बिहार के एग्जिट पोल के बाद एनडीटीवी के खास शो में एक्सिस माई इंडिया के चेयरमैन प्रदीप गुप्ता और चुनाव विश्लेषक ऋषि मिश्रा के बीच दिलचस्प चर्चा हुई. इस दौरान बिहार की जातीय राजनीति, महिला वोटिंग पैटर्न और प्रशांत किशोर के प्रभाव पर कई अहम बातें सामने आईं. प्रदीप गुप्ता ने कहा कि प्रशांत किशोर की पार्टी जनसुराज पार्टी के वोट सीधे तौर पर एनडीए को नुकसान पहुंचा रहे हैं.
प्रदीप गुप्ता के मुताबिक, 'प्रशांत किशोर को जो 4 प्रतिशत वोट मिल रहे हैं, उसमें से करीब 70-75% वोट एनडीए के पारंपरिक वोट बैंक से आ रहे हैं. कास्ट के हिसाब से देखें तो JSP को 12 प्रतिशत वोट महागठबंधन से, और करीब 13 प्रतिशत वोट अन्य वर्गों से मिले हैं.'
यानी जनसुराज पार्टी ने सबसे ज़्यादा सेंध एनडीए के पारंपरिक वोट बैंक में लगाई है. इससे महागठबंधन (MGB) को अप्रत्यक्ष फायदा हुआ है.
एनडीए के भीतर वोट ट्रांसफर की समस्या
चुनाव विश्लेष्क ऋषि मिश्रा ने इस दौरान अहम सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि कुशवाहा और कुर्मी का वोट बीजेपी उम्मीदवारों को ट्रांसफर नहीं हो रहा. वहीं पासवान समुदाय का वोट जेडीयू को ट्रांसफर नहीं हो रहा है. इस पर प्रदीप गुप्ता ने माना कि कुछ सीटों पर कैंडिडेट की जाति और व्यक्तिगत प्रभाव के आधार पर वोट ट्रांसफर होता है, लेकिन यह हर जगह नहीं दिख रहा.
जेडीयू नंबर 2 कैसे?
ऋषि मिश्रा ने सवाल किया कि अगर वोट ट्रांसफर में इतनी दिक्कत है, तो जेडीयू आपकी टैली में नंबर दो पार्टी कैसे बन रही है? इस पर प्रदीप गुप्ता ने कहा कि, 'दोनों पार्टियों (बीजेपी और जेडीयू) ने बराबर सीटों पर चुनाव लड़ा है. अब किस सीट पर कौन सा उम्मीदवार मजबूत है, जातिगत समीकरण क्या है, MY समीकरण क्या है. यह तय करता है कि कौन जीतता है.'
सीमांचल में महागठबंधन को बढ़त
एग्जिट पोल डेटा के अनुसार, सीमांचल क्षेत्र में महागठबंधन का वोट शेयर बढ़ा है. यहां एआईएमआईएम को पिछले चुनाव की तुलना में आधे वोट ही मिले हैं, बाकी वोट MGB के खाते में चले गए हैं.
प्रदीप गुप्ता ने कहा कि अगर सिर्फ पुरुष वोटरों की बात की जाए, 'तो एनडीए शायद पीछे रह जाता. लेकिन एनडीए की जीत महिलाओं के वोट की वजह से संभव दिख रही है.' महिला वोटिंग में सरकार के कल्याणकारी कार्यक्रम और नीतीश कुमार की साइलेंट महिला वोट बैंक की भूमिका अहम रही.
सीट-टू-सीट चुनाव और तीन तरह के उम्मीदवार
गुप्ता ने बताया कि यह चुनाव सीट-टू-सीट आधार पर हो रहा है. मतदाता तीन तरह से सोचते हैं –
1. विरोध की लहर: 'चाहे ये हमारे विधायक हों, काम नहीं किया, वोट नहीं देंगे.'
2. विकल्पहीनता: 'काम नहीं किया, लेकिन कोई दूसरा विकल्प नहीं है.'
3. समर्थन का वोट: 'अच्छा काम किया है, दोबारा मौका देंगे.'
इन तीन कैटेगरी में लगभग 30%, 40-50%, और 20% उम्मीदवार आते हैं.
एक्सिस माई इंडिया के आंकड़ों से यह साफ दिखता है कि प्रशांत किशोर की एंट्री से एनडीए का पारंपरिक वोट बैंक टूटा है, जेडीयू और बीजेपी के बीच ट्रांसफर में दिक्कत है, सीमांचल में महागठबंधन ने बढ़त ली है और एनडीए को महिलाओं के वोट बैंक ने बचाया है.














