एक उम्मीदवार ऐसा भी: जब तक पुल नहीं बनेगा, दाढ़ी बढ़ती रहेगी और हम चुनाव लड़ते रहेंगे

बिहार विधानसभा चुनाव में एक ऐसे भी उम्मीदवार ने पर्चा दाखिल किया है, जो अपने क्षेत्र में एक पुल की मांग के लिए 8 साल दाढ़ी नहीं बनवा रहे हैं. उनका कहना है कि जब तक पुल नहीं बनेगा, दाढ़ी नहीं बनवाऊंगा.

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नामांकन पर्चा दाखिल करते संजय संघर्ष सिंह.
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  • शिवहर से निर्दलीय प्रत्याशी संजय संघर्ष सिंह ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपना नामांकन दाखिल किया.
  • संजय संघर्ष सिंह ने आठ वर्षों से अदौरी–खोड़ी पाकर पुल निर्माण की मांग को लेकर दाढ़ी नहीं कटवाई है.
  • उन्होंने कहा कि वे नेता नहीं हैं और सिर्फ पुल निर्माण के लिए लगातार आंदोलनरत हैं, जिसे दाढ़ी प्रतीक मानते हैं.
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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के नामांकन के तीसरे दिन मंगलवार को शिवहर से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में संजय संघर्ष सिंह ने अपना नामांकन दाखिल किया. नामांकन के दौरान सबसे खास बात यह रही कि उम्मीदवार संजय संघर्ष सिंह की “सरकारी दाढ़ी” चर्चा का विषय बनी रही, जिसे उन्होंने अदौरी–खोड़ी पाकर पुल निर्माण की मांग से जोड़ रखा है. नामांकन के बाद संजय संघर्ष सिंह ने कहा कि हम नेता नहीं हैं, न हमें नेता बनने का शौक है. असल में हमें सिस्टम ने नेता बना दिया. हम सिर्फ एक पुल की मांग कर रहे थे, और इसी पुल को मांगते-मांगते 8 साल से मेरी दाढ़ी बढ़ रही है.

पुल की मांग पर 2 दिसंबर 2018 से नहीं बना रहे दाढ़ी

उन्होंने बताया कि 2 दिसंबर 2018 को बिहार भवन, दिल्ली में उन्होंने संकल्प लिया था कि जब तक शिवहर का पुल नहीं बनेगा, तब तक वे दाढ़ी नहीं कटवाएंगे और हर विधानसभा चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरेंगे. संजय संघर्ष सिंह ने आगे कहा,मैं इस बार चुनाव नहीं लड़ने वाला था, लेकिन रात में 12 बजे नींद खुली और लगा कि अगर इस बार चुनाव नहीं लड़ा तो पूरे पांच साल मन कचोटता रहेगा.

संजय संघर्ष सिंह की दाढ़ी अब बन चुकी संघर्ष का प्रतीक

उन्होंने आगे कहा कि सरकारें रेवड़ियां बांट रही हैं, लेकिन पुल के मुद्दे पर किसी ने ध्यान नहीं है. गौरतलब है कि शिवहर जिले की अदौरी–खोड़ी पाकर पुल की मांग कई वर्षों से अधूरी है. स्थानीय लोगों के लिए यह पुल न सिर्फ सुविधा का प्रतीक है, बल्कि इलाके के विकास से भी जुड़ा अहम मुद्दा बन चुका है. संजय संघर्ष सिंह इसी मुद्दे को लेकर लगातार आंदोलनरत हैं और उनकी “दाढ़ी” अब इस संघर्ष की पहचान बन चुकी है.

(शिवहर से मनोज सिंह की रिपोर्ट)

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