जल्द बाजार में दस्तक देगी मुजफ्फपुर की शाही लीची, मौसम की बेरुखी के बीच अच्छी कमाई की उम्मीद

Muzaffarpur Litchi: मुजफ्फरपुर की लीची जल्द मार्केट में पहुंचने वाली है. लीची के दानों में लालिमा आ चुकी है. जल्द ही इसकी तुड़ाई शुरू होगी. जिसके बाद देश-विदेश में इसकी सप्लाई होगी.

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Muzaffarpur Litchi: शाही लीची के दानों पर लालिमा आ चुकी है.

Muzaffarpur Litchi: बिहार के मुजफ्फरपुर जिले की लीची विश्व प्रसिद्ध है. जल्द यह बाजारों में दस्तक देने वाली है. बिहार का मुजफ्फरपुर जिला लीची उत्पादन के लिए मशहूर है. यहां शाही और चाईना दोनों किस्म की लीचियों का भरपुर उत्पादन होता है. इस समय मुजफ्फपुर के लीची बागानों में किसानों के साथ-साथ कारोबारियों और मजदूरों की रौनक बढ़ गई है. क्योंकि जल्द ही लीची की तुड़ाई शुरू होने वाली है. स्थानीय लीची उत्पादक किसान और सप्लायरों ने बताया कि 18-20 मई के बीच लीची मार्केट में आ जाएगी. लीची के दानों में लालिमा आ चुकी है. बस उसकी मिठास की टेस्टिंग का इंतजार किया जा रहा है. 

कम बारिश के कारण इस बार पैदावार हल्की

हालांकि इस बार मौसम की बेरुखी के कारण लीची का उत्पादन वैसा नहीं है, जैसा हर साल हुआ करता था. दरअसल बीते कुछ सालों में बिहार में कम हो रही बारिश का असल लीची की खेती पर देखने को मिला है. इस साल भी बिहार में बारिश बहुत कम हुई है. ऐसे में इस बार लीची के दानों का आकार छोटा है. साथ ही कई जगहों से लीची के दाने फटने भी लगे हैं. 

लीची के बेहतर पैदावार के लिए मिश्रित मौसम जरूरी होता है. मतलब की गर्मी भी और बारिश भी. लेकिन अधिक गर्मी या अधिक बारिश दोनों लीची के लिए नुकसानदेह होते है. ज्यादा गर्मी पड़ने पर लीची के दानों का प्रॉपर विकास नहीं होता. साथ ही वह अच्छे तरीके से पकने से पहले ही झुलसने लगता है. वहीं ज्यादा बारिश होने पर लीची में कीड़े लग जाते हैं.

लेकिन इन सब विपरीत स्थितियों के बाद भी मुजफ्फरपुर के किसान और लीची के कारोबारियों को अच्छी कमाई की उम्मीद है. 

बिहार का 40 फीसदी लीची मुजफ्फरपुर में होता है

मुजफ्फरपुर स्थिति राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के डायरेक्टर विकास कुमार दास ने बताया, "बिहार के 40 प्रतिशत लीची का उत्पादन मुजफ्फरपुर में होता है. यहां शाही और चाईना दोनों किस्म की लीची उगाई जाती है. कारोबार के नजरिए से लोग चाईना लीची पर ज्यादा फोकस करते हैं. क्योंकि इसकी चमक ज्यादा होती है. साथ ही पैदावार भी जबरदस्त होती है." 

डॉ. विकास कुमार दास, डायरेक्टर, राष्ट्रीय लीची उत्पादन केंद्र , मुजफ्फरपुर, बिहार.

लीची व्यापारी और किसानों ने बताया कि इस बार मौसम की बेरुखी और बारिश नहीं होने के कारण मुजफ्फरपुर की सुप्रसिद्ध शाही लीची एक हफ्ते लेट से मार्केट में पहुंचेगी. 

मिठास की टेस्टिंग के बाद 18-20 मई तक मार्केट में आ जाएगी लीची

मुजफ्फरपुर के मुशहरी स्थित लीची अनुसंधान केंद्र में मौजूद लीची कारोबारी रविरंजन ने बताया, "मुजफ्फरपुर की लीची को भारत सरकार से GI टैग मिल चुका है. इस बार 18 से 20 मई तक लीची मार्केट में आ जाएगी. लीची मार्केट में जाने से पहले एक टेस्ट किया जाता है, जिसमें यह देखा जाता है कि इसकी मिठास कितनी है. यह टेस्ट एक-दो में हो जाएगी. 

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ट्रक, ट्रेन और प्लेन से भी होती है लीची की सप्लाई

लीची उत्पादक, व्यापारी और प्रोसेसर कृष्ण गोपाल ने बताया कि दरभंगा और पटना एयरपोर्ट के जरिए मुजफ्फपुर की लीची ज्यादा दूरी वाले सेंटरों तक जाती है. ट्रक से लखनऊ, ग्वालियर जैसे शहरों तक लीची की सप्लाई होती है. दिल्ली-मुंबई जैसे शहरों में ट्रेन के जरिए लीची जाती है. हालांकि उन्होंने इस बार रेलवे की लॉजिस्टिक नीति में हुए बदलाव पर भी सवाल उठाए. 

मुजफ्फपुर में 12 हजार हेक्टेयर में होती है लीची की खेती

शाही लीची के उत्पादन की बात करें तो पूरे बिहार में तकरीबन 30 हजार हेक्टेयर में लीची की पैदावार होती है. इसमें अकेले मुजफ्फरपुर में तकरीबन 12 हजार हेक्टेयर में लीची का उत्पादन होता है. इस लिहाज से बिहार में मुजफ्फरपुर का स्थान लीची पैदावार में अव्वल आता है.

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कई राज्यों के साथ-साथ विदेश भी जाती है मुजफ्फरपुर की शाही लीची 

मुजफ्फरपुर की लीची की सप्लाई दिल्ली, मुंबई, पुणे, जयपुर, लखनऊ, बंगलोर, भोपाल सहित अन्य शहरों के साथ-साथ विदेश में भी होती है. देश के महामहिम राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक भी लीची की खास खेप हर साल भेजी जाती है. यहां की लीचियों की सप्लाई अमेरिका के साथ-साथ गल्फ के कई देशों में भी होती है.

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