धिबल्लभ की डायरी से: "सैल्यूट-संसद और सलामी-सुशासन"

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Anurag Dwary

बुद्धिबल्लभ जी आज सुबह-सुबह जब उठे तो पाया कि वायु में कुछ विशेष प्रकार की गंध फैली है .न आम की, न गुलाब की, ये तो शुद्ध सलामी की गंध थी. घबराए नहीं, ये वही सलामी है जिसे अब मध्यप्रदेश पुलिस ने अपना कर्म और धर्म दोनों बना लिया है.

अब पुलिस का कर्तव्य दो भागों में बंट गया है
पहला: कानून व्यवस्था बनाए रखना,
दूसरा: माननीयों की गर्दन देखते ही खुद की गर्दन झुका देना.

डीजीपी साहब का नया फरमान आया है —
"जैसे ही कोई माननीय दिखें, सड़क हो या खाट, बंगला हो या रेलवे पटरी बस ठक से सैल्यूट मारो!"
अगर कोई नहीं दिख रहा तो भी मारो!
क्योंकि अब सैल्यूट देना नज़र का नहीं, नजरिया का सवाल है.

बुद्धिबल्लभ जी सोचने लगे
"कहीं ऐसा न हो कि कल से ट्रैफिक पुलिस कांस्टेबल हर स्कूटी वाले को सैल्यूट मारता फिर रहा हो, ये सोचकर कि हेलमेट में विधायक छुपा हो सकता है!"

एक दृश्य कल्पना कीजिए —
भोपाल की एक भीषण जाम में, दो ट्रक आपस में भिड़ गए, लेकिन पुलिस वाला पहले उन ट्रकों में किसी विधायक के होने की संभावना तलाशेगा, फिर कानूनी कार्रवाई करेगा.
अगर कोई टायर पर 'विधायक सेवा समिति' का स्टिकर लगा मिला, तो फिर तो ट्रक को भी 'जय हिंद साहब!' का सलाम ठोकना पड़ेगा!

बुद्धिबल्लभ जी चाय की चुस्की लेते हुए सोचने लगे —
"अब नेताओं को देखते ही पुलिस वाले सिर्फ सलामी ही नहीं, अगर जरूरत पड़ी तो आरती भी उतारेंगे.
कंधे दुखेंगे, पर संविधान हंस रहा होगा.
'वी द पीपल' अब बदलकर 'वी द पीलापन' हो गया है."

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कुछ विधायक हंसते-हंसते बोले —
"हमने तो मांगा ही नहीं था!
पुलिस ने खुद ही ठक-ठक के सैल्यूट ठोकने की आदत डाल ली.
हमें तो बस इतना चाहिए था कि ट्रैफिक चालान से बचा लें."

कुछ विधायक इतने गदगद हैं कि अब बंगलों पर तख्तियों की जगह लिखवा रहे हैं
"यहां पर सैल्यूट अनिवार्य है.
वर्ना आपकी वर्दी की खुदा हाफिज!"

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पुराने जमाने के पुलिस अफसर बोले 
"अब अगर कोई चोर भी नेताजी का झंडा लेकर आए तो भी पुलिस पहले सैल्यूट मारेगी, फिर चोरी की रिपोर्ट लिखेगी वह भी नेताजी के अनुमोदन के बाद.

थानों में नई ट्रेनिंग चालू हो गई है:
- "कैसे गर्दन 45 डिग्री झुकाएं?"
- "सेल्यूट मारते हुए मुस्कुराना कैसे सीखा जाए?"
- "कंधे दर्द के लिए सबसे अच्छा आयुर्वेदिक तेल कौन सा है?"

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बुद्धिबल्लभ जी का अंतिम ज्ञानोदय

बुद्धिबल्लभ जी ने चश्मे को नाक पर और चुटकी को मूंछों पर टिकाते हुए गहरी सांस ली. बोले

"सम्मान अर्जित होता है, फरमान से थोपा नहीं जाता.
अगर हर आदमी को आदेश से महान बनाया जा सकता, तो स्कूलों में सबसे पहले 'सम्मान पाठ्यक्रम' शुरू होता.
फिर बोर्ड परीक्षा में सवाल आता
'सही तरीके से सैल्यूट करने के पांच फायदे बताइए. उदाहरण सहित समझाइए.'
उत्तर के साथ 'हाथ उठाने का कोण' बनाने के लिए अलग से चार नंबर मिलते!"

(बुद्धिबल्लभ जी की इस कल्पना से पास बैठे मास्टर रामबली धर कर हंसने लगे और बोले "बोर्ड में प्रैक्टिकल भी होता एक बार विधायक जी को देख कर, एक बार सांसद जी को देखकर सैल्यूट करना, फिर नंबर मिलते!")

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बुद्धिबल्लभ जी मुस्कुराए और गला खखारते हुए बोले

"संविधान ने तो लिखा था — 'We the People'...
अब लगता है नई प्रस्तावना छपवानी पड़ेगी 'We the Leaders'.
और पुलिस विभाग का नया आदर्श वाक्य होगा —
'सेवक नहीं, सैल्यूटर बनो!'"

इतना कहकर बुद्धिबल्लभ जी ने टोपी उतारी, उसे विधायक जी की काल्पनिक तस्वीर की तरफ सलामी ठोकी और गहरी गंभीरता से बोले

"अब न्याय की देवी की मूर्ति भी बदलनी पड़ेगी.
आंख पर पट्टी बांधने के बजाय... एक हाथ में सैल्यूट और दूसरे हाथ में आदेशों का पुलिंदा होगा.
ताकि अंधे होकर भी पता चले कि सामने जो आया है, वो आम जनता है या माननीय जनता."

और फिर ठहाका लगाते हुए बोले

"अब गली-गली में पुलिसिया सलामी होती रहेगी
कोई विधायक न निकले तो हवा में ही अभ्यास कर लेंगे.
कंधे टूटें तो टूटी हड्डी को भी सैल्यूट करवा देंगे!"

"अब वक्त आ गया है कि सम्मान भी व्यायाम के साथ जोड़ा जाए.
इसलिए मध्यप्रदेश में जल्द ही एक नई क्रांतिकारी योजना शुरू हो रही है
'सेल्यूट स्किल डेवलपमेंट प्रोग्राम'."

इस प्रोग्राम के तहत, हर पुलिसकर्मी को रोजाना तीन बार रस्सी कूदते हुए सैल्यूट करना सिखाया जाएगा.

"पहला सैल्यूट — सुबह सूर्यदेव को.
दूसरा सैल्यूट — किसी भी आते-जाते नेता के काफिले को.
तीसरा सैल्यूट — अपने विभाग के बड़े अफसर के फोटो को, ताकि दूर से भी भक्ति बनी रहे."

उन्होंने आगे रहस्य खोला —

"अब प्रमोशन भी सैल्यूट के कोण पर मिलेगा.
सीधा 90 डिग्री सैल्यूट करने वाले को सुपरफास्ट प्रमोशन!
45 डिग्री वालों को ट्रेनिंग सेंटर भेजा जाएगा दोबारा.
और जिनका हाथ सीधा न हो पाए, उन्हें 'सलामी सुधारक' के पास भेजा जाएगा, जहां रस्सी कूदते-कूदते 'नेता दृष्टि प्रशिक्षण' भी दिया जाएगा — यानी एक किलोमीटर दूर से भी नेता पहचानने का कौशल!"

बुद्धिबल्लभ जी ने गंभीर होते हुए कहा —

"जल्द ही सैल्यूट करने की राष्ट्रीय चैंपियनशिप भी होगी,
जिसका उद्घाटन खुद मंत्रीजी करेंगे, और विजेता को मिलेगा —
'ऑफिशियल नेता प्रिय कर्मचारी' का खिताब!"

फिर मुस्कुराते हुए बोले —

"अब पुलिसिया दस्ते में पीटी परेड के बाद 'सेल्यूट जिमनास्टिक्स' होगी.
भविष्य में हो सकता है कि आईपीएस परीक्षा में नया पेपर जोड़ दिया जाए —
'सैल्यूट विज्ञान एवं व्यवहारिक प्रशिक्षण'.
पढ़ाई में फिजिक्स का नया अध्याय भी आएगा —
'सैल्यूट कोण एवं गुरुत्वाकर्षण बल का परस्पर संबंध.'"

और जाते-जाते बुद्धिबल्लभ जी ने अपनी टोपी हवा में उछालते हुए एक शानदार नारा दिया
"जहां सम्मान कम पड़े, वहां सैल्यूट ठोको! जय सैल्यूट!"

लेखक परिचयः अनुराग द्वारी NDTV इंडिया में स्‍थानीय संपादक (न्यूज़) हैं...

(अस्वीकरण: ये लेखक के निजी विचार है. इससे एनडीटीवी का सहमत या असहमत होना जरूरी नहीं है.)

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