केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा एससी-एसटी के क्रीमी लेयर वर्गीकरण को मंजूरी देने से इनकार के बारे में हम पार्टी के प्रमुख जीतन राम मांझी ने कहा कि क्रीमी लेयर और कोटा के भीतर दो अलग-अलग चीजें हैं. उन्होंने कहा, "मैं भी कैबिनेट में था और हमने इस मुद्दे पर चर्चा भी की है. कोई क्रीमी लेयर नहीं होनी चाहिए. प्रधानमंत्री ने जो निर्देश दिए हैं, वह सही है. अनुसूचित जाति के लोगों में ओबीसी की तरह कोई क्रीमी लेयर नहीं होनी चाहिए. लेकिन समाज में कुछ ऐसे लोग हैं जो 76 साल बाद भी लोगों की दया पर निर्भर हैं. उनके लिए एक व्यवस्था होनी चाहिए. इसीलिए कहा जाता है कि कोटा के भीतर कोटा होना चाहिए क्योंकि सब कुछ जनसंख्या के आधार पर होता है."
उन्होंने कहा, "हम मानते हैं कि बिहार में अनुसूचित जाति में 21 जातियां हैं और उन 21 जातियों में से चार को डी-4 कहा जाता है और आज भी इसे देखा जा सकता है. जज हो, कलेक्टर हो, इंजीनियर हो, चीफ इंजीनियर हो, रेलवे हो या बैंकिंग हो - इन सबमें डी-4 सबसे बेहतर है. सबसे ज्यादा प्रताड़ित दलित जो डोम, मुसहर, भुइंया जाति के हैं, उनको उनकी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण नहीं मिला है. इसलिए हमने कैबिनेट में भी कहा है कि उनके लिए अलग व्यवस्था होनी चाहिए. आजादी के 76 साल बाद भी इस वर्ग से कोई बड़ा अधिकारी नहीं है. क्रीमी लेयर की बात न करें, लेकिन लोगों को उनकी जनसंख्या के आधार पर आरक्षण मिलना चाहिए."
केंद्रीय मंत्री ने यहां मीडिया से बात करते हुए कहा कि जमानत मिलने के बाद भाषण देना ठीक नहीं है. जमानत मिलने का मतलब यह नहीं है कि वह बरी हो गए हैं. इसलिए, जमानत मिलने के बाद भाषण देना या राजनीतिक बातें करना ठीक नहीं है. हमारा मानना है कि मनीष सिसोदिया कानूनी प्रक्रिया के तहत जेल गए थे और कानूनी प्रक्रिया के तहत ही जेल से बाहर आए हैं. अगर कोई और मुद्दा है तो वह फिर से जेल जा सकते हैं. यह न्यायिक मामला है और इस पर ज्यादा कुछ नहीं कहा जा सकता.