महुआ से तेज प्रताप यादव हारे, मुकेश रौशन से भी कम मिले वोट, चिराग की पार्टी के नेता को मिली जीत

महुआ विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी. 1952, 1957 और 1962 के शुरुआती चुनावों के बाद यह निर्वाचन क्षेत्र कुछ समय के लिए समाप्त कर दिया गया था, लेकिन 1977 में इसे दोबारा अस्तित्व मिला.

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बिहार विधानसभा चुनाव में राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रमुख लालू प्रसाद के बड़े बेटे और जनशक्ति जनता दल के प्रमुख तेज प्रताप यादव शुक्रवार को महुआ विधानसभा सीट पर तीसरे स्थान पर रहे. यहां लोजपा (राम विलास) के उम्मीदवार संजय कुमार सिंह ने राजद के मुकेश कुमार रौशन को 44,997 मतों से हराकर जीत दर्ज की. निर्वाचन आयोग के अनुसार, तेज प्रताप को 35,703 वोट मिले। विजेता संजय कुमार सिंह को 87,641 वोट मिले, जबकि रौशन को 42,644 मत प्राप्त हुए.

पार्टीप्रत्याशीनतीजे
JJDतेज प्रताप यादवहारे
LJPसंजय सिंहजीते
राउंडप्रत्याशीवोटप्रत्याशीवोट
राउंड 1मुकेश रौशन2127संजय कुमार सिंह3536
राउंड 2मुकेश रौशन4607संजय कुमार सिंह6901
राउंड 3मुकेश रौशन6781संजय कुमार सिंह10301
राउंड 4मुकेश रौशन8794संजय कुमार सिंह12897
राउंड 5मुकेश रौशन11315संजय कुमार सिंह16673
राउंड 6मुकेश रौशन13828संजय कुमार सिंह19106
राउंड 7मुकेश रौशन15919संजय कुमार सिंह22703
राउंड 8मुकेश रौशन17481संजय कुमार सिंह26048
राउंड 9मुकेश रौशन19012संजय कुमार सिंह29675
राउंड 10मुकेश रौशन19998संजय कुमार सिंह34541

सामाजिक समीकरण की बात करें तो महुआ में यादव और मुस्लिम मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. इसके अलावा पासवान और रविदास समुदाय के मतदाता भी महत्वपूर्ण संख्या में हैं, जो किसी भी उम्मीदवार के लिए जीत-हार तय कर सकते हैं.

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राजनीतिक इतिहास देखा जाए तो महुआ विधानसभा सीट पर राजद का लंबे समय से दबदबा रहा है. 2010 को छोड़कर 2000 से लेकर अब तक हुए चुनावों में राजद ने यहां परचम लहराया है. 2015 के चुनाव में तेज प्रताप यादव स्वयं यहां से विधायक चुने गए थे. वहीं, 2020 में राजद के उम्मीदवार मुकेश कुमार रौशन ने जीत दर्ज की थी.

महुआ विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 1951 में हुई थी. 1952, 1957 और 1962 के शुरुआती चुनावों के बाद यह निर्वाचन क्षेत्र कुछ समय के लिए समाप्त कर दिया गया था, लेकिन 1977 में इसे दोबारा अस्तित्व मिला. 1977 से अब तक के चुनावी इतिहास में कांग्रेस और भाजपा को यहां कभी जीत नहीं मिली.

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