Bihar News: बिहार की महागठबंधन सरकार के मंगलवार को हुए विस्तार के अंतर्गत मंगलवार को शपथ लेते समय कार्तिकेय सिंह (Kartikeya Singh) को शायद अंदाज़ा भी नहीं होगा कि 24 घंटे के अंदर उनके ख़िलाफ़ एक पुराना मामला इसकदर राजनीतिक तूल पकड़ लेगा. ये मामला एक राजीव रंजन के अपहरण से सम्बंधित हैं जिसमें चार वर्ष पूर्व उन्हें आरोपी बनाया गया. इस संबंध में खबर आते ही विपक्ष आक्रामक हो गया और सीएम नीतीश से 'दागदार' मंत्री को कैबिनेट से हटाने की मांग शुरू कर दी. इस बीच, इस नवनियुक्त मंत्री के वकील मधुसूदन शर्मा का कहना हैं कि पुलिस ने अपनी जांच में कार्तिकेय के ख़िलाफ़ साक्ष्य नहीं पाया है और जिस वारंट की चर्चा हो रही हैं उस पर भी 1 सितम्बर तक कोई कार्रवाई नहीं करने का ऊपरी अदालत का फ़ैसला आ चुका है. इस मामले में अब सबकी निगाहें दो हफ़्ते के बाद कोर्ट की सुनवाई पर टिकी हैं.
कार्तिकेय के वकील ने आज संवाददाताओं से चर्चा में कहा, "इस संबंध में बेबुनियाद, तथ्यहीन समाचार आपको दिया गया है. मुकदमे के संदर्भ में आपको बताना चाहता हूं कि हमारे संविधान में जो वैधानिक प्रक्रिया है, उसके तहत आपराधिक मुकदमा दो तरह से होता है. एक मुकदमा जो पुलिस स्टेशन में दर्ज किया जाता है वह पुलिस केस होता है जिसका अनुसंधान पुलिस करती है. दूसरा मुकदमा मजिस्ट्रेट के यहां कंप्लेट केस होता है, इनने खिलाफ जिस मुकदमे की चर्चा की जा रही है उसमें प्राथमिकी में कार्तिकेय कुमार अभियुक्त नहीं हैं. यह स्पष्ट कर देता हूं कि जिस मुकदमे को लेकर हाइलाइट किया जा रहा है, उसमें कार्तिकेय कुमार नामजद अभियुक्त नहीं हैं. उनकी संदिग्धता किसी तरह से उस प्राथमिकी में नहीं बताई गई है. उस प्राथमिकी के बाहर, 10 माह के बाद एक केस सीआरपीसी के तहत आता है, जिसमें कहा जाता है कि कार्तिकेय मास्टर को रास्ते में देखा गया. इस तथ्य को पुलिस ने सीआरपीसी के प्रावधानों के तहत सारे साक्षियों के बयान लेकर पुलिस ने स्पष्ट रूप से नकार दिया. पुलिस ने कहा कि इस मुकदमे के कार्तिकेय मास्टर की संदिग्धता नहीं है किसी तरह को कोई एविडेंस प्राप्त नहीं हुआ."
गौरतलब है कि अपने मंत्री कार्तिकेय से संबंधित मामले पर जब मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कुमार से पूछा गया तो उन्होंने कोई जानकारी होने से इनकार किया. उधर, भाजपा सांसद सुशील कुमार मोदी ने कहा, 'अगर कार्तिकेय सिंह (राजद) के खिलाफ वारंट था तो उन्हें सरेंडर कर देना चाहिए था. लेकिन उन्होंने कानून मंत्री के रूप में शपथ ली है. मैं नीतीश कुमार से पूछता हूं कि क्या वह बिहार को लालू के जमाने में वापस ले जाने की कोशिश कर रहे हैं? कार्तिकेय सिंह को तत्काल हटाया जाना चाहिए.'
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