कोसी क्षेत्र का विकास, सहरसा में रेलमंडल... लोकसभा में पप्पू यादव ने उठाई कई मांगें

पप्पू यादव ने कहा कि रेलवे गंभीरता से सोंचे तो उत्तर बिहार का इलाका रेल के क्षेत्र में सामरिक रूप से समृद्ध हो सकता है. उन्होंने सहरसा को रेलमंडल बनाने की मांग की है. (सहरसा से कन्हैया की रिपोर्ट)

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सहरसा:

कोसी क्षेत्र के विकास के लिए पुर्णिया से सांसद पप्पू यादव ने संसद के शीतकालीन सत्र में अपनी बात रखी है. उन्होंने कहा कि उनकी मांगों पर केंद्र सरकार खासकर रेलवे गंभीरता से सोंचे तो उत्तर बिहार का इलाका रेल के क्षेत्र में सामरिक रूप से समृद्ध हो सकता है. उन्होंने सहरसा को रेलमंडल बनाने की मांग की है.

पप्पू यादव की प्रमुख मागें

  • 1973 से 1975 के बीच तत्कालीन रेलमंत्री ललित नारायण मिश्र के खींचे खांके पर काम नहीं हुआ
  • रेलमंत्री रहे नीतीश कुमार और रामविलास पासवान की घोषणाओं पर भी काम नहीं हुआ
  • 2005 में रेलमंत्री बनने के बाद लालू प्रसाद द्वारा लाई गई अधिकतर योजनाएं या तो पूरी हुई या अभी काम जारी है.

अंग्रेजी काल में 1887 में बनाए गए सहरसा स्टेशन का 137 वर्षों में आंशिक विकास तो हुआ है. लेकिन अपेक्षित विकास नहीं हुआ है. हालांकि, उत्तर में नेपाल के सीमावर्ती जोगबनी और फारबिसगंज, पूरब में पुर्णिया, कटिहार और दक्षिण में मानसी, खगड़िया से जुड़े होने के कारण सहरसा स्टेशन प्रारंभिक काल से ही जंक्शन रहा है. देश की आजादी के बाद साल 1973 से 1975 तक इसी जिले के (अब सुपौल) ललित नारायण मिश्र देश के रेलमंत्री बने. रेलमंत्री रहते उन्होंने कोसी के इलाके में रेलवे को समृद्ध करने का एक विस्तृत खांका खींचा था, जिसमें से अधिकतर योजना आज तक लंबित है.

अमृत भारत योजना के तहत पूर्व मध्य रेल के 97 स्टेशनों का पुनर्विकास किया जा रहा है. इसमें समस्तीपुर मंडल के सहरसा स्टेशन का विकास लगभग 41 करोड़ रुपये की लागत से हो रहा है. सिमरी बख्तियारपुर स्टेशन पर 14.55 करोड़ रुपये की लागत से, सुपौल स्टेशन पर 14.28 करोड़ रुपये की लागत से और दौरम मधेपुरा स्टेशन पर 16.18 करोड़ रुपये की लागत से निर्माण हो रहा है. सहरसा जंक्शन पर प्लेटफॉर्म और फुट ओवरब्रिज (एफओबी) की संख्या बढ़ाने के साथ लिफ्ट व एस्केलेटर की भी सुविधा होगी. अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त वेटिंग हॉल (प्रतीक्षालय) होंगे और सर्कुलेटिंग एरिया का विकास भी किया जाएगा. दो की जगह चार प्रवेश व निकास द्वार होंगे. पार्किंग की सुविधा विकसित होगी. इतनी बड़ी राशि के खर्च होने से स्टेशन भव्य, आकर्षक व दर्शनीय तो हो जाएगा, लेकिन लंबी दूरी की ट्रेनों की संख्या नहीं बढ़ाए जाने से लोगों को कोई फायदा नहीं होगा.

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