बिहार की उम्मीद का नाम चिराग...पटना की सड़क पर लगे पोस्टर

तीसरी बार लोकसभा में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे चिराग पासवान ने कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन हाल में उन्होंने राज्य की राजनीति के प्रति अपनी रुचि साफतौर पर जाहिर की है.

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पटना:

बिहार विधानसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आते जा रहे हैं, उतनी सियासी हलचल भी तेज होती जा रही है. चिराग पासवान ने कुछ दिन NDTV से हुई खास बातचीत के दौरान कहा था कि पार्टी कार्यकर्ता में मुझे तो मुंख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं. मेरा विजन भी बिहार फर्स्ट का है. जैसे ही चिराग पासवान ने अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा जाहिर की वैसे ही उनके आगामी विधानसभा चुनाव में लड़ने की बात भी कही जाने लगी. इसी बीच बिहार में चिराग पासवान के पोस्टर भी लगने शुरू हो गए हैं.

बिहार की सड़क पर चिराग के पोस्टर

पटना की सड़क पर चिराग पासवान के जो पोस्टर लगे हैं, उसमें लिखा है कि बिहार की उम्मीद का नाम है चिराग पासवान. पोस्टर पर नीचे लिखा है कि जब नेता पूरे बिहारे के हैं तो फिर सीमित सीट बंटवारा क्यों? बिहार का भविष्य तो चिराग ही बदलेंगे. पोस्टर में लिखा है कि बिहार के लोगों को आपसे (चिराग) उम्मीद है. आइए और अब बिहार और यहां के लोगों की उम्मीदों को संभालिए.

चिराग क्या बिहार विधानसभा चुनाव लड़ेंगे? 

चिराग पासवान के जीजा और लोग जनशक्ति पार्टी रामविलास के सांसद अरुण भारती ने ट्विटर के माध्यम से कहा है कि चिराग पासवान विधानसभा चुनाव लड़ेंगे, ऐसे में पटना में चिराग पासवान को लेकर पोस्टर लगाया गया है. इस पोस्टर में चिराग को शेखपुरा विधानसभा से चुनाव लड़ने की बात कही गई है. बिहार का उम्मीद का नाम चिराग है, जब नेता पूरे बिहार का तो सीट का देहरा सीमित क्यों? अपने ही सरकार पर सवाल खड़े किए हैं, पलायन अब चिराग पासवान ही रोक सकते हैं. रोजगार चिराग पासवान ही दे सकते हैं. 

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चुनाव में चिराग का फैक्टर कितना अहम

बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर NDA में सीट बंटवारे की बातचीत अभी शुरू नहीं हुई है और इसके घटक कठिन सौदेबाजी से पहले खुद को आगे बढ़ा रहे हैं. दलित समुदाय के प्रमुख नेता रामविलास पासवान द्वारा स्थापित पार्टी खुद को राज्य में सत्तारूढ़ गठबंधन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण मानती है, जहां राजद-कांग्रेस-वाम गुट दो दशक के बाद कुमार को सत्ता से हटाने की कोशिश में हैं. साल 2020 के विधानसभा चुनाव में राजग से बाहर निकलने और नीतीश कुमार के साथ अपने मतभेदों के कारण ज्यादातर जद (यू) के खिलाफ अपने उम्मीदवार खड़े करने के पासवान के फैसले से राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी को भारी नुकसान हुआ, जिससे वह भाजपा के मुकाबले निश्चित रूप से पीछे हो गई और विपक्ष सत्ता से कुछ ही दूर रह गया.

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हालांकि, पासवान की पार्टी उस चुनाव में केवल एक सीट जीत सकी और बाद में उसे विभाजन का सामना करना पड़ा, लेकिन बाद में उसने अपना राजनीतिक जादू फिर से हासिल कर लिया तथा 2024 के लोकसभा चुनाव में उसने पांच लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ा और सभी पर जीत हासिल की. केंद्रीय मंत्री जीतन राम मांझी और पूर्व केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा के नेतृत्व वाली पार्टियां 243 सदस्यीय विधानसभा वाले राज्य में राजग की अन्य सहयोगी हैं. तीसरी बार लोकसभा में अपने क्षेत्र का प्रतिनिधित्व कर रहे चिराग पासवान ने कभी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ा, लेकिन हाल में उन्होंने राज्य की राजनीति के प्रति अपनी रुचि व्यक्त की है.

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