घरों में पानी, गांव बना टापू, दाने-दाने को मोहताज... बिहार के 16 जिलों में बाढ़ से भयावह हालात

सरकार का दावा है कि तटबंधों की सुरक्षा के लिए जल संसाधन विभाग की टीमें दिन-रात लगी हुई हैं. हालांकि कई तटबंधों के क्षतिग्रस्त होने के कारण कई जिलों में बाढ़ की स्थिति भयावह हो गई है.

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पटना:

बिहार में कोसी, बागमती और गंडक समेत सभी प्रमुख नदियां उफान पर हैं. नेपाल द्वारा बारिश का पानी बिहार की तरफ छोड़े जाने से कई इलाकों में नदियों के बांध टूट गए हैं और बाढ़ के हालात बन गए हैं. लोगों के घरों में पानी घुस गया है, उनके खेत-खलिहान डूब गए हैं. मजबूरी में लोग अपने जरूरी सामान और मवेशियों के साथ सुरक्षित स्थान ढ़ूढ रहे हैं. प्रदेश के 16 जिलों के 31 प्रखंड के 4 लाख से अधिक लोग बाढ़ से प्रभावित हैं. महराजगंज में भी मुसहर समुदाय के आधा दर्जन से अधिक गांव और 15 टोले बाढ़ से बुरी तरह प्रभावित हैं.

नेपाल की पहाड़ियों से निकली नारायणी नदी में उफान से बेकाबू लहरों ने महराजगंज जिले के सीमावर्ती इलाकों में खूब तबाही मचा रखी है. खेतों से लेकर रास्तों और घरों में तेजी से बाढ़ का पानी भर रहा है. जिले के सोहगीबरवा, भोतहा, शिकारपुर, गेड़हवा, कनमिसवा और लक्ष्मीपुर खुर्द गांव के करीब 15 टोले के सभी मकानों के भीतर तक पानी पहुंच गया है. ऐसे में ये क्षेत्र बाढ़ के पानी से घिरकर टापू सा नजर आ रहा है.

बाढ़ के पानी से यहां लगभग 30 हजार आबादी प्रभावित है. घरों में पानी भरने से लोगों के सामने रहने और खाने का संकट खड़ा हो गया है. रास्ते बाढ़ की चपेट में आने से सभी गांवों और टोले का संपर्क कट गया है. सुरक्षित स्थानों पर जाने के लिए ग्रामीण नाव का सहारा ले रहे हैं. सड़कों पर पांच से छह फीट तक पानी तेज धारा में बह रहा है. बाढ़ से प्रभावित लोग छतों और ऊंचे जगहों पर शरण ले रहे हैं.

घरों में पानी भर जाने से खाना बनाने की समस्या होने लगी है. ऊंचे स्थान पर चूल्हा रखकर किसी तरह खाना बना रहे हैं. पानी कम होने का नाम नहीं ले रहा है. इससे कई तरह की समस्याएं खड़ी होने लगी हैं.

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बाढ़ पीड़ितों का कहना है कि रास्तों पर पानी का तेज बहाव है. पैदल आना-जाना जोखिम भरा होने से वो नाव का सहारा ले रहे हैं. कई गांव टापू बन गए हैं. प्रशासन की ओर से दवा और लंच पैकेट का भी वितरण नहीं किया गया है.

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हालांकि बाढ़ के हालात को देखते हुए डीएम अनुनय झा और एसपी सोमेंद्र मीणा ने एडीआरएफ की स्टीमर से बाढ़ क्षेत्रों का निरीक्षण किया. साथ ही शिकारपुर गांव में लोगों के बीच राहत सामग्री बाटें. डीएम ने बताया कि बाढ़ग्रस्त इलाकों की समस्याओं को त्वरित हल करने के निर्देश दिए गए हैं. बाढ़ का पानी धीरे-धीरे नीचे उतर रहा है. अगले 24 घंटों में स्थिति सामान्य होने की उम्मीद है.

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नेपाल की पहाड़ियों से निकलने वाली नारायणी नदी यूं तो हर साल बाढ़ के दिनों में उफनाती है और नदी से सटे क्षेत्रों को डुबो कर लौट जाती है, लेकिन इस बार नारायणी नदी उग्र रूप लेकर भयावह हो गई है. नदी के लगातार घटते-बढ़ते जलस्तर से तबाही के स्वर फूट रहे हैं. नारायणी नदी की तीव्र धाराओं को नियंत्रित करने वाले अंतरराष्ट्रीय तटबंध के संवेदनशील बी गैप बांध के ठोकर संख्या 12 और 13 पर अभी भी भारी दबाव बना हुआ है. हालांकि संबंधित विभाग के अभियंता लगातार तटबंधों की निगरानी में जुटे हुए हैं.

नारायणी नदी ने इतना भयावह रूप करीब 21 साल बाद लिया है. 31 जुलाई 2003 को नारायणी का जलस्तर रिकार्ड 6 लाख 39 हजार 750 क्यूसेक तक पहुंचा था. इसके बाद नदी हर साल बरसात में उफनाती है और जलस्तर भी बढता है, लेकिन बीते शुक्रवार देर रात से ही पहाड़ों और मैदानी इलाकों में लगातार बारिश से नदी के बढ़ते जलस्तर को देख अधिकारियों की बेचैनी बढ़ने लगी थी. उसके बाद जलस्तर रिकार्ड 5 लाख 64 हजार 400 क्यूसेक पहुंच गया. जिसके चलते अंतरराष्ट्रीय बी गैप बांध के संवेदनशीलता बी गैप के ठोकर संख्या 12, 12 ए व 13 पर नदी का दबाव बढ़ने लगा है, जिसे देख सिंचाई विभाग के अभियंताओं के माथे पर चिंता की लकीरें झलकने लगी हैं.

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आपदा प्रबंधन विभाग के अनुसार, गंडक, कोसी, बागमती, महानंदा और अन्य नदियों के जलस्तर में हुई वृद्धि के कारण 16 जिलों पूर्वी चंपारण, पश्चिमी चंपारण, अररिया, किशनगंज, गोपालगंज, शिवहर, सीतामढ़ी, सुपौल, सिवान, मधेपुरा, मुजफ्फरपुर, पूर्णिया, मधुबनी, दरभंगा, सारण एवं सहरसा के 31 प्रखंडों में 152 ग्राम पंचायतों के अंतर्गत लगभग 4 लाख से अधिक की आबादी बाढ़ से प्रभावित हुई है.

बाढ़ से प्रभावित आबादी को सुरक्षित निकालने के लिए एनडीआरएफ की कुल 12 टीम और एसडीआरएफ की कुल 12 टीमों को तैनात किया गया है. इसके अतिरिक्त वाराणसी से एनडीआरएफ की तीन टीमों को भी बुलाया गया है.

बताया गया कि लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाने एवं आवागमन के लिए 630 नावों का परिचालन कराया जा रहा है. इसके अतिरिक्त बाढ़ पीड़ितों के लिए 43 राहत शिविरों का संचालन किया जा रहा है, जिसमे 11 हजार से अधिक लोग शरण लिये हुए हैं.

गौरतलब है कि नेपाल में भारी वर्षा के कारण रविवार की सुबह पांच बजे कोसी बैराज, वीरपुर से 6,61,295 क्यूसेक जलस्राव हुआ था, जो 1968 के बाद सर्वाधिक है.

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