बिहार में 'SIR' से विपक्षी खेमे को किन सीटों के नुकसान का अंदेशा है?

विपक्षी पार्टियों को डर है कि उन बूथों पर ज्यादा मतदाता के नाम काटे जा सकते हैं, जिन पर उन्हें एनडीए के मुकाबले ज्यादा मत मिले हैं. इससे एनडीए की राह आसान होगी.

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  • बिहार में वोटर लिस्ट के गहन पुनरीक्षण को लेकर विपक्षी दल चुनाव आयोग पर अपने समर्थकों के नाम काटे जाने का आरोप लगा रहे हैं.
  • नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि यदि एक प्रतिशत मतदाताओं का नाम भी हटता है तो चुनाव परिणामों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा.
  • पिछली विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर जीत-हार का अंतर तीन हजार मतों के आसपास था, जिससे पुनरीक्षण से परिणाम प्रभावित हो सकते हैं.
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बिहार में वोटर लिस्ट के गहन पुनरीक्षण पर चल रहा विवाद थम नहीं रहा. विपक्षी दल लगातार इस मुद्दे पर चुनाव आयोग को घेर रहे हैं. विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने कहा कि अगर 1 फीसदी मतदाताओं का भी नाम कटता है तो वह पूरे चुनाव को प्रभावित करेगा. विपक्षी दलों का आरोप है कि इस गहन पुनरीक्षण के बहाने उनके समर्थक मतदाताओं का नाम वोटर लिस्ट से काट दिया जाएगा. आज निर्दलीय सांसद पप्पू यादव ने भी कहा कि अगर पुनरीक्षण इसी तरह जारी रहता है तो विपक्षी दलों को चुनाव लड़ने पर पुनर्विचार करना होगा. जाहिर है विपक्षी पार्टियां मान रही हैं कि इस प्रक्रिया से उन्हें सीटों का नुकसान हो सकता है. 

महागठबंधन की टेंशन की वजह

पिछले विधानसभा चुनाव का परिणाम काफी नजदीकी था. कई सीटों पर जीत हार का मार्जिन काफी कम था. 35 सीटें ऐसी थीं, जहां जीत-हार का अंतर महज 3000 मतों का था. इनमें 17 सीटें महागठबंधन के हिस्से में, 16 एनडीए, 1 लोजपा और 1 निर्दलीय उम्मीदवार के खाते में गईं थीं. तेजस्वी यादव ने अपने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि, "अगर 1 फीसदी वोटर का नाम भी कटता है तो 1 सीट पर औसतन 3 हजार 251 मतदाताओं का नाम कट सकता है. ऐसे में कम मार्जिन वाली सीटों पर परिणाम प्रभावित होंगे. 

महागठबंधन की जीती हुईं सीटें 

  • रामगढ़, कुढ़नी, बखरी, भागलपुर, कल्याणपुर, किशनगंज, सिमरी बख्तियारपुर, राजापाकड़, सिवान, महाराजगंज, दरभंगा ग्रामीण, औरंगाबाद, सिकटा, धोरैया, बाजपट्टी, अलौली, खगड़िया जैसी सीटें 3000 या कम के अंतर से महागठबंधन ने जीती. 
  • वहीं बरबीघा, भोरे, बछवाड़ा, परबत्ता, मुंगेर, परिहार, महिषी, झाझा, रानीगंज, बेलहर, बहादुरपुर, टेकारी, प्राणपुर, हाजीपुर, आरा जैसी सीटें एनडीए के खाते में गईं. वहीं चकाई की सीट निर्दलीय और मटिहानी लोजपा के खाते आई थी. 

सुप्रीम कोर्ट तय करेगा

विपक्षी पार्टियों को डर है कि उन बूथों पर ज्यादा मतदाता के नाम काटे जा सकते हैं, जिन पर उन्हें एनडीए के मुकाबले ज्यादा मत मिले हैं. इससे एनडीए की राह आसान होगी. हालांकि, यह सब फिलहाल कयासबाजी ही है, क्योंकि मामला सुप्रीम कोर्ट में है. कोर्ट के फैसले पर पुनरीक्षण का भविष्य तय होना है और उसके बाद ही साफ होगा कि अंतिम मतदाता सूची से कितने मतदाता बाहर होते हैं.

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