- बिहार विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार का राजनीतिक भविष्य और आरजेडी की स्थिति प्रमुख भूमिका निभाएंगे
- नीतीश कुमार ने साल दो हजार में पहली बार मुख्यमंत्री पद संभाला था, लेकिन उनका कार्यकाल केवल सात दिन का था
- समता पार्टी की स्थापना नीतिश ने जॉर्ज फर्नांडिस के साथ की थी, जो लालू प्रसाद यादव के खिलाफ थी
बिहार में विधानसभा चुनाव के ऐलान में अभी भले कुछ दिन का समय बचा हो लेकिन राजनीतिक पार्टियां अभी से ही सियासी समीकरण साधने लगी हैं. इस बार का चुनाव कई वजहों से खास होने वाला है. यह चुनाव जहां एक तरफ सीएम नीतीश का राजनीतिक भविष्य तय करेगा वहीं दूसरी तरफ ये भी साफ करेगा कि आखिर बिहार आरजेडी की राजनीतिक कद क्या है. बात जब नीतीश कुमार की हुई है तो आपको बता दें कि ये चुनाव उनके लिए अबतक के चुनावों से सबसे अलग है. ऐसा इसलिए भी क्योंकि नीतीश कुमार का नाम भारतीय राजनीति में सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने वाले नेताओं में शामिल है. ऐसे में इस चुनाव का परिणाम उनके राजनीतिक सफर की दिशा को तय करने वाला होगा.
3 मार्च 2000 को नीतीश कुमार ने पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली. लेकिन उनका यह कार्यकाल बहुत छोटा रहा, क्योंकि उन्हें सदन में बहुमत साबित करना था. NDA गठबंधन के पास निर्दलीय विधायकों को मिलाकर भी बहुमत से करीब 21 विधायक कम थे. दूसरी ओर, लालू प्रसाद यादव की RJD सबसे बड़ी पार्टी होने के नाते बहुमत साबित करने का दावा कर रही थी. जब नीतीश कुमार को यह एहसास हुआ कि वे सदन में बहुमत साबित नहीं कर पाएंगे, तो उन्होंने 10 मार्च 2000 को, यानी शपथ लेने से महज सात दिन बाद ही अपने पद से इस्तीफा दे दिया.
इस्तीफे की वजह और उसके बाद का घटनाक्रम
नीतीश कुमार के इस्तीफे की मुख्य वजह यही थी कि उनके पास सरकार चलाने के लिए पर्याप्त विधायक नहीं थे. विश्वास मत हासिल करने की स्थिति न होने पर उन्होंने पद छोड़ना ही उचित समझा. उनके इस्तीफे के बाद, RJD ने राबड़ी देवी के नेतृत्व में सरकार बनाई, जो अगले पांच साल तक चली.
यह जानना दिलचस्प है कि साल 2000 के चुनावों में लालू प्रसाद यादव खुद मुख्यमंत्री क्यों नहीं बने. इसका कारण चारा घोटाला था, जिसमें कानूनी पचड़े और गिरफ्तारी की संभावना को देखते हुए उन्होंने जुलाई 1997 में ही मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया थ. इसके बाद उन्होंने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनाया, जो उस समय एक हाउस वाइफ थी. 1997 के बाद से वही मुख्यमंत्री थीं और 2000 के चुनाव के समय भी चारा घोटाले का मामला उन पर चल रहा था.