बिहार के पूर्व मंत्री बृजबिहारी हत्याकांड, SC ने पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला की उम्रकैद की सजा रखी बरकरार

13 जून, 1998 को बिहार सरकार के मंत्री रहे बृज बिहारी प्रसाद की हत्या की गई थी. इस मामले में मुन्ना शुक्ला समेत 6 आरोपियों को उम्र के की सजा दी गई थी. हालांकि हाई कोर्ट के द्वारा इन सभी को बरी कर दिया गया था. बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी रमा देवी और सीबीआई की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अपील की गई थी. साल 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने हत्याकांड में मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी की उम्र कैद की सजा बरकरार रखा थी.

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बृज बिहारी प्रसाद बिहार के दिग्गज नेता थे. साल 1998 में उनकी हत्या कर दी थी.
नई दिल्ली:

बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद हत्याकांड में मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को बड़ा झटका लगा. सुप्रीम कोर्ट ने बृजबिहारी हत्याकांड के दोषी पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला की उम्रकैद की सजा बरकरार रखा है. सुप्रीम कोर्ट ने सजा को लेकर दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने उम्रकैद की सजा पर फिर से विचार करने से इनकार कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने 6 मई के फैसले में कहा कि पुनर्विचार का कोई केस नहीं बनता.  दरअसल पिछले साल जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस आर महादेवन की पीठ ने हाईकोर्ट के बरी करने के फैसले को रमा देवी की याचिका पर पलट दिया था. मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी. इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में वकील नमित सक्सेना के माध्यम से मुन्ना शुक्ला ने आदेश पर पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. 

बता दें कि बृज बिहारी प्रसाद बिहार के दिग्गज नेता थे. 1998 में दिनदहाड़े उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. उस वक्त वे बिहार सरकार में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री थे. बृज बिहारी प्रसाद इंजीनियरिंग एडमिशन घोटाले में आरोपी थे. गिरफ्तारी के बाद तबीयत खराब होने पर उन्हें पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान केंद्र में भर्ती कराया गया था. अस्पताल में शाम की सैर के दौरान उन्हें गोली मार दी गई थी.

इस मामले में बिहार के बाहुबली सूरजभान सिंह और मुन्ना शुक्ला समेत 8 आरोपियों को 2009 में निचली अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई थी, लेकिन 2014 में पटना हाईकोर्ट ने सभी को बरी कर दिया था. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की पूर्व सांसद एवं बृज बिहार प्रसाद की पत्नी रमा देवी और केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने साक्ष्य के अभाव में आरोपियों को बरी करने के उच्च न्यायालय के 2014 के आदेश को चुनौती दी थी. 4 अक्टूबर, 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने इस बड़े हत्याकांड में मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को उम्र कैद की सजा बरकरार रखा था. 

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इस हत्या मामले में सूरजभान सिंह और राजन तिवारी सहित अन्य को अदालत ने बरी कर दिया था.

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