इंटरव्यू : आंखों पर काला चश्मा और ठसक वाले जवाब... मोकामा के छोटे सरकार अनंत को 'बाहुबली' क्यों नहीं पसंद?

जेडीयू के मोकामा से विधायक अनंत सिंह ने एनडीटीवी से खास बातचीत में कई सवालों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि वह बाहुबली शब्द पसंद नहीं करते क्योंकि वो बाहुबली नहीं हैं, वो तो जनता से हाथ जोड़कर वोट मांगते हैं.

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अनंत सिंह का 'गर्दा' इंटरव्यू
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  • मोकामा विधानसभा सीट पर जेडीयू के टिकट पर बाहुबली नेता अनंत सिंह चुनाव लड़ रहे हैं और जनता से वोट मांग रहे हैं.
  • अनंत सिंह ने खुद को बाहुबली नहीं माना और कहा कि वे जनता से वोट हाथ जोड़कर मांगते हैं, लूटते नहीं हैं.
  • उन्होंने पार्टी बदलने को लेकर कहा कि उन्होंने निर्दलीय जीतकर और फिर जेडीयू टिकट लेकर अपनी ताकत साबित की है.
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पटना:

आंखों पर काला चश्मा लगाए, पलथी मारकर बैठे बाहुबली नेता अनंत सिंह एनडीटीवी के सवालों का बेबाकी से जवाब दे रहे थे, चेहरे पर आत्मविश्वास था और जीत को लेकर गजब विश्वास भी दिखा. वह मोकामा विधानसभा सीट पर जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं.  वह घर-घर जाकर जनता से वोट मांग रहे हैं.उनके सामने बाहुबली सूरजभान सिंह की पत्नी वीणा देवी हैं. बता दें कि उन्हें लोग छोटे सरकार कहते हैं, जो एकदम साफ-साफ बात करते हैं. एनडीटीवी के सवालों पर उन्होंने मजेदार जवाब दिए:-

सवाल: आपको लोग बाहुबली और छोटे सरकार कहते हैं. इसे अपनी तारीफ मानते हैं या बुरा लगता है?
जवाब: नहीं, ये गलत बात है. आप ही लोग बाहुबली-बाहुबली किए,  तो लोग पकड़ लिए... कोई बाहुबली बोलने लगा तो कोई छोटे सरकार बोलने लगा. अच्छा क्यों लगेगा, हम जब है ही नहीं बाहुबली तो क्यों इसे तारीफ मानेंगे. बाहुबली तब होते जब जनता का वोट लूटते या छीन लेते, लेकिन हम तो जनता से हाथ जोड़कर वोट मांगते हैं. इसमें बाहुबली जैसा क्या है. हम ये नहीं मानते.

सवाल: आप बहुत बार पार्टी बदले हैं, क्यों?
जवाब: कहां बहुत बार बदले हैं. एक बार हमें जेडीयू एमएलसी नीरज बोले कि हम जीत नहीं सकते, तो हमने उसे निर्दलीय जीतकर दिखाया. फिर बोले टिकट नहीं मिलेगा तो टिकट भी लेकर दिखाया. नीतीश कुमार के फंसाने वाले सवाल पर अनंत सिंह बोले कि हमें वो नहीं फंसाए थे.

सवाल: क्या आप पार्टी में मंत्री बनकर बड़ी भूमिका की सोच रहे हैं?
जवाब: क्या भूमिका... मंत्री की बात कर रहे हैं तो हमें मंत्री बनने की जरूरत नहीं, मंत्री बनेंगे तो कहेंगे घर चोरी से बनाया, ये चोरी किया. ये किया वो किया. जनता जो बनाती है, वही बनना है. मंत्री बनने की जरूरत नहीं. 

सवाल : अगर पार्टी ने जीत के बाद मंत्री बनाया तो कौन-सा मंत्रालय लेना पसंद करेंगे
जवाब: पहले तो मंत्री बनने की जरूरत नहीं,लेकिन अगर पार्टी ने मंत्री बनाया तो हम काम लायक मंत्री बनेंगे, जिसमें जनता की सेवा कर पाएं. कोई भी मंत्रालय दें लेकिन ढंग का दें.

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सवाल: आपको पार्टी भेजेगी तो अन्य जगहों पर भी जाकर प्रचार करेंगे क्या?
जवाब: हमें तो पार्टी ही लेकर नहीं जाएगी. अब हम विद्वान तो हैं नहीं कि मंच पर बोले और गर्दा हो जाएगा.हमारे साथ ऐसा कुछ है नहीं.  वैसे पार्टी जो बोलेगी हम करने तो तैयार हैं.हमारी पार्टी हमारे बारे में जानती है. हम तो अपने क्षेत्र में ही मंच पर नहीं चढ़े, हम तो बोल-बोलकर वोट मानते हैं. 

सवाल: प्रशांत किशोर को कैसे देखते हैं?

जवाब: मैं नहीं पहचानता. हम न पेपर देखते हैं, न मोबाइल देखते हैं और न टीवी देखते हैं. हम काम करते हैं या ये सब करते हैं.बात नहीं, विचार नहीं, देखा नहीं.. हम नहीं जानते.  मतलब प्रशांत किशोर की जीरो मान रहे हैं, उन्हें पहचानने से इनकार कर रहे हैं. इस सवाल पर अनंत बोले- हम क्यों जीरो मानेंगे, जनता ही जीरो या हीरो बनाती है.

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सवाल: तेजस्वी मान रहे हैं कि नीतीश के चेहरे से लोग 20 साल में थक गए, इस बार हम सरकार बनाने जा रहे हैं?
जवाब: ये एकदम गलत है.चुनाव में साफ हो जाएगा. कुछ दिन में उनका गठबंधन की खत्म हो जाएगा. क्या तेजस्वी के खुद के जीतने का कुछ पक्का है. क्या तेजस्वी में कोई खूबी है, सिवाय इसके कि वे लालू के बेटे हैं. 

आपको बता दें कि मोकामा अनंत सिंह का गढ़ माना जाता है, लेकिन इस बार मोकामा में महामुकाबला देखने को मिलेगा. वहां उन्हें छोटे सरकार के नाम से जाता है.अनंत के खिलाफ सूरजभान की पत्नी लड़ रही हैं, दोनों ही भूमिहर जाति से संबंध रखते हैं. इस सीट पर भूमिहर मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं. ऐसे में उनका झुकाव जिस ओर होगा, इस चुनावी युद्ध में जीत भी उसी की होगी.आपाराधिक मामलों के कारण सूरजभान सिंह के चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध लगा हुआ है.

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