बिहार चुनावः सहरसा के आनंद मोहन का शिवहर में दबदबा, पत्नी सांसद, बेटा विधायक, लेकिन इस बार टाइट है फाइट

इसका जीता जागता उदाहरण लोकसभा चुनाव मे दिखा जहां तीन बार से लगातार भाजपा सांसद रहे रमा देवी का टिकट कटा जदयू से बतौर उम्मीदवार अपनी पत्नी लवली आनंद को टिकट दिला सांसद बना दिया.

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बता दें कि जल्द ही बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं.
सहरसा:

शिवहर की राजनीति एक बार फिर सरगर्मी पर है. सवाल यह है कि क्या बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन का दबादबा बरकरार रह पायेगा. उनका कद उनके बेटे चेतन आनंद को जदयू से विधानसभा टिकट दिला पाएगी? 1995 से अब तक शिवहर की राजनीति में आनंद मोहन का प्रभाव निर्विवाद रहा है. दो बार सांसद रहते हुए उन्होंने इस क्षेत्र की राजनीति को नई दिशा दी. एकबात तो विरोधी भी दबे स्वर में स्वीकारते हैं कि आनंद मोहन किसी भी पार्टी से टिकट लें सकते है. पांच साल कोई तैयारी करे अंत मे आनंद परिवार का सदस्य टिकट लाने मे सफल रहता है.

इसका जीता जागता उदाहरण लोकसभा चुनाव मे दिखा जहां तीन बार से लगातार भाजपा सांसद रहे रमा देवी का टिकट कटा जदयू से बतौर उम्मीदवार अपनी पत्नी लवली आनंद को टिकट दिला सांसद बना दिया. उससे पूर्व 2015 के चुनाव मे तकरीबन भाजपा के बतौर उम्मीदवार ठाकुर रत्नाकर राणा का टिकट कटा, यहां हम के टिकट से लवली आनंद को चुनाव लड़ाया. हलाकि उक्त चुनाव मे ठाकुर रत्नाकर के निर्दलीय चुनाव लड़ने के करने 400 वोट से लवली आनंद को हार का सामना करना पड़ा. 

2020 के विधानसभा चुनाव में भी कुछ इस तरह से हुआ, जहां राजद की और संभावित उम्मीदवार रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुनाथ झा के पौत्र नवनीत झा का टिकट कटवा कर अपने पुत्र चेतन आनंद को टिकट दिला दिया, जिसमें 37 हजार वोटो से चेतन आनंद जीत हासिल की. बाद मे पिछले साल चेतन आनंद राजद से बागी होकर जदयू की सरकार बचाई और नीतीश कुमार को समर्थन दिया. 

उसके बाद से ही शिवहर की राजनीती गर्म हों गईं. वहीं भाजपा जिस तरह लोकसभा चुनाव में भाजपा ने शिवहर सीट जदयू के हिस्से कर दी, वैसा ही विधानसभा में भी दोहराया जाएगा. जदयू खेमे में दो बार के विधायक रहे मो. सरफुद्दीन लगातार ताल ठोक रहे हैं. वे गांव-गांव जाकर अपनी पैठ गहरी कर रहे हैं. उधर चेतन आनंद भी पिता की राजनीतिक पूंजी और युवा जोश के दम पर मैदान में हैं. भाजपा से ठाकुर रत्नाकर राणा की सक्रियता शिवहर की राजनीति को और पेचीदा बना रही है.

ज़ब 29 अगस्त को NDA के सम्मेलन मे जमकर हंगामा हुआ, जहां चेतन आनंद और पूर्व भाजपा विधायक राणा रत्नाकर के समर्थक आपस मे भीड़ गए थे. अंत मे दोनों नेताओं और मंच पर बैठे नेताओं के बीच बचाव के बाद स्थिति संभल पाया. अब देखना दिलचस्प होगा की किस पार्टी के हिस्से मे सीट जायगी, और क्या बाहुबली पूर्व सांसद आनंद मोहन अपना दबदबा क़ायम रख सकते है.

रिपोर्ट- शिवहर से मनोज कुमार

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