उड़ान भरने के लिए तैयार पुरैनिया, 'हीरामन की बैलगाड़ी' अब नहीं खाती बेमौके हिचकोले

काला बुखार वाला पुरैनिया अब काफी बदल चुका है. अब पुरैनिया उड़ान भरने के लिए तैयार है. क्योंकि पूर्णिया राष्ट्रीय हवाई मार्ग के मानचित्र पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रहा है.

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करीब 255 साल पुराना जिला पूर्णिया 15 सितंबर से आसमान में ऊंची उड़ान भरेगा.
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  • फणीश्वर नाथ रेणु की कहानी 'मारे गए गुलफाम' में पुरैनिया क्षेत्र की सामाजिक और आर्थिक स्थिति का चित्रण हुआ है.
  • पूर्णिया अब राष्ट्रीय हवाई मार्ग के नक्शे पर है और यह एनएच 107, एनएच 57, एनएच 31 तथा एनएच 131 से घिरा हुआ है.
  • 15 सितंबर को पूर्णिया एयरपोर्ट का उद्घाटन PM नरेंद्र मोदी करेंगे, जो बिहार का चौथा हवाई अड्डा होगा.
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"कच्ची सड़क के एक छोटे से गड्ढे में गाड़ी का दाहिना पहिया बेमौके हिचकोले खा गया. हीरामन की गाड़ी से एक हल्की 'सीस' की आवाज आई. हीरामन ने दाहिने बैल को दुआली से पीटते हुए कहा- 'क्या समझता है बोरे की लदनी है क्या'.

अहा मत मारो!

अनदेखी औरत की आवाज ने हीरामन को अचरज में डाल दिया. बच्चों की बोली जैसी महीन..."

अगर आपकी रूचि हिंदी साहित्य में है... यदि आपने हिंदी की पुरानी कहानियां-किस्सों को पढ़ा है तो आपको ऊपर लिखी ये पंक्तियां कुछ याद दिलाएगी. यदि आप राज कपूर की फिल्मों के दिवाने रहे हैं तो भी ये लाइनें आपकी यादों को ताजा कर देगी.

अब आप सोच रहे होंगे आज हम आपको इसकी याद क्यों दिला रहे हैं? दरअसल ये पंक्तियां हिंदी के नामचीन लेखक फणीश्वर नाथ रेणु की लिखी मशहूर कहानी 'मारे गए गुलफाम' की है.

कालजयी आंचलिक कथाकार फणीश्वर नाथ रेणु ने तब के पुरैनिया और अब के पूर्णिया के आंचलिक जीवन को जब 'मैला आँचल' और अन्य कहानियों में शब्दों का आवरण दिया तो बरबस उन कहानियों से इस इलाके की गरीबी, बदहाली, ऊंच-नीच, सामाजिक-विषमता और अभाव झांकती नजर आई.

रेणु की इसी किताब पर राज कपूर की फिल्म 'तीसरी कसम' आई, जिसमें पूर्णिया अंचल की कहानी को सिनेमाई पर्दे पर दिखाया.

लेकिन, काला बुखार वाला पुरैनिया अब काफी बदल चुका है. अब पुरैनिया उड़ान भरने के लिए तैयार है. क्योंकि पूर्णिया राष्ट्रीय हवाई मार्ग के मानचित्र पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने जा रहा है. पुरैनिया से पूर्णिया का सफर कुछ इस तरह पूरा हुआ है कि अब यहां हीरामन की बैलगाड़ी बेवजह हिचकोले नहीं खाती है क्योंकि पूर्णिया एनएच 107, एनएच 57, एनएच 31 और एनएच 131 से चारों ओर से घिरा हुआ है.

फणीश्वर नाथ रेणु की लिखी मारे गए गुलफाम कहानी पर बनी राज कपूर की फिल्म तीसरी कसम का एक दृ्श्य.

हीरामन बैलगाड़ी से पुरैनिया से विराटनगर (नेपाल) तक माल पहुंचाता तो अब नेपाल के लोग पूर्णिया से हवाई उड़ान के माध्यम से अपनी जरूरतें पूरी करेंगे. काला बुखार के इलाज के लिए केवल तब 'मैला आँचल' के नायक डॉ. प्रशांत मौजूद थे तो अब पूर्णिया मेडिकल के हब के रूप में तब्दील हो चुका है.

लगभग 255 साल पुराना जिला पूर्णिया देर ही सही 15 सितंबर को ऊंची उड़ान भरेगा, जो जिले के समृद्धशाली इतिहास का स्वर्णिम अध्याय होगा.

10 वर्ष पूर्व की गई घोषणा अब होगी साकार

पटना, गया, दरभंगा के बाद पूर्णिया राज्य का चौथा एयरपोर्ट होगा, जहां से नागरिक विमान सेवा की शुरुआत होगी. 15 सितंबर को एयरपोर्ट का लोकार्पण प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी करेंगे. इस एयरपोर्ट की खासियत यह होगी कि इसका रनवे राज्य का सबसे बड़ा रनवे होगा जिसकी लंबाई 3 हजार मीटर से अधिक बताई जाती है.

अहम यह है कि इस एयरपोर्ट की घोषणा पीएम नरेंद्र मोदी ने लगभग 10 वर्ष पहले 02 नवंबर 2015 को पूर्णिया के रंगभूमि मैदान में बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए किया था. इस प्रकार पीएम मोदी घोषणा करने वाले के साथ साथ उद्घाटनकर्ता के रूप में भी जाने जाएंगे.

निर्माण कार्य हुआ पूरा, पीएम के आगमन का इंतजार

15 सितंबर के मद्देनजर एयरपोर्ट पर निर्माण कार्य पूरा हो चुका है. यह एयरपोर्ट पूर्व से सैन्य हवाई अड्डा है जिसपर तात्कालिक रूप पोर्टा केबिन आधारित हवाई परिचालन आरम्भ किया जा रहा है. बाद में इस एयरपोर्ट को 400 करोड़ की लागत से इसे विकसित किया जाएगा. सूबे के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का दावा है कि इसे अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा के रूप में भविष्य में विकसित किया जाएगा.

दरअसल सम्राट चौधरी इसलिए ऐसा दावा कर रहे हैं कि यह नेपाल और बंगाल से सटा इलाका है. इस इलाके के लोग बड़ी संख्या में खाड़ी देशों में रोजगार और व्यापार के सिलसिले में रहते हैं जिन्हें गंतव्य के लिए दिल्ली या कोलकाता एयरपोर्ट का सहारा लेना पड़ता है.

सीमांचल का होगा चतुर्दिक विकास

पूर्णिया एयरपोर्ट के निर्माण से न केवल सीमांचल के लोग बल्कि नेपाल और बंगाल के लोग भी लाभान्वित होंगे. इसके अलावा भागलपुर, खगड़िया और मधेपुरा के लोग भी इस निकटवर्ती एयरपोर्ट का लाभ ले सकेंगे. इस इलाके के लोग अबतक दरभंगा और बागडोगरा एयरपोर्ट पर निर्भर थे.

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पूर्णिया और कटिहार सुपर फ़ूड मखाना का सबसे बड़ा उत्पादक इलाका है तो मक्का के कारोबार के लिए यहां अंतरराष्ट्रीय कंपनियां अपना पैर जमा चुकी है. मखाना और मक्का को हवाई मार्ग के जरिए आसानी से अंतरराष्ट्रीय पहचान मिल सकेगी. इसके अलावा पूर्णिया मेडिकल, ऑटोमोबाइल और एजुकेशन का हब माना जाता है और उम्मीद जताई जा रही है कि उड़ान-सेवा आरम्भ होने पर इस क्षेत्र का चतुर्दिक विकास होगा.

उड़ान का साक्षी बनने के लिए मची है होड़

उद्घाटन के पहले दिन 15 सितंबर को अहमदाबाद से पूर्णिया के लिए स्टार एयर लाइंस की विमान उड़ान भरेगी. जबकि फिर पूर्णिया से अहमदाबाद की वापसी उड़ान भरेगी. इस उड़ान का साक्षी बनने को तैयार पेशे से चिकित्सक डॉ एके गुप्ता इसे गौरवशाली पल बताते हैं. इसी तीन इंडिगो का विमान कोलकाता के लिए पूर्णिया से उड़ान भरेगा.

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मिली जानकारी के अनुसार, इस फ्लाइट की सभी टिकटें बुक हो चुकी है. 17 सितंबर से पूर्णिया से दिल्ली की उड़ान भाया कोलकाता इंडिगो का विमान भरेगा. उम्मीद जताई जा रही है कि शीघ्र ही यहां से मुम्बई, चेन्नई, हैदराबाद की सेवा भी आरम्भ होगी.

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