Nalanda Vidhansabha Seat: नालंदा सीट पर क्या श्रवण कुमार लगा पाएंगे चौका, जानिए सियासी समीकरण

Nalanda Vidhansabha Seat: नालंदा सीट पर मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच देखने को मिलेगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि श्रवण कुमार अपनी जीत की हैट्रिक चौथी बार दोहरा पाएंगे या विपक्ष कोई बड़ा उलटफेर करने में कामयाब होगा.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
नालंदा विधानसभा सीट के बारे में जानें.
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • नालंदा सीट पर सीएम नीतीश का मजबूत प्रभाव है. वर्तमान विधायक श्रवण कुमार लगातार तीन बार चुनाव जीत चुके हैं.
  • नालंदा विधानसभा क्षेत्र में JDU को कुर्मी, कुशवाहा, मुस्लिम और अनुसूचित जाति के मतदाताओं का समर्थन प्राप्त है.
  • 2025 विधानसभा चुनाव में नालंदा सीट पर एनडीए और महागठबंधन के बीच कड़ा मुकाबला है.
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
पटना:

बिहार विधानसभा की 243 विधानसभा सीटों में नालंदा सीट एक हाई प्रोफाइल सीट है. क्यों कि सीएम नीतीश का यहां अच्छा प्रभाव है. यह सीट नालंदा लोक सभा निर्वाचन क्षेत्र का हिस्सा है. नालंदा विधानसभा क्षेत्र सिर्फ राजनीतिक ही नहीं बल्कि ऐतिहासिक तौर पर भी अहम है. यहां पर मौजूद प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है. वर्तमान नालंदा विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1977 में हुई थी. इस सीट पर जेडीयू का दबदवा पिछले एक दशक से बना हुआ है.

ये भी पढ़ें- Lakhisarai Vidhan Sabha Seat: किसकी होगी लखीसराय सीट, BJP के विजय सिन्हा को कौन देगा टक्कर

नालंदा सीट पर नीतीश कुमार का खास प्रभाव

नालंदा जिला 1972 में पटना से अलग कर बनाया गया था. इसकी प्रशासनिक राजधानी बिहारशरीफ एक अलग विधानसभा सीट है. नालंदा सीट पर बिहार के सीएम नीतीश कुमार का खास प्रभाव है. यह विधानसभा क्षेत्र सामाजिक और राजनीतिक रूप से बहुत ही एक्टिव है. बिहार की राजनीति की दिशा तय करने में नालंदा सीट की भूमिका अहम मानी जाती है. नालंदा विधानसभा सीट की चर्चा एक बार फिर जोरों पर है.

श्रवण कुमार के सामने जीत बड़ी चुनौती

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले में स्थित नालंदा सीट जेडीयू का पारंपरिक गढ़ मानी जाती है. यहां से मौजूदा विधायक श्रवण कुमार है. श्रवण कुमार इस सीट से लगातार तीन बार से जीतते आ रहे हैं. इस क्षेत्र में उनकी मजबूत राजनीतिक पकड़ है.

  • नालंदा विधानसभा सीट पर शुरुआत में कांग्रेस के श्यामसुंदर प्रसाद और निर्दलीय उम्मीदवार राम नरेश सिंह बारी-बारी से जीतते रहे.
  • पहले चार चुनावों में श्यामसुंदर और राम नरेश ने दो-दो बार जीत हासिल की.
  • लेकिन नीतीश कुमार का राजनीतिक दबदबा बढ़ते ही इस क्षेत्र की राजनीतिक दिशा बदल गई.
  • नीतीश सरकार में सीनियर मंत्री और JDU उम्मीदवार श्रवण कुमार ने नालंदा सीट पर लगातार 7 बार जीत हासिल की.
  • साल 2015 के चुनाव में श्रवण कुमार ने बीजेपी उम्मीदवार को महज 3,000 से कम वोटों के अंतर से मात दी थी. उस समय जेडीयू महागठबंधन का हिस्सा थी.
  • JDU और उसकी पूर्ववर्ती समता पार्टी ने 1996 से नालंदा लोकसभा सीट पर लगातार 9 चुनाव जीते.
  • एनडीए गठबंधन ने नालंदा की 7 में से 6 विधानसभा सीटों पर जीत हासिल की

नालंदा सीट पर किन जातियों की पकड़

नालंदा जिले में नीतीश कुमार की कुर्मी जाति का खास प्रभाव है. नीतीश कुमार का जन्म भले ही बख्तियारपुर में हुआ हो लेकिन पूरे जिले में उनकी मजबूत पकड़ है. उन्हें कुशवाहा और अति पिछड़ी जातियों का भी भरपूर समर्थन मिलता रहा है. इसके अलावा, मुस्लिम और अनुसूचित जाति (के वोटर्स भी उनको समर्थन करते रहे हैं.

नालंदा सीट पर वोटर्स की संख्या

नालंदा एक ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र है, जहां सभी वोटर्स ग्रामीण हैं. वोटर्स की संख्या इस क्षेत्र में लगातार बढ़ रही है. साल 2020 के विधानसभा चुनावों में यहां 3,10,070 वोटर्स थे, जो कि 2024 के लोकसभा चुनावों में बढ़कर 3,26,659 हो गए.

एनडीए और महागठबंधन में मुख्य मुकाबला

नालंदा विधानसभा चुनाव में मुकाबला दिलचस्प होगा. यहां की राजनीति नीतीश की विरासत और जातिगत समीकरणों से गहराई से जुड़ी हुई है. इस सीट पर मुख्य मुकाबला एनडीए और महागठबंधन के बीच देखने को मिलेगा. यह देखना दिलचस्प होगा कि श्रवण कुमार अपनी जीत की हैट्रिक चौथी बार दोहरा पाएंगे या विपक्ष कोई बड़ा उलटफेर करने में कामयाब होगा.

Advertisement