- RLM के चार विधायकों में से तीन ने उपेन्द्र कुशवाहा के बेटे को मंत्री बनाए जाने पर नाराजगी जताई है
- उपेन्द्र कुशवाहा ने अपने बेटे दीपक प्रकाश को विधायक न होने के बावजूद बिहार सरकार में मंत्री बनाया है
- नाराज विधायकों का आरोप है कि बेटे को मंत्री बनाने के तर्क से उनकी पार्टी निष्ठा पर सवाल उठाए गए हैं
एक कहावत है - 'सिर मुंडवाते ही ओले पड़े'. ये कहावत बिहार में एनडीए की सहयोगी पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा और उसके मुखिया उपेन्द्र कुशवाहा के लिए बिल्कुल सटीक बैठती दिख रही है. पिछले महीने ही पार्टी के 4 विधायक चुनकर आए थे, लेकिन उनमें से तीन विधायकों ने बगावती तेवर अपना लिए हैं. ये तीनों एमएलए माधव आनंद , रामेश्वर महतो और अनिल कुमार सिंह हैं.
पार्टी के तीनों विधायक इस बात से नाराज हैं कि उपेन्द्र कुशवाहा ने अपने बेटे दीपक प्रकाश को बिहार सरकार में मंत्री बना दिया, जबकि दीपक अभी विधायक भी नहीं हैं. मामला तब और बिगड़ गया जब बेटे को मंत्री बनाए जाने को सही ठहराते हुए उपेन्द्र कुशवाहा ने तर्क ये दिया कि पार्टी को टूटने से बचाने के लिए ही, उन्होंने अपने बेटे को मंत्री बनाने का फ़ैसला किया है.
माधव आनंद ने कहा, "उपेन्द्र कुशवाहा जी हमेशा राजनीति में परिवारवाद के खिलाफ बोलते आए हैं, इसलिए उनके बेटे को मंत्री बनाए जाने के फ़ैसले से पार्टी के कार्यकर्ताओं को भारी निराशा हुई है. हम तीनों भी इसके खिलाफ हैं."
तीनों विधायक इस बात से भी सख़्त नाराज़ हैं कि अपने बेटे को मंत्री बनाने के लिए उपेन्द्र कुशवाहा ने जो तर्क दिए उससे पार्टी के प्रति बाकी विधायकों की निष्ठा पर भी सवाल उठा दिया. माधव आनंद ने एनडीटीवी से कहा, "बेटे को मंत्री बनाने के बाद कुशवाहा जी ने जो बयान दिया उससे हम लोगों की निष्ठा पर भी सवाल उठा, जिससे हमें धक्का लगा है."
दरअसल बवाल तब शुरू हुआ जब उपेन्द्र कुशवाहा ने कुछ दिनों पहले लिट्टी चोखा का भोज दिया. जिसमें उनकी पार्टी के ये तीनों विधायक शामिल नहीं हुए, जबकि उस दिन तीनों पटना में ही थे. इतना ही नहीं, उसी दिन तीनों ने पटना में ही बीजेपी के राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष नितिन नबीन से मुलाक़ात भी की. कुछ दिनों पहले ही जब लोजपा रामविलास के वरिष्ठ नेता एके बाजपेई अपनी पार्टी छोड़ कुशवाहा की पार्टी में शामिल हुए, तब भी उस कार्यक्रम में इन तीनों विधायकों को बुलाया गया था, लेकिन तीनों ही शामिल नहीं हुए थे.













