- सुपौल जिले की 5 विधानसभा सीटों पर कुल 57 उम्मीदवारों ने नामांकन दाखिल किए, जिनमें से 8 नामांकन रद्द किए गए.
- पिपरा विधानसभा क्षेत्र में सबसे अधिक 22 उम्मीदवारों ने नामांकन किया, जिनमें से 14 ही चुनावी मैदान में रह सके.
- जेडीयू, कांग्रेस, राजद, भाजपा और जनसुराज पार्टी के उम्मीदवारों के बीच प्रमुख मुकाबला देखा जाएगा.
सुपौल की सभी पांच विधानसभा सीटों पर दूसरे चरण में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर नामांकन प्रक्रिया सोमवार को पूरी हो गई. जिसके बाद मंगलवार को नामांकन पत्रों की संवीक्षा की गई. जिले के सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों में कुल 57 अभ्यर्थियों ने नामांकन दाखिल किया था, जिसमें पिपरा में सबसे ज्यादा 22 उम्मीदवार शामिल थे. इसमें से 8 उम्मीदवारों का नामांकन मंगलवार को अलग-अलग वजहों से रद्द कर दिया गया. वहीं अन्य विधानसभा सीटों पर सभी नामांकन स्वीकृत कर लिए गए हैं.
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सुपौल में कहां रद्द हुए सबसे ज्यादा नामांकन?
इस तरह कुल 49 नामांकन पत्र स्वीकृत किए गए हैं, इसमें पिपरा में सबसे ज्यादा 14 और त्रिवेणीगंज (आरक्षित) में सबसे कम 5 उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं. इसके अलावा निर्मली में 8, सुपौल में 9 और छातापुर में 13 उम्मीदवारों ने पर्चा भरा है. पिपरा में जिन उम्मीदवारों का नामांकन रद्द हुआ है, उसमें निर्दलीय शुरवीर कलाधर, कारी प्रसाद यादव, बलराम प्रसाद आजाद, गंगा राम शर्मा और राकेश रोशन समेत प्राउटिस्ट ब्लॉक इंडिया की कविता कुमारी, आम आदमी पार्टी के रविशंकर कुमार और जागरुक जनता पार्टी के भगवान लाल शर्मा शामिल हैं. नामांकन वापसी की आखिरी तारीख 23 अक्टूबर है, जिसके बाद चुनाव चिन्ह बांटे जाएंगे.
इन विधानसभा क्षेत्रों से इन उम्मीदवारों के बीच मुकाबला
सुपौल में जेडीयू के मौजूदा विधायक सह मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव, कांग्रेस के मिन्नतुल्लाह रहमानी और जनसुराज पार्टी के अनिल कुमार सिंह चुनाव मैदान में हैं. वही निर्मली में जेडीयू के मौजूदा विधायक अनिरुद्ध प्रसाद यादव, आरजेडी के पूर्व आईआरएस बैद्यनाथ मेहता और जनसुराज पार्टी से निर्मली प्रखंड प्रमुख रामप्रवेश कुमार यादव के बीच मुकाबला होगा. पिपरा में जेडीयू के मौजूदा विधायक रामविलास कामत, भाकपा माले के अनिल कुमार यादव और जनसुराज पार्टी के जिलाध्यक्ष इंद्रदेव साह के बीच मुकाबला होगा. वहीं त्रिवेणीगंज (आरक्षित) सीट पर जेडीयू की सोनम रानी, राजद के जिलाध्यक्ष संतोष सरदार और जनसुराज पार्टी के प्रदीप राम चुनाव मैदान में हैं. जबकि छातापुर से बीजेपी के मौजूदा विधायक सह मंत्री नीरज कुमार सिंह बबलू, आरजेडी के डॉ बिपिन कुमार सिंह और जनसुराज पार्टी के अभय कुमार सिंह मुन्ना के बीच मुख्य मुकाबला होगा.
क्या खेल बिगाड़ेंगे बागी या वापस लेंगे नामांकन?
संवीक्षा के बाद सामने आई उम्मीदवारों की लिस्ट ने पिपरा विधानसभा के एनडीए और महागठबंधन प्रत्याशियों की चिंता बढ़ा दी है. दरअसल, पिपरा से बिहार सरकार में पूर्व मंत्री रहे स्व विनायक प्रसाद यादव की पौत्रवधू कविता कुमारी और बीजेपी ओबीसी मोर्चा के जिला महामंत्री रहे लक्ष्मीकांत भारती ने निर्दलीय नामांकन दाखिल किया है. लक्ष्मीकांत तुलापट्टी पंचायत से 20 साल तक लगातार मुखिया रहे, हालांकि, बीते पंचायत चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा था.
पिपरा से ताल ठोंक रहीं कविता के बारे में जानें
वहीं कविता के पति विवेक यादव छात्र राजद जिलाध्यक्ष, युवा राजद जिला उपाध्यक्ष और राजद जिला महासचिव रहे हैं. विवेक के पिता प्रो विजय कुमार यादव भी राजद के जिलाध्यक्ष व प्रदेश महासचिव रहे हैं. जबकि दादा स्व विनायक प्रसाद यादव सोशलिस्ट पार्टी और भारतीय लोक दल के प्रदेश अध्यक्ष रहे. 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान जेल गए विनायक ने बाद के दिनों में कई बार विधानसभा का सफर तय किया. इस दौरान उन्होंने मंत्री का जिम्मा भी संभाला. वहीं साल 1977 में सहरसा लोकसभा सीट से भारतीय लोक दल की टिकट पर सांसद भी निर्वाचित हुए. ऐसे में इन दोनों प्रत्याशियों पर एनडीए और महागठबंधन के साथ ही आम लोगों की नजर भी टिकी हुई हैं.
बागी वापस लेंगे नाम या बिगाड़ेंगे खेल?
अब सवाल यह है कि दोनों प्रत्याशी गुरुवार तक नामांकन वापस लेंगे या किसी का खेल बिगाड़ेंगे. हालांकि, इस बीच महागठबंधन के लिए एक राहत की खबर यह है कि आरजेडी के जिला उपाध्यक्ष रहे कारी प्रसाद यादव का नामांकन रद्द हो गया है. कारी की बहू अदिति रीस्वाती दीनापट्टी पंचायत की मुखिया हैं. ऐसे में निगाहें उन पर भी हैं कि कारी अपना समर्थन किसे देते हैं.