- बिहार में चुनाव के बाद मुख्यमंत्री कौन होगा, इस पर एनडीए और महागठबंधन दोनों में स्पष्टता नहीं बनी है
- महागठबंधन में तेजस्वी को मुख्यमंत्री चेहरे के रूप में घोषित करने को लेकर कांग्रेस और अन्य सहयोगी असहमत हैं
- तेजस्वी यादव पर IRTC मामले में चार्जशीट ने उनके मुख्यमंत्री चेहरे बनने की संभावना पर संकट पैदा किया है
बिहार में चुनावी माहौल अपने चरम पर है, पर दोनों गठबंधन में अब तक यह साफ नहीं है कि चुनाव के बाद जीते तो मुख्यमंत्री कौन बनेगा? एक तरफ NDA की बात करें, तो बीजेपी यह तो जरूर कहती है कि नीतीश कुमार के लीडरशिप में ही चुनाव लड़े जाएंगे, लेकिन चुनाव के बाद सीएम कौन होगा इसको लेकर स्पष्ट जवाब देने बचती है. NDA में सीएम फेस को लेकर अमित शाह से लेकर अन्य भाजपा नेताओं के बयान बिल्कुल स्पष्ट है. वहीं महागठबंधन की बात करें, तो यह स्थिति और बद से बदतर है. महागठबंधन में सीएम फेस को लेकर राजद अपने सहयोगियों के ही विश्वास जितने में ही अबतक असफल रही है. तेजस्वी और राजद चाहती है कि उन्हें गठबंधन का सीएम फेस घोषित किया जाए, लेकिन इसके लिए सहयोगी खासकर कांग्रेस तैयार नहीं है. इस बारे में राहुल गांधी, राज्य प्रभारी कृष्णा अलवरु,अध्यक्ष राजेश राम और अन्य बड़े नेताओं के बयान आ चुके है.
बिहार में महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरे का नाम अब तक घोषित नहीं किया गया है. ऐसी खबर जरूर आई थी कि तेजस्वी यादव और सहयोगी दलों की पटना में हुई बैठक में बाकी बातों के अलावा महागठबंधन के मुख्यमंत्री चेहरे पर भी सहमति बन गई है, लेकिन औपचारिक तौर पर ऐलान नहीं अब तक हुआ है.
IRCTC मामले में तेजस्वी यादव पर चार्जशीट और कांग्रेस का रुख
कांग्रेस तेजस्वी को सीएम फेस बनाने को लेकर पहले से ही आनाकानी कर रही थी, अब IRTC मामले चार्जशीट ने इस कहानी में एक नया मोड दे दिया है. इस केस में तेजस्वी यादव पर आरोप तय होने के बाद उनको विपक्ष के मुख्यमंत्री पद का चेहरा बनाए जाने पर नया संकट मंडराने लगा है. कांग्रेस को ऐसा लगता है कि तेजस्वी के चेहरा को आगे कर के चुनाव लड़ने पर विपक्ष भ्रष्टाचार को मुद्दा बना सकती है, जिसका नुकसान चुनाव में गठबंधन को उठाना पड़ सकता है.
चेहरा घोषित करने के फ़ायदे और नुकसान!
राजद के तरफ से अपने सहयोगियों पर भारी दबाव है कि तेजस्वी को सीएम फेस घोषित किया जाए. इससे राजद के आधार वोट मुस्लिम यादव समीकरण को मजबूती मिलेगी. ऐसा माना जाता है कि आज भी राजद का माई समीकरण पर मजबूत पकड़ बनी हुई है. हालांकि, पिछले विधानसभा चुनाव में AIMIM की सीमांचल में उपस्थिति ने राजद के माय समीकरण में सेंध लगाकर कई सीटों पर नुकसान पहुंचाया.
वही कांग्रेस और कई राजनैतिक पंडितों का भी मानना है कि तेजस्वी को सीएम फेस घोषित करने से गैर यादव ओबीसी वोट इबीसी और उच्च जातियों के वोट गठबन्धन से छिटक सकते है. गाहे बजाए विपक्ष जंगल राज का राग समय समय पर छोड़ते ही रहते है. पिछले दो तीन चुनावों को अध्ययन करें, तो यह बिल्कुल स्पष्ट है राजद माय समीकरण के अलावा अपने आधार वोट को विस्तार देने में असफल रही है.
राजद पर दबाव बनने की कोशिश
पिछले कई चुनावों को देखे तो गठबंधन में लालू परिवार की तूती चलती थी. पर पहली बार ऐसा देखने को मिल रहा है कि कांग्रेस लालू तेजस्वी के दवाब में नहीं आ रही. चाहे बिहार में SIR यात्रा हो या सीटों का वितरण या सीएम फेस को लेकर आनाकानी. कांग्रेस का ही दवाब है कि अभी तक आधिकारिक रूप से सीटों तक बंटवारा नहीं हो पाया, कांग्रेस अपने मनपसंद की सीटें चाहती है.
गठबंधन या लठबंधन
विपक्षी खेमा में जिस प्रकार से सीटों का बंटवारा हुआ है, उससे प्रतीत होता है कि महागठबंधन में कुछ भी ठीक नहीं चल रहा. राजद और अन्य सहयोगी आपस में ऐसे उलझे हुए हैं, जैसे लगता है कि इनकी लड़ाई NDA से नहीं, बल्कि अपने सहयोगियों से ही हो. गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका निभाने वाले राजद खुद अधिक से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने चाहती है. वहीं कांग्रेस इस बार ठीक ठाक संख्या के साथ जिताऊ समीकरण वाले सीटें लड़ना चाहती है. पिछले चुनाव में बेहतर स्ट्राइक रेट होने के कारण वामदलों का दावा से बार और अधिक है. वही VIP के मुकेश साहनी DYCM पद के साथ साथ तीन दर्जन से अधिक सीटें चाहिए.
गठबंधन के अन्य घटक दल मसलन कांग्रेस, वीआईपी और वामदलों के प्रत्याशियों ने भी एक दूसरे के सीट पर नामांकन दाखिल कर किया है. राजद ने लालगंज और वैशाली सीट पर अपना उम्मीदवार उतार दिया है, जबकि इन क्षेत्रों से कांग्रेस ने पहले ही अपने प्रत्याशी उतार रखा हैं, जिन्होंने नामांकन भी दाखिल कर दिया है. राजद कांग्रेस में तनातनी की स्थिति तब और बढ़ गई, जब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम की सीट कुटुंबा पर राजद ने ओर से प्रत्याशी उतारने के बाद राजद-कांग्रेस में तनातनी चरम पर पहुंच गई है. चुनाव होने में अब कुछ दिन ही शेष बचे हुए हैं, लेकिन अभी भी आधिकारिक रूप से स्पष्ट नहीं है कि कौन कितनी सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
तेजस्वी यादव ने खुद को महागठबंधन का CM चेहरा घोषित कर दिया
तेजस्वी यादव अब अपनी राजनीतिक पहचान को लालू यादव की विरासत से अलग बढ़कर पेश करने लगे हैं. कांग्रेस से मुख्यमंत्री चेहरे की मंजूरी न मिलने के बाद भी वो खुद को बिहार चुनाव 2025 के लिए ब्रांड-तेजस्वी के रूप में पेश कर रहे हैं, और अपना नाम लेकर समझाते हैं- 'बिहार में बदलाव तो तेजस्वी यादव ही लाएगा.'
ये भी पढ़ें :- कुर्ता फाड़ के...लालू यादव के घर के सामने फूट-फूटकर रोने लगे पार्टी के नेता
(Except for the headline, this story has not been edited by NDTV staff and is published from a press release)