बिहार: पटवा टोली के बच्‍चों का जलवा बरकरार, JEE मेंस-2 में 40 से ज्‍यादा छात्रों को मिली सफलता

पटवा टोली कभी केवल सूत कातने और बुनाई के लिए जानी जाती थी, लेकिन अब ये इंजीनियरों की नर्सरी के तौर पर मशहूर हो रही है. 

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अपनी मेहनत और लगन से इन बच्‍चों ने पटवा टोली का नाम रोशन किया है.
पटना :

बिहार के गया जिले की बुनकरों की बस्ती पटवा टोली के बच्चों ने एक बार फिर अपनी प्रतिभा दिखाई है. JEE मेंस-2 के हाल ही में घोषित नतीजों में यहां के 40 से ज्यादा छात्रों ने सफलता हासिल की है और अब ये सभी 18 मई को होने वाली JEE एडवांस्ड परीक्षा में शामिल होंगे. पटवा टोली कभी केवल सूत कातने और बुनाई के लिए जानी जाती थी, लेकिन अब ये इंजीनियरों की नर्सरी के तौर पर मशहूर हो रही है. 

इन छात्रों में शामिल सागर कुमार के सिर से बचपन में ही पिता का साया उठ गया था, लेकिन 'वृक्ष' संस्था की मदद से उसने मुश्किल हालात के बावजूद 94.8 प्रतिशत अंक हासिल किए. कुछ ऐसी ही मिसाल अस्मिता कुमारी की भी है. 

बच्‍चों की सफलता से परिवार खुश 

अपनी मेहनत और लगन से इन बच्‍चों ने पूरे इलाके का नाम रोशन किया है. उनकी इस उपलब्धि से परिवार बेहद खुश हैं और उन्‍हें अपने बच्‍चों पर गर्व है.

जेईई की परीक्षा बहुत ही मुश्किल मानी जाती है. एक ही जगह के इतने ज्‍यादा छात्रों को मिलने वाली सफलता से हर कोई हैरान है. हर बार यहां के छात्र अपना परचम फहराते हैं, इसे लेकर बिहार के साथ ही देश के अन्‍य इलाकों के लोग भी यहां के बारे में जान रहे हैं. 

शनिवार को घोषित हुआ था परिणाम

गौरतलब है कि राष्ट्रीय परीक्षा एजेंसी (एनटीए) द्वारा शनिवार को इंजीनियरिंग की संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई-मेन) के परिणाम घोषित किए गए थे. इसके बाद से ही पटवा टोली के बच्‍चों की काफी चर्चा है. 
 

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