- बिहार में चुनाव दो चरणों में 6 और 1 नवंबर को होंगे. 14 नवंबर को मतगणना के बाद नतीजों की घोषणा होगी
- CEC ज्ञानेश कुमार ने आधार कार्ड को मतदाता सूची में जोड़ने को लेकर उठे सवालों का जवाब भी दिया
- CEC ने कहा- आधार को पहचान के 12वें दस्तावेज के रूप में माना गया है, लेकिन यह नागरिकता का प्रमाण नहीं है
चुनाव आयोग ने सोमवार को बिहार विधानसभा चुनाव की तारीखों का ऐलान कर दिया. राज्य में दो चरणों में मतदान होगा पहला चरण 6 नवंबर को और दूसरा चरण 11 नवंबर को आयोजित किया जाएगा. मतगणना 14 नवंबर को होगी.
मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने प्रेस वार्ता के दौरान आधार कार्ड को मतदाता सूची में जोड़ने को लेकर उठे सवालों का जवाब भी दिया. एनडीटीवी के सवाल पर उन्होंने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के अनुसार आधार कार्ड को पहचान के लिए 12वें दस्तावेज के रूप में स्वीकार किया गया है, लेकिन यह नागरिकता या निवास का प्रमाण नहीं है.
ज्ञानेश कुमार ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि आधार को पहचान पत्र के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है, लेकिन आधार अधिनियम की धारा 9 के मुताबिक यह न तो नागरिकता का प्रमाण है और न ही निवास का. पहले भी कई फैसलों में यह स्पष्ट किया जा चुका है कि आधार जन्मतिथि का प्रमाण भी नहीं है. आधार केवल पहचान का प्रमाण है."
उन्होंने बताया कि बिहार में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) पूरी तरह पारदर्शी ढंग से किया गया. जब उनसे पूछा गया कि क्या राजनीतिक दलों ने आयोग से मुलाकात में इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए थे, तो मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि शुरुआत में कुछ भ्रांतियां थीं, लेकिन जैसे ही लोगों को हकीकत समझ में आई, उन्होंने आयोग का समर्थन किया.
आयोग में मुताबिक, पहले चरण में 121 विधानसभा सीटों पर और दूसरे चरण में 122 सीटों पर मतदान होगा. इसके साथ ही आयोग ने सात राज्यों की आठ विधानसभा सीटों पर होने वाले उपचुनावों का भी ऐलान किया है. इनका परिणाम भी 14 नवंबर को घोषित किया जाएगा.
बिहार चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही अब राज्य में सियासी हलचल तेज हो गई है और पार्टियां अपने-अपने उम्मीदवारों और रणनीतियों को अंतिम रूप देने में जुट गई हैं.