- आर.के. सिंह ने सम्राट चौधरी और दिलीप जायसवाल पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाकर विवाद खड़ा किया.
- सिंह ने 2025 विधानसभा चुनाव में अपने विरोधियों को टिकट मिलने पर गठबंधन के खिलाफ प्रचार करने की चेतावनी दी है.
- प्रशांत किशोर ने बिहार की एनडीए सरकार पर मंत्री और नेताओं की अवैध संपत्ति और भ्रष्टाचार के आरोप लगाए हैं.
बिहार की राजनीति में लगातार उथल-पुथल मची हुई है. लोकसभा चुनाव 2024 के बाद जब सबको लगा कि सियासी उठापटक थम जाएगी, तभी भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री आर.के. सिंह ने अपने दल के नेताओं पर प्रशांत किशोर के भ्रष्टाचार आरोपों का हवाला देकर विवाद खड़ा कर दिया. सिंह ने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल पर लगे गंभीर आरोपों को दोहराते हुए कहा कि इन नेताओं को जनता के सामने अपनी बेगुनाही साबित करनी चाहिए.
आर.के. सिंह का बयान: पुराने गिले-शिकवे और धमकी
आर.के. सिंह ने न केवल आरोपों पर सफाई की मांग की, बल्कि अपने पुराने गिले-शिकवे भी सार्वजनिक कर दिए. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर 2024 में आरा सीट से उन्हें हराने वाले 'अपनों' को 2025 विधानसभा चुनाव में दोबारा टिकट दिया गया—चाहे भाजपा से हो या जदयू से—तो वे खुले तौर पर गठबंधन के खिलाफ प्रचार करेंगे. सिंह ने जदयू मंत्री अशोक चौधरी के उदाहरण का हवाला देते हुए कहा, "जैसे अशोक चौधरी पर आरोप लगने के बाद उनकी पार्टी के लोग दबाव डाल रहे हैं कि वे सार्वजनिक मंच पर सफाई दें, वैसे ही भाजपा में भी आरोपी नेताओं को जवाब देना चाहिए." यह बयान भाजपा-जदयू गठबंधन के लिए खतरे की घंटी है, खासकर विधानसभा चुनाव से ठीक पहले.
प्रशांत किशोर के आरोप: भ्रष्टाचार का खुलासा
कुछ दिनों पहले जन सुराज प्रमुख प्रशांत किशोर ने बिहार की एनडीए सरकार पर हमला बोला था. उन्होंने डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी पर नाम बदलने, हत्या के पुराने मामले और डी.लिट. डिग्री की वैधता पर सवाल उठाए. जदयू नेता अशोक चौधरी पर 200 करोड़ की अवैध संपत्ति खरीदने, दिलीप जायसवाल पर भ्रष्टाचार और फंडिंग के दुरुपयोग के आरोप लगाए. किशोर ने कहा, "नीतीश कुमार ईमानदार हो सकते हैं, लेकिन उनके मंत्री और अधिकारी करोड़ों की लूट कर रहे हैं. भाजपा के नेता आरजेडी से भी ज्यादा भ्रष्ट हैं." आमतौर पर दल अपने नेताओं का बचाव करते हैं, लेकिन इस बार भाजपा के अंदर ही सिंह ने मांग उठाई कि आरोपी नेता सबूतों के साथ खुद को निर्दोष साबित करें. जदयू ने भी अशोक चौधरी पर आरोपों से दूरी बनाते हुए नीतीश कुमार की साफ छवि पर जोर दिया.
आर.के. सिंह का राजनीतिक सफर और हार का बदला
भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) से राजनीति में आए आर.के. सिंह ने गृह सचिव जैसे महत्वपूर्ण पद संभाले. मोदी सरकार में ऊर्जा और गृह राज्य मंत्री रह चुके सिंह को भाजपा ने आरा जैसी महत्वपूर्ण सीट से दो बार जिताया. लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में स्थानीय नेताओं के विरोध और कथित आंतरिक साजिशों के कारण वे हार गए. इस हार का आक्रोश उनके बयान में साफ झलक रहा है. आरा, बक्सर और भोजपुर क्षेत्र में उनका अभी भी प्रभाव है, जो भाजपा का परंपरागत गढ़ माना जाता है.
गठबंधन पर संकट: भाजपा की विश्वसनीयता दांव पर
सम्राट चौधरी बिहार के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के अगले चेहरे हैं, जबकि दिलीप जायसवाल संगठन के प्रदेश अध्यक्ष. सिंह का बयान सीधे पार्टी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़ा करता है. भाजपा-जदयू गठबंधन पहले से नीतीश कुमार की महत्वाकांक्षाओं और नए चेहरों की तलाश से जूझ रहा है. ऐसे में वरिष्ठ नेता का खुला विरोध कार्यकर्ताओं में भ्रम फैला सकता है.
विपक्ष को मिला मौका: बगावत का खतरा
सिंह की सबसे विस्फोटक धमकी है—अगर 'पीठ में छुरा घोंपने वालों' को टिकट मिला तो वे गठबंधन के खिलाफ प्रचार करेंगे. यदि वे बगावत पर उतर आए, तो आरा सीट गठबंधन के हाथ से फिसल सकती है और आसपास के इलाकों में असर पड़ेगा. भाजपा अगर आरोपों को नजरअंदाज करती है, तो लगेगा कि पार्टी भ्रष्टाचार को गंभीरता से नहीं लेती. वहीं, कार्रवाई करने पर गठबंधन में असंतोष बढ़ेगा.
आरजेडी, कांग्रेस और वाम दल पहले से भाजपा पर 'दोहरी राजनीति' का आरोप लगाते रहे हैं. सिंह का बयान उनके लिए 'सोने पर सुहागा' है. तेजस्वी यादव जैसे नेता इसे ग्रामीण सभाओं और सोशल मीडिया पर भुनाएंगे, कहकर कि भाजपा अपने नेताओं को भ्रष्टाचार का संरक्षण देती है. इससे भाजपा का भ्रष्टाचार-विरोधी अभियान कमजोर पड़ सकता है. बिहार चुनाव से पहले यह विवाद एनडीए के लिए बड़ा संकट बन सकता है.