बिहार में मिली करारी हार के बाद एक्शन में कांग्रेस, 43 नेताओं के बाद अब 15 जिलाध्यक्षों को भी नोटिस

बैठक में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने नेताओं से कहा था कि राजद से गठबंधन चुनावी है. उनसे कोई सांगठनिक गठबंधन नहीं है. इसलिए संगठन के विस्तार से राजद नहीं रोक सकता.

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बिहार की हार पर जिलाध्यक्षों के साथ बैठक करते कांग्रेस नेता.
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  • बिहार चुनाव में कांग्रेस को मिली हार के बाद पार्टी ने पटना में समीक्षा बैठक बुलाई, हार के कारणों पर चर्चा की.
  • 1 दिसंबर को हुई जिलाध्यक्षों की बैठक में बिहार के 15 जिलाध्यक्ष अनुपस्थित रहे, जिन्हें नोटिस जारी किया गया है.
  • पार्टी नेताओं ने हार के कारणों में जीविका दीदियों को दिए गए पैसे, गठबंधन में समन्वय की कमी को बताया.
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पटना:

बिहार विधानसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद अब कांग्रेस एक्शन मोड में नजर आ रही है. नई दिल्ली में हुई समीक्षा बैठक के बाद पटना में कांग्रेस नेताओं की बैठक बुलाई गई थी. इस बैठक में विधानसभा चुनाव में मिली हार के कारणों की चर्चा होनी थी. लेकिन इस बैठक में बिहार कांग्रेस के 15 जिलाध्यक्ष शामिल नहीं हो सके. जिसके बाद कांग्रेस ने समीक्षा बैठक से अनुपस्थित रहने वाले 15 जिलाध्यक्षों को नोटिस जारी किया है. 

1 दिसंबर को पटना में हुई थी जिलाध्यक्षों की बैठक

दरअसल कांग्रेस ने 1 दिसंबर को बिहार के सभी जिलाध्यक्षों की बैठक बुलाई थी. बैठक में प्रभारी कृष्णा अल्लावरू, प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम, पूर्व CLP लीडर शकील अहमद खान ने सभी से फीडबैक लिया था. हार के कारणों की समीक्षा की गई थी. 

इन जिलों के जिलाध्यक्ष बैठक में नहीं हुए थे शामिल

इस बैठक में पश्चिमी चंपारण, पूर्वी चंपारण, अररिया, मधुबनी, कटिहार, सुपौल, भागलपुर, जमुई, बक्सर, गया, लखीसराय, मुंगेर, शेखपुरा, पटना ग्रामीण के दोनों जिलाध्यक्ष अनुपस्थित रहे थे. इन सभी को नोटिस जारी किया गया है. 

बैठक में कांग्रेस नेताओं ने हार के बताए ये कारण

बैठक में अधिकतर नेताओं ने जीविका दीदियों को दिए गए दस हजार रुपए, गठबंधन में समन्वय की कमी, फ्रेंडली फाइट जैसे कारण गिनाए. कई जिलाध्यक्षों ने कहा कि उन जिलों में कांग्रेस को सीटें नहीं मिली, इससे भी पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल गिरा. 

पहले 43 नेताओं को दिया था नोटिस

यह पहला मौका नहीं है जब कांग्रेस ने अपने नेताओं को नोटिस जारी किया हो. पिछले दिनों कांग्रेस ने 43 नेताओं को पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप में नोटिस थमाया था. इनमें पूर्व विधायक छत्रपति यादव, बंटी चौधरी, गजानंद शाही, आनंद माधव जैसे बड़े नाम शामिल थे. हालांकि इन नेताओं ने अनुशासन समिति के गठन पर ही सवाल उठाए थे. 

राजेश राम बोले- राजद से गठबंधन चुनावी

बैठक में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ने नेताओं से कहा था कि राजद से गठबंधन चुनावी है. उनसे कोई सांगठनिक गठबंधन नहीं है. इसलिए संगठन के विस्तार से राजद नहीं रोक सकता. जिलाध्यक्षों, फ्रंटियल ऑर्गेनाइजेशन के अध्यक्षों के साथ बैठक के बाद इन नेताओं ने नवनिर्वाचित 6 विधायकों से भी बातचीत की. 

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