बिहार के पूर्व उप-मुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी (Sushil Kumar Modi) ने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर NDA के घटक दलों को सार्वजनिक बयानबाजी नहीं करनी चाहिए. सभी दलों को मिलकर बैठना चाहिए और विकास की गति बढ़ाने की दिशा में इसपर चर्चा करनी चाहिए. उन्होंने ट्वीट किया, 'भारत बड़ी आबादी वाला देश है, इसलिए इस मुद्दे पर वैधानिक, प्रशासनिक और अकादमिक स्तर पर भी लगातार विमर्श चलता रहा है. विश्व हिंदू परिषद ने एक बच्चे की नीति का विरोध किया है. कुछ संगठनों की राय अलग है.'
सुशील मोदी ने आगे लिखा, 'इस पर एनडीए के घटक दलों को सार्वजनिक बयानबाजी नहीं करनी चाहिए, बल्कि मिल-बैठकर यह विचार करना चाहिए कि विकास की गति बढ़ाने के लिए आबादी को कैसे नियंत्रित किया जाए और कैसे उसका उपयोग संसाधन के रूप में किया जाए.'
बताते चलें कि जनसंख्या नियंत्रण कानून को लेकर बिहार की राजनीति में खींचतान जारी है. बीजेपी एमएलसी संजय पासवान ने बुधवार को सीधे-सीधे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सोच पर सवाल उठा दिए हैं. पासवान ने कहा कि बिहार के मुख्यमंत्री को जनसंख्या नियंत्रण कानून पर बोलने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है.
संजय पासवान ने कहा कि अगर जन-जागरुकता से ही सब सही हो जाता, तो राज्य में शराबबंदी कानून की क्या जरुरत है. क्यों नहीं नीतीश कुमार ने जन-जागरुकता से लोगों की शराब छुड़ाने की कोशिश की. आज हकीकत है कि बिहार में शराबबंदी के कारण तमाम पुलिस अफसर इसी में व्यस्त रहते हैं.
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पासवान ने आगे कहा कि आज बिहार में शराबबंदी कानून का परिणाम है कि यहां लोगों में शराब सेवन को लेकर डर कायम है. नीतीश जी इसके लिए बधाई के पात्र हैं. भाजपा नेता ने कहा कि यूपी की तरह देश के दूसरे राज्यों में जनसंख्या नियंत्रण कानून की तैयारी की जा रही है. बिहार को इससे अलग रखना सही नहीं है. आज भारत में जनसंख्या की जो स्थिति है, उसके बाद कानून बनाने के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है.
संजय पासवान ने कहा कि मुख्यमंत्री भले ही इस कानून का विरोध करें, लेकिन उनकी अपनी पार्टी के अध्यक्ष आरसीपी सिंह और संसदीय कार्यसमिति अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ऐसे कानून बनाए जाने का समर्थन कर रहे हैं, इसलिए नीतीश कुमार को कानून बनाने पर विचार करना ही होगा और कोई विकल्प नहीं है.
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