PMCH में स्वास्थ्य सेवाएं ठप: जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल से मरीजों की जान पर बनी आफत

जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि वे पिछले दो साल से अपनी समस्याओं को सरकार के सामने रख रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई.

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  • पटना के पीएमसीएच में जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन ने अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है.
  • जूनियर डॉक्टर बॉन्ड सेवा अवधि घटाने और वेतन वृद्धि सहित कई सुधारात्मक मांगें सरकार से कर रहे हैं.
  • हड़ताल के कारण पीएमसीएच में ओपीडी, वार्ड और ऑपरेशन थिएटर की सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं.
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पटना:

बिहार की राजधानी पटना में, सबसे बड़े सरकारी अस्पताल पीएमसीएच (Patna Medical College and Hospital) में स्वास्थ्य सेवाएं पूरी तरह ठप हो गई हैं. मंगलवार से जूनियर डॉक्टर एसोसिएशन (JDA) ने अपनी मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल शुरू कर दी है, जिसका सीधा असर मरीजों पर पड़ रहा है. आपातकालीन सेवाओं को छोड़कर, ओपीडी, वार्ड और ऑपरेशन थिएटर (OT) में सभी काम बंद हैं.

क्या हैं JDA की मांगें?
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि वे पिछले दो साल से अपनी समस्याओं को सरकार के सामने रख रहे हैं, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. उनकी मुख्य मांगों में शामिल हैं:

  • बॉन्ड सेवा की अवधि घटाना: बॉन्ड सेवा की अवधि को घटाकर सिर्फ एक साल किया जाए.
  • वेतन वृद्धि: काम के बोझ के हिसाब से सीनियर रेजिडेंट डॉक्टरों का वेतन बढ़ाया जाए.
  • मेरिट के आधार पर पोस्टिंग: बॉन्ड पोस्टिंग मेरिट और विशेषज्ञता के आधार पर होनी चाहिए.
  • बॉन्ड अवधि में वेटिंग पीरियड को शामिल करना: रिजल्ट घोषित होने और पोस्टिंग मिलने के बीच के समय को बॉन्ड अवधि में गिना जाए.
  • इस्तीफे पर वेतन की सुरक्षा: अगर कोई बॉन्ड अवधि पूरी होने से पहले इस्तीफा देता है, तो उससे अर्जित वेतन वापस न लिया जाए.
  • सीनियर रेजिडेंसी में बॉन्ड सेवा को शामिल करना: बॉन्ड सेवा को सीनियर रेजिडेंसी अनुभव में जोड़ा जाए.

मरीजों की मुश्किलें बढ़ीं

पीएमसीएच में रोजाना हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं. हड़ताल के कारण दूर-दराज के इलाकों से आए मरीज भटक रहे हैं. गंभीर मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिल पा रहा है, और गरीब लोगों को मजबूरी में महंगे निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है. डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें 14 दिनों के भीतर पूरी नहीं हुईं, तो वे आपातकालीन सेवाएं भी बंद कर देंगे, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो सकती है. फिलहाल, इस मामले पर सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है.
 

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