25% सीटों पर 5000 वोटों की 'जंग': प्रशांत किशोर फैक्टर करेगा जीत-हार का फैसला?

करीब 20-25% सीटों पर जीत-हार का फैसला मात्र पांच हज़ार वोट के अंतर के आस-पास रहेगा. ऐसे में, प्रशांत किशोर फैक्टर कितना असर डालेगा, यह कहना अभी मुश्किल है. पिछले चुनाव को पैमाना बनाया जाए, तो मात्र 20 सीटों पर जीत-हार का फ़ैसला इधर से उधर हो जाने से सरकार बदल सकती है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • बिहार चुनाव के पहले चरण में वोट प्रतिशत और संख्या दोनों में वृद्धि देखी गई, जो राजनीतिक चर्चा का विषय बनी है
  • महिलाओं और अति पिछड़ी जाति के वोटरों ने इस बार मौन रहते हुए साइलेंट वोटिंग कर सही आंकलन को चुनौती दी है
  • पीके समर्थित उम्मीदवारों ने शहरी क्षेत्रों में युवाओं का जोश बढ़ाया है, जिससे कई सीटों पर मुकाबला कड़ा है
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।

बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण की वोटिंग खत्म होने के बाद अब पूरे प्रदेश की निगाहें 11 नवंबर (मंगलवार) को होने वाले दूसरे और अंतिम चरण के मतदान पर टिकी हैं. कल शाम होते-होते विभिन्न मीडिया हाउस एग्जिट पोल लेकर हाज़िर होंगे. पहले चरण में बढ़े हुए पोल प्रतिशत की चर्चा हर तरफ है. यह सिर्फ प्रतिशत में नहीं, बल्कि संख्या में भी बढ़ा है. हर राजनेता, पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक इस वृद्धि के कारण का पता लगाने में जुटे हैं.

चुपके से वोट डालने वाला 'साइलेंट वोटर' फैक्टर

माना जा रहा है कि इस बढ़ी हुई वोटिंग के पीछे सिर्फ एक फैक्टर जिम्मेदार नहीं है, बल्कि कई अन्य कारक भी हैं. सोशल मीडिया पर जहां जाति विशेष के पुरुष ही खुलकर अपनी राय रख रहे हैं, वहीं महिलाएं और अति पिछड़ी जाति के वोटर इस बार काफी हद तक 'मौन' हैं. वे चुपचाप अपना वोट डाल रहे हैं. इस 'साइलेंट वोटिंग' पैटर्न के कारण सही आकलन के नज़दीक जाना राजनीतिक पंडितों के लिए भी मुश्किल हो रहा है.

प्रशांत किशोर का फैक्टर और 5000 वोटों की जंग

इस चुनाव में कई सीटों पर चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर के समर्थित उम्मीदवारों ने बड़ी मज़बूती से लड़ाई लड़ी है, जिससे युवाओं में जोश बढ़ा है. यह फैक्टर उन सीटों पर काम कर सकता है जहां शहरी जनसंख्या अधिक है.

एक अनुमान के मुताबिक, करीब 20-25% सीटों पर जीत-हार का फैसला मात्र पांच हज़ार वोट के अंतर के आस-पास रहेगा. ऐसे में, प्रशांत किशोर फैक्टर कितना असर डालेगा, यह कहना अभी मुश्किल है. पिछले चुनाव को पैमाना बनाया जाए, तो मात्र 20 सीटों पर जीत-हार का फ़ैसला इधर से उधर हो जाने से सरकार बदल सकती है.

नीतीश कुमार का 'कमबैक': महिला वोटर बनी गेम चेंजर

कुछ विश्लेषक इसे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का 'कमबैक' मान रहे हैं. महिलाओं के खाते में ₹10 हज़ार की आर्थिक मदद ने उनके वोटरों के बीच एक इंस्टेंट एनर्जी दी है. इस चुनाव में महिलाओं का वोट प्रतिशत पुरुषों से ज़्यादा नहीं, बहुत ज़्यादा रहा है. 2007 से ही हाई स्कूल की लड़कियों को साइकिल देने की परंपरा ने वोटिंग में हमेशा उत्साह पैदा किया है. ऊपर से शराबबंदी का फैसला भी नीतीश के लिए महिलाओं के बीच सम्मान पैदा करता है.


महिला वोटर को आकर्षित करने का नीतीश कुमार का यह फ़ॉर्मूला सिर्फ बिहार तक ही सीमित नहीं रहा है, बल्कि मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान और महाराष्ट्र में भी यह एक गेम चेंजर साबित हुआ है. यही कारण है कि NDA खेमा स्वयं को पॉजिटिव दिखा रहा है.

Advertisement

अंतिम चरण का उत्साह और 14 नवंबर का इंतज़ार

हालांकि, तेजस्वी यादव के 'हर घर नौकरी' के वादे की भी खूब चर्चा है. अब देखना यह है कि कल के दूसरे चरण के चुनाव में वोट प्रतिशत क्या रहता है. बिहार के बाकी बचे हिस्सों में क्या वही उत्साह है या नहीं. कल शाम के एग्जिट पोल सही तस्वीर की गारंटी तो नहीं देंगे, लेकिन एक आकलन ज़रूर दे सकते हैं.

भारत के सबसे गरीब प्रदेश में क्या फैसला होता है, इस पर हर धनी प्रदेश की नज़र है. अपनी 13 करोड़ की जनसंख्या के साथ बिहार ना सिर्फ एक मज़दूर सप्लायर प्रदेश है, बल्कि एक बहुत बड़ा बाज़ार भी है. इंतजार कीजिए 14 नवंबर की दोपहर का, जब बिहार चुनाव के नतीजों की तस्वीर साफ होगी.

Advertisement

Featured Video Of The Day
Indigo Flights Cancelled: Airports पर लगी भीड़, आखिर इंडिगो कहां फंसा? | DGCA | Indigo Crew Shortage