कांग्रेस-RJD की ‘सियासी साजिश’... बिहार चुनाव नहीं लड़ रही हेमंत सोरेन की JMM, जानें वजह

झामुमो ने दो दिन पहले कहा था कि वह बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगी और छह विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी, क्योंकि ‘महागठबंधन’ में सीट बंटवारे पर बातचीत विफल हो गई है. लेकिन इस धमकी का भी कांग्रेस और आरजेडी पर कोई असर देखने को नहीं मिला.

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‘महागठबंधन’ में शामिल होने के बावजूद झामुमो नहीं मिली कोई सीट
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  • झारखंड मुक्ति मोर्चा ने बिहार चुनाव में भाग न लेने का फैसला राजद और कांग्रेस की सियासी साजिश के कारण लिया है
  • झामुमो ने महागठबंधन में सीटों से वंचित रखे जाने पर नाराजगी जताई और गठबंधन की समीक्षा की चेतावनी दी है
  • झामुमो ने बिहार में छह सीटों पर चुनाव लड़ने की योजना बनाई थी लेकिन महागठबंधन के साथ सीट बंटवारे में असफल रही
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रांची:

बिहार चुनाव से पहले महागठबंधन में ऐसा बिखराव देखने को मिलेगा, सोचा नहीं था. झारखंड में सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने सोमवार को घोषणा की कि वह पड़ोसी राज्य बिहार में विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेगा. पार्टी ने दावा किया कि उसने यह फैसला सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस की ‘सियासी साजिश' की वजह से लिया है, क्योंकि ‘महागठबंधन' में शामिल होने के बावजूद उसे सीटों से वंचित रखा गया. झामुमो के वरिष्ठ नेता सुदिव्य कुमार ने नाराज होते हुए कहा कि उनकी पार्टी झारखंड में कांग्रेस और राजद के साथ गठबंधन की समीक्षा करेगी और इस ‘अपमान' का करारा जवाब देगी.

झामुमो ने दो दिन पहले कहा था कि वह बिहार में अकेले चुनाव लड़ेगी और छह विधानसभा सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी, क्योंकि ‘महागठबंधन' में सीट बंटवारे पर बातचीत विफल हो गई है. लेकिन इस धमकी का भी कांग्रेस और आरजेडी पर कोई असर देखने को नहीं मिला. झारखंड के पर्यटन मंत्री कुमार ने कहा,‘राजद और कांग्रेस एक राजनीतिक साजिश के तहत झामुमो को चुनाव लड़ने से वंचित करने के लिए जिम्मेदार हैं. झामुमो इसका करारा जवाब देगा और राजद व कांग्रेस के साथ अपने गठबंधन की समीक्षा करेगा.'

हेमंत सोरेन की झामुमो ने शनिवार को घोषणा की थी कि वह चकाई, धमदाहा, कटोरिया, मनिहारी, जमुई और पीरपैंती सीटों पर चुनाव लड़ेगी, जहां 11 नवंबर को दूसरे चरण में मतदान होना है. इन सीटों पर नामांकन पत्र जमा करने की अंतिम तिथि सोमवार थी. सुदिव्य कुमार ने दावा किया कि झामुमो ने 2015 के बिहार चुनाव में राजद की मदद की थी. उन्होंने कहा, ‘झामुमो ने 2019 के झारखंड चुनाव में राजद को सात सीटें दी थीं और उनका केवल एक उम्मीदवार जीता था, जिसे झारखंड सरकार में मंत्री बनाया गया.'

सुदिव्य कुमार ने कहा, ‘बिहार विधानसभा चुनाव-2020 में राजद और कांग्रेस ने झामुमो को तीन सीटें देने का आश्वासन दिया था, लेकिन बाद में उन्होंने हमें धोखा देते हुए आपस में सीटें बांट लीं. पिछले साल झारखंड चुनाव में झामुमो ने कांग्रेस, राजद और वाम दलों के लिए सम्मानजनक संख्या में सीटें छोड़ी थीं, लेकिन 2025 के बिहार चुनाव में पार्टी को फिर से अपमानित होना पड़ा.' उन्होंने बिहार में ‘महागठबंधन' के प्रमुख दलों द्वारा रची गई ‘सियासी साजिश' से लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं.

कुमार ने दावा किया, ‘झामुमो एक बड़ी ताकत है और देश में आदिवासियों की एक मजबूत आवाज है. इस विश्वासघात को भुलाया नहीं जाएगा.' उन्होंने कहा कि कांग्रेस को बिहार में झामुमो के हितों के लिए लड़ना चाहिए था, लेकिन उसने ऐसा नहीं किया. कुमार ने बताया कि झामुमो नेतृत्व ने सात अक्टूबर को राजद नेता तेजस्वी यादव के साथ सीट बंटवारे पर लंबी चर्चा की थी. उन्होंने कहा, ‘हमें बताया गया था कि हेमंत सोरेन के साथ चर्चा के बाद सीटों पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा.'

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