बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर EC ने पटना में की बैठक, RJD ने इस मुद्दे पर जताई आपत्ति 

चुनाव आयोग की टीम पटना के अलावा कुछ और बड़े शहरों में भी जाएगी. सबसे बड़ा मुद्दा बिहार में चुनाव के समय को लेकर था. इस पर विस्तार से बिहार के पदाधिकारियों से चर्चा हुई और विभिन्न राजनीतिक दलों से भी इस मुद्दे पर चर्चा होगी.

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चुनाव आयोग के 9 सदस्यीय टीम के दौरे के साथ ही बिहार में चुनाव की तैयारियों ने जोर पकड़ लिया. आज तड़के दिल्ली से चुनाव आयोग की टीम पटना बिहार में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों का जायजा लेने पहुंची. टीम ने पहले बिहार में तैनात चुनाव आयोग के वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक की और वोटर पुनरीक्षण का काम समय से पूरा के लिए आवश्यक निर्देश जारी किए. मतदान प्रतिशत को बढ़ाने के लिए जागरूकता अभियान को चलाने पर भी जोर दिया गया और चुनाव आयोग ने यह भी सुनिश्चित करने वादा किया कि मतदान केंद्र ऐसे जगहों पर बनाए जाएंगे कि ज्यादा से ज्यादा लोग मतदान कर सकें और किसी को भी दूरी या भीड़ के चलते असुविधा न हो. 

सुरक्षा को लेकर हुई चर्चा

चुनाव के दौरान सुरक्षा भी आज के बैठक में एक अहम मुद्दा रही. इस मुद्दे पर चुनाव आयोग के टीम ने राज्य के विधि व्यवस्था से जुड़े वरिष्ठ पदाधिकारियों के साथ बैठक की. बैठक के दूसरे दौर में सभी जिलों के जिलाधिकारी मौजूद थे, जिनके साथ चुनाव आयोग की टीम ने जिलेवार तैयारियों की समीक्षा की. विधि व्यवस्था को लेकर चुनाव आयोग ने सख़्ती बरतने के निर्देश दिए और सभी पुलिस अधिकारियों एवं जिलाधिकारियों को आदेश दिया कि चुनाव में गड़बड़ी करने वाले जो लोग पहले से चिन्हित हैं, उनके खिलाफ अभी से कार्रवाई शुरू की जाए.

वोटर लिस्ट पुनरीक्षण पर विवाद

इस 3 दिवसीय दौरे में चुनाव आयोग की टीम सभी राजनीतिक दलों से भी मिलेगी तथा उनसे सुझाव मांगेगी. राजद ने हालांकि अभी से अपनी नाराजगी जाहिर कर दी है,  खासकर वोटर लिस्ट पुनरीक्षण के मुद्दे को लेकर. राजद का कहना है कि इसमें बड़े पैमाने पर गरीबों को और उनके समर्थक वोटरों को निकाले जाने का अंदेशा है तथा चुनाव आयोग यह सुनिश्चित करें कि ये पूरी प्रक्रिया निष्पक्ष रहे तथा इसमें किसी तरह की गड़बड़ी नहीं हो. वोटर पुनरीक्षण के मुद्दे पर पूर्व में भी बंगाल में ममता बनर्जी ने इस पर अपनी आपत्ति जताई थी. अब राजद भी उसी खेमे में जाकर खड़ा है. 

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डेट को लेकर मंथन

चुनाव आयोग की टीम पटना के अलावा कुछ और बड़े शहरों में भी जाएगी. सबसे बड़ा मुद्दा बिहार में चुनाव के समय को लेकर था. इस पर विस्तार से बिहार के पदाधिकारियों से चर्चा हुई और विभिन्न राजनीतिक दलों से भी इस मुद्दे पर चर्चा होगी. चूंकि बिहार में चुनाव की प्रक्रिया 15 नवंबर तक खत्म करनी है तो चुनाव उसके पहले संपन्न होना जरूरी है,  लेकिन ठीक चुनाव के समय दशहरा, दिवाली और बिहार का सबसे महत्वपूर्ण छठ पर्व होगा. लिहाजा चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि वो चुनाव की जो तारीख़ रखें, उनका किसी भी हालत में टकराव इन त्योहारों से न हो, नहीं तो इसका सीधा असर वोट प्रतिशत पर पड़ेगा.

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परीक्षा का भी ध्यान

इसके साथ ही राज्य में होने वाले विभिन्न परीक्षाओं की तिथि भी मंगाई गई है, ताकि बिहार चुनाव की तिथि घोषित करते समय उनका भी ख्याल रखा जा सके. चुनाव आयोग ने लोकसभा के तर्ज पर इस बार भी चुनाव की तिथि रविवार एवं शनिवार को नहीं करने की वकालत की ताकि इससे वोट प्रतिशत बढ़े. चुनाव आयोग की कोशिश होगी कि चुनाव सोमवार से लेकर शुक्रवार के बीच में किसी कार्य दिवस पर ही हो ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग चुनाव की प्रक्रिया हिस्सा ले सकें और शनिवार रविवार को वो उसे छुट्टी के तौर पर ना इस्तेमाल करे.

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