- पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने दो विधायकों पर 2024 लोकसभा चुनाव में साजिश का आरोप लगाया है
- आरके सिंह ने भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए अपनी पार्टी बनाने की भी संभावना जताई है
- सोशल मीडिया पर आरके सिंह के समर्थन में प्रतिक्रियाएं आई हैं, जिनमें उनके ईमानदार नेतृत्व की चर्चा है
हाल ही में आरा के पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. दरअसल उन्होंने एनडीए के खिलाफ बगावती तेवर अपनाते हुए सोशल मीडिया और न्यूज़ चैनलों के माध्यम से खुलकर बयानबाज़ी की है. आरके सिंह ने आरा के भाजपा विधायक अमरेंद्र प्रताप सिंह और बड़हरा के विधायक राघवेंद्र प्रताप सिंह पर 2024 के लोकसभा चुनाव में उनके खिलाफ साजिश रचने और हराने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि इस संबंध में उन्होंने भाजपा आलाकमान को जानकारी भी दे दी है. साथ ही चेतावनी दी कि यदि एनडीए ऐसे उम्मीदवारों को दोबारा टिकट देती है, तो वे उनके खिलाफ खुलकर चुनावी मैदान में उतरेंगे.
भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त रुख
आरके सिंह ने अशोक चौधरी और सम्राट चौधरी पर भी कई सवाल उठाए. उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, "मैं किसी भी कीमत पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं कर सकता. अगर आलाकमान इस पर ध्यान नहीं देता और परिस्थिति बनती है, तो मैं अपनी पार्टी भी बना सकता हूं." सुबह से सोशल मीडिया पर एक पोस्ट ट्रेंड कर रहा है, जिसे राजपूत्स ऑफ बिहार नामक हैंडल से शेयर किया गया है. पोस्ट में दावा किया गया है कि भाजपा आलाकमान आरके सिंह को नजरअंदाज कर रहा है और वे एक-दो दिन में बड़ी घोषणा कर सकते हैं.
समर्थकों का समर्थन
पोस्ट के बाद आरके सिंह के समर्थन में कई प्रतिक्रियाएं सामने आई हैं. उनके समर्थकों ने उन्हें आगे बढ़ने की सलाह दी है और कहा है कि उनके साथ सिर्फ आरा ही नहीं, बल्कि पूरा बिहार खड़ा है. कुछ समर्थकों ने पवन सिंह को टैग करते हुए लिखा कि आरके सिंह और पवन सिंह को किसी की जरूरत नहीं है. जहां एक ओर समर्थकों ने आरके सिंह को ईमानदार नेता बताया, वहीं दूसरी ओर कुछ लोगों ने उनके राजनीतिक कद पर सवाल उठाए. एक शशांक शेखर नामक व्यक्ति ने लिखा, "मोदी के नाम का ही जादू था जो वो सांसद बने थे.
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आरके सिंह ब्यूरोक्रेट थे, कोई राजनेता नहीं. भाजपा से हटते ही उन्हें कोई पूछने वाला नहीं रहेगा." मोहम्मद जाउद्दीन खान ने कहा, "अगर आरके सिंह नेतृत्व करते हैं तो मैं उनके साथ हूं. मैं कंधे से कंधा मिलाकर पूरी ईमानदारी के साथ उनके साथ रहूंगा। आरके सिंह ईमानदारी का जीता-जागता उदाहरण हैं." एक विनय सिंह नामक समर्थक ने लिखा, "सेवानिवृत्ति के बाद राजनीति में आए और यहां भी शानदार पारी खेली. अगर वे सम्मान के साथ अपना संगठन बनाते हैं तो यह बहुत पसंद आएगा."
क्या बनाएंगे अपनी पार्टी?
इन तमाम घटनाक्रमों के बीच यह सवाल उठता है कि क्या पूर्व केंद्रीय मंत्री आरके सिंह अब अपनी पार्टी का गठन करेंगे?अब देखना दिलचस्प होगा कि अगर आरके सिंह अपनी पार्टी बनाते हैं, तो क्या उन्हें सिर्फ राजपूत समुदाय ही नहीं, बल्कि अन्य वर्गों का भी समर्थन मिलेगा? और सोशल मीडिया पर जो समर्थन दिख रहा है, क्या वह धरातल पर भी उतना ही मजबूत साबित होगा?
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