बिहार चुनाव में करारी हार से RJD के सामने बड़ा संकट, राज्यसभा से हो सकता है सफाया

बिहार चुनाव में इस बार आरजेडी को जिस तरह की हार मिली उससे न सिर्फ पार्टी मायूस है बल्कि अब उनके सामने एक और नया संकट खड़ा होता दिख रहा है.

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  • बिहार विधानसभा चुनाव में RJD को केवल 25 सीटें मिलीं, जिससे पार्टी को भारी हार का सामना करना पड़ा
  • आरजेडी के वर्तमान 5 राज्यसभा सदस्य हैं जिनका कार्यकाल क्रमशः साल 2026 से 2030 तक समाप्त होगा
  • विधानसभा चुनावों में एनडीए के बढ़ते प्रभाव से आरजेडी की राज्यसभा में मौजूदगी खत्म होने की संभावना बढ़ी
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पटना:

बिहार चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल को बड़ी उम्मीदें थी, लेकिन एनडीए के हाथों मिली करारी हार से उनको सिर्फ निराशा ही हाथ लगी. बिहार चुनाव में इस बार एनडीए की सुनामी में महागठबंधन का तमाम सामाजिक गठजोड़ धरा रह गया और लोगों ने सुशासन बाबू नीतीश कुमार और पीएम मोदी पर ज्यादा भरोसा जताया. बिहार चुनाव में मिली हार से न सिर्फ आरजेडी का हर कार्यकर्ता मायूस है बल्कि पार्टी के सामने नया संकट भी खड़ा हो गया है.

आरजेडी के सामने क्या नया संकट

बिहार विधानसभा चुनाव में करारी हार के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सामने एक और बड़ा संकट दिखाई दे रहा है. वो ये है कि आरजेडी पार्टी की राज्यसभा में मौजूदगी आने वाले वर्षों में खत्म हो सकती है. अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक ऐसा अनुमान जताया जा रहा है कि साल 2030 तक जब राज्य में अगला विधानसभा चुनाव होगा, तब तक आरजेडी का राज्यसभा में एक भी सदस्य नहीं रहेगा.

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अभी कितने सदस्य हैं?

फिलहाल आरजेडी के राज्यसभा में 5 सदस्य हैं. जिनमें पार्टी के नेता प्रे्मचंद गुप्ता, ए.डी. सिंह, फैज अहमद, मनोज कुमार झा और संजय यादव है. लेकिन इनका कार्यकाल क्रमशः 2026, 2028 और 2030 तक खत्म हो जाएगा. इस बार के विधानसभा चुनाव में निराशाजनक प्रदर्शन की वजह से आरजेडी को सिर्फ 25 सीटें मिली हैं. जबकि राज्यसभा चुनाव में जीत के लिए बड़ी संख्या में विधायकों की दरकरार होती है. ऐसे में देखा जाए तो मौजूदा समीकरणों के हिसाब से ये सभी सीटें एनडीए के खाते में जाएंगी.

राज्यसभा में RJD को नुकसान

2026 में होने वाले चुनाव में 5 सीटों पर चुनाव होगा, जिनमें से दो जनता दल यूनाइटेड और एक राष्ट्रीय लोक मोर्चा की सीटें होंगी. वहीं एनडीए की मौजूदा ताकत के चलते ये सभी सीटें उसके पास जाएंगी. फिर साल 2028 में फिर 5 सदस्य रिटायर होंगे, जिसमें से तीन बीजेपी, एक जेडीयू और एक आरजेडी से होंगे. इन पर भी एनडीए का कब्जा तय माना जा रहा है.

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क्या AIMIM का साथ आएगा काम

भले ही AIMIM के पास 5 विधायक हैं, लेकिन राजनीतिक समीकरणों और छोटे दलों की राजनीतिक रणनीति को देखते हुए आरजेडी को समर्थन मिलना बेहद ही मुश्किल लग रहा है. ऐसे में 2030 तक पार्टी का राज्यसभा में पूरी तरह सफाया होना लगभग तय ही माना जा रहा है. आरजेडी के लिए यह स्थिति बेहद चिंता वाली होगी. पिछले तीन दशकों में ऐसा पहली बार होगा जब पार्टी का राज्यसभा में कोई प्रतिनिधित्व नहीं रहेगा. यह न सिर्फ पार्टी की राष्ट्रीय राजनीति में पकड़ कमजोर करेगा, बल्कि संगठनात्मक स्तर पर भी पार्टी को इससे बड़ा नुकसान होगा.

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