प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के केंद्रीय मंत्रिपरिषद में फेरबदल को लेकर सियासी गलियारों में काफी चर्चाएं हो रही हैं. इसी बीच बिहार से पशुपति कुमार पारस के नाम पर सबकी नजरें टिकी हुई हैं. लोक जनशक्ति पार्टी के संस्थापक रामविलास पासवान का पिछले साल निधन हो गया था और ऐसे में सबकी नजरें इस ओर हैं कि उनके भाई पशुपति कुमार पारस को मंत्री बनाया जाता है या नहीं. बता दें, लोजपा इन दिनों पारस और उनके भतीजे चिराग पासवान की अगुवाई वाले दो गुटों में बंटी हुई है.
इन चर्चाओं पर चिराग पासवान ने कहा, 'उन्हें मेरी ढेर सारी शुभकामनाएं. मैं भी चाहता हूं कि उनकी मनोकामना पूरी हो. उन्होंने अपनी महत्वकांक्षा को पूरा करने के लिए अपने परिवार को तोड़ा है. इसके लिए समाज की नाराजगी मोल ली है. मेरे पिताजी के मरने के बाद उन्होंने उनकी पीठ में खंजर घोंपा है. मैं दिल से चाहता हूं कि उन्होंने इतनी बदनामी मोल ली है. इतना कुछ उन्होंने झेला है तो उनकी महत्वकांक्षा पूरी हो.'
साथ ही उन्होंने कहा, 'लेकिन मैं एक जानकारी देना चाहता हूं कि अगर लोक जनशक्ति पार्टी के सांसद के तौर पर या उसके कोटे से मंत्री बनाया जाएगा तो यह संभव नहीं है. क्योंकि लोक जनशक्ति पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी पहले ही उन्हें पार्टी से निकाल चुकी है. उन्हें उनके चार सांसदों के साथ पार्टी से निकाल चुकी है. इस बात की जानकारी चुनाव आयोग को भी दे दी गई है. वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत लिखकर इसकी जानकारी दी गई है. पार्टी में अब इन सांसदों का कोई ताल्लुक नहीं है. इनको अब निर्दलीय सांसद के रूप में देखा जाए.'
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चिराग ने साथ ही कहा, 'देखिए यह पूरी तरह प्रधानमंत्री का अधिकार क्षेत्र है कि किसे मंत्री बनाएं या किसे नहीं. उसमें मेरा दखल देना संभव नहीं है. लेकिन अगर मेरी पार्टी का सांसद बताया जाएगा तो मुझे आपत्ति होगी. उसके लिए भले मुझे कोर्ट जाना पड़े तो जाऊंगा.'
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