- कटिहार जिले में नदियों के उफान से कई गांव जलमग्न हो गए हैं और लोग सुरक्षित स्थानों पर जाने को मजबूर हैं
- मनिहारी प्रखंड के बघार पंचायत के 16 वार्ड बाढ़ से प्रभावित हैं, विशेषकर मेदनीपुर गांव में स्थिति गंभीर है
- बाढ़ का पानी घरों में घुस चुका है, लोग तिरपाल, नाव और ऊंचे स्थानों पर शरण लेकर जीवन यापन कर रहे हैं
बिहार में इन दिनों ज्यादातर नदियां उफान पर हैं. नदियों के बढ़े जलस्तर की वजह से सूबे के कई जिले बाढ़ की मार झेल रहे हैं. कई जिलों की हालत तो इतनी खराब हो चुकी है कि यहां रहने वाले लोगों को अपने गांव को छोड़कर किसी सुरक्षित जगहों पर जाना पड़ा है. ऐसा ही एक जिला है कटिहार. बिहार के कटिहार में भी बाढ़ से बुरा हाल है. नदियों का बढ़ा जलस्तर कई गांवों में घुस चुका है. स्थिति ये है कि गांवों में कई-कई फीट पानी है. लोग मजबूरी में अपने घरों को छोड़कर किसी ऊंचीं जगह पर जाने को मजबूर हैं.
कटिहार के मनिहारी प्रखंड के कई पंचायत बाढ़ से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ है. बघार पंचायत के 16 वार्ड भी बुरी तरह बाढ़ से प्रभावित है,जिसमें मेदनीपुर गांव में गंगा के जल लगातार बढ़ने से हालात बद से बदतर हो गया है. बाढ़ का पानी अब गांव की गलियों से होते हुए घर-घर में घुस चुका है. कई मकान जलमग्न हो चुके हैं और लोग अपने परिवार को तिरपाल, नाव और ऊंचे स्थानों पर शरण दिलाने को मजबूर हैं.
स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि पिछले कई दिनों से पानी की समस्या गंभीर बनी हुई है, लेकिन अब तक न तो जिला प्रशासन और न ही पंचायत स्तर से कोई राहत सामग्री पहुंचाई गई है. उनका कहना है कि प्रशासन ने अभी तक उनके लिए किसी तरह की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं कराई है.
NDTV ने इन बाढ़ प्रभावित इलाकों का दौरा किया तो वहां की मौजूदा स्थिति बेहद चिंताजनक नजर आई. ग्रामीणों का कहना है कि सरकार और नेता चुनाव के समय तो घर-घर आते हैं, लेकिन संकट की घड़ी में उनका कोई अता-पता नहीं है.
वहीं बघार पंचायत के मुखिया पिंटू कुमार यादव ने मौके पर से बातचीत करते हुए कहा कि सरकार और प्रशासन तत्काल राहत सामग्री,नाव,पीने का पानी और स्वास्थ्य शिविर की व्यवस्था करे साथ ही पशु के लेकर भटक रहे पशु पलकों के लिए चारा का व्यवस्था करे वरना हालात और बिगड़ सकते हैं.
फिलहाल गांव के लोग अब अपनी सुरक्षा और जीवन यापन के लिए पूरी तरह से स्वयं पर निर्भर हैं. कई घरों में बच्चे और महिलाएं नाव का इंतजार कर रही हैं, ताकि उन्हें सुरक्षित स्थानों पर ले जाया जा सके.