क्या कांग्रेस के लिए बिहार में सेफ्टी वॉल्व की तरह काम करेंगे भूपेश बघेल और अशोक गहलोत?

बिहार में प्रभारी के तौर पर कृष्णा अल्लावरू हैं जो कर्नाटक से आते हैं और राहुल गांधी के सिपाही के तौर पर काम कर रहे हैं.अल्लावरू युवा हैं. ऐसे में पर्यवेक्षकों के तौर पर अनुभवी नेताओं को पार्टी की तरफ से मौका दिया गया है.

विज्ञापन
Read Time: 4 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • कांग्रेस ने बिहार चुनाव लिए भूपेश बघेल, अशोक गहलोत और अधीर रंजन चौधरी को पर्यवेक्षक नियुक्त किया है
  • भूपेश बघेल और अशोक गहलोत की जिम्मेदारी सीटों के बंटवारे और उम्मीदवार चयन में अहम भूमिका निभाना होगी
  • कृष्णा अल्लावरू प्रभारी हैं, चर्चा है कि बघेल और गहलोत लालू यादव से बातचीत कर गठबंधन में संतुलन बनाएंगे
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
नई दिल्ली:

कांग्रेस ने बिहार के लिए तीन पर्यवेक्षकों की नियुक्ति की घोषणा की है इसमें से दो पूर्व मुख्यमंत्री हैं छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत हैं. जबकि बंगाल के कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को ज़िम्मेवारी सौंपी है.बिहार जैसे राज्य में इन नेताओं को ये अहम ज़िम्मेदारी काफ़ी महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं.बघेल और गहलोत दोनों पिछड़ी जाति से आते हैं बघेल कुर्मी हैं तो गहलोत माली समुदाय से हैं.

इन नेताओं के हाथों में कांग्रेस की कमान होने से इन जातियों के वोट बैंक पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा क्योंकि कुर्मी परंपरागत रूप से नीतीश कुमार के वोटर हैं जबकि बिहार में माली जाति की संख्या ज्यादा है नहीं. मगर ये दोनों नेताओं का कद बड़ा है दोनों मुख्यमंत्री रह चुके हैं और 10 जनपथ के करीबी माने जाते हैं.आखिर सबसे बड़ा सवाल ये है कि गहलोत और बघेल बिहार में करेंगे क्या?

युवा और अनुभव के बीच तालमेल बनाना चाहती है कांग्रेस

बिहार में प्रभारी के तौर पर कृष्णा अल्लावरू हैं जो कर्नाटक से आते हैं और राहुल गांधी के सिपाही के तौर पर काम कर रहे हैं.अल्लावरू युवा है और तेजस्वी से बातचीत करने के लिए उपयुक्त व्यक्ति माने जाते हैं मगर कांग्रेस को लालू यादव से बातचीत करने के लिए किसी वरिष्ठ नेता की जरूरत थी जो काम भूपेश बघेल और अशोक गहलोत कर सकते हैं.

इन दोनों नेताओं को अहम ज़िम्मेवारी ये भी होगी की सीटों के बंटवारे और उम्मीदवारों के चयन में अहम भूमिका निभाएं.सीटों और उम्मीदवारों को लेकर हर पार्टी में खींचतान होती है और कांग्रेस में भी होगी.यहां तो कांग्रेस के पास सीटें भी कम होगी.बिहार में राहुल गांधी के वोट अधिकार यात्रा और कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के बाद चुनाव लड़ने वाले नेताओं की पार्टी में भीड़ सी लग गई है,सबको लगता है कि इस बार कांग्रेस से जीतने के चांस हैं.

डैमेज कंट्रोल की जिम्मेदारी होगी अनुभवी हाथों में

जब टिकटों का बंटवारा होगा और उसके बाद जो सिर फुट्टवल होती है उस हालात से निपटने के लिए भूपेश बघेल और अशोक गहलोत को भेजा जा रहा हैं.इन दोनों नेताओं में इतना गुण तो है कि ये सब की बात सुनेंगे,नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए उपलब्ध रहेंगे,लालू यादव से सीटों के बंटवारे पर बातचीत कर सकेंगे. कांग्रेस के नाराज नेताओं को मनाऐंगे.बिहार कांग्रेस में जो अलग अलग धड़े हैं उनको एक करना,जैसे कोई पूर्व प्रदेश अध्यक्ष है या कोई अपने कुछ सर्मथकों के लिए टिकट चाह रहा है तो अपनी बात कहां कहेगा इन्हीं सब चीजों के लिए गहलोत और बघेल की नियुक्ति की गई है.

प्रभारी के तौर पर कृष्णा अल्लावरू और प्रदेश अध्यक्ष के तौर पर राजेश राम ने अच्छा काम किया है,कांग्रेस को खड़ा किया. दोनों कांग्रेस दफ्तर में भी नियमित रूप से बैठते हैं और लोगों से मिलते भी हैं.मगर कई ऐसी चीजें भी हैं जहां आपको वरिष्ठ और अनुभवी नेताओं की जरूरत होगी.महागठबंधन में कौन सी सीट कांग्रेस लड़ेगी ये बहुत अहम है और सब जानते हैं कि सीटों के सौदेबाजी में लालू यादव से पार पाना कठिन काम है.

Advertisement

लालू यादव को साधने की भी होगी जिम्मेदारी

लालू यादव तो सीधे पूछेंगे कि कांग्रेस अपने उम्मीदवारों के नाम बताए,फिर हर सीट पर जाति समीकरण बैठाया जाएगा.यदि कांग्रेस ने किसी सीट पर एक जाति का उम्मीदवार दिया तो बगल की सीट यदि आरजेडी लड़ रही है तो उसे किसी और जाति का उम्मीदवार उतारना होगा.ये सारी पेचीदगियां है जिसका गठबंधन में ख्याल रखा जाता है.

महागठबंधन को मुख्यमंत्री का चेहरा भी घोषित करना होगा और यदि मुख्यमंत्री के चेहरे की घोषणा होती है तो क्या कांग्रेस दबाव बनाएगी कि एक दलित और एक अल्पसंख्यक उप मुख्यमंत्री की भी घोषणा हो.मुकेश सहनी खुद उपमुख्यमंत्री बनने की घोषणा कर चुके है जिससे कांग्रेस काफी असहज महसूस कर रही है.

Advertisement

महागठबंधन में सहयोगी दलों की संख्या भी बढ़ रही है जेएमएम और पशुपति पारस के आने से सीटों की संख्या भी बाकी दलों के लिए कम हो जाएगी .यही वजह है कि कांग्रेस ने अशोक गहलोत,भूपेश बघेल और अधीर रंजन चौधरी को एक विशेष काम पर लगाया है जो बिहार कांग्रेस में सेफ्टी वॉल्व की तरह काम करेंगे जिनका काम होगा सुनना,मनाना और पार्टी के नेताओं और गठबंधन के दलों में सामंजस्य बना कर रखना होग

Featured Video Of The Day
Bihar Elections: अबकी बार तेजस्वी कितने दमदार? | Tejashwi Yadav | Bihar Politics | Bihar Ke Baazigar
Topics mentioned in this article