- बिहार विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 121 सीटों पर 1698 उम्मीदवारों ने नामांकन किया है.
- NDA गठबंधन ने स्पष्ट उम्मीदवार घोषित कर आपसी विवाद सुलझा लिए हैं और क्षेत्रीय जातीय समीकरण भी बैठा लिए हैं.
- महागठबंधन में कई सीटों पर दो-दो उम्मीदवार होने से मतदाता भ्रमित हैं और गठबंधन में विवाद जारी है.
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव में पहले दौर के नामांकन का दौर शुक्रवार शाम समाप्त हो गया. पहले चरण में 121 विधानसभा सीटों पर 6 नवंबर को वोटिंग होनी है. इन 121 सीटों से 1698 प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतरे हैं. हालांकि नामांकन पत्रों की जांच और नाम वापसी के बाद कितने उम्मीदवार मैदान में रहते हैं, यह देखने वाली बात होगी. अब बिहार में दूसरे चरण की 122 सीटों के लिए नामांकन की प्रक्रिया चल रही है. बिहार की चुनावी राजनीति में एक तरफ एनडीए तो दूसरी ओर महागठबंधन है. अभी तक गठबंधन से लेकर सीट बंटवारे तक में एनडीए आगे निकलती नजर आ रही है.
महागठबंधन में किच-किच अब भी जारी
क्योंकि एनडीए स्पष्ट उम्मीदवारों के साथ मैदान में उतर चुकी है. एनडीए घटक दलों के आपसी विवाद भी सुलझा लिए गए हैं. क्षेत्र आधार पर जातीय गणित भी बैठा ली गई. वहीं महागठबंधन के कई सीटों पर इनके तरफ़ से स्वयं दो-दो उम्मीदवार हैं. बिहार स्तर पर यह एक उलझी और अस्पष्ट तस्वीर देती है. लालगंज और जाले में अंत समय में टिकट ने रोमांच भी पैदा किया.
एनडीए में सबकुछ ऑल गुड नजर आ रहा है
भाजपा नीतीश के कुर्मी, कुशवाहा और अति पिछड़ा वर्ग पर पकड़ के आगे नतमस्तक है तो नीतीश भाजपा के मजबूत सामाजिक और मजबूत आर्थिक उम्मीदवारों को अपना वोट ट्रांसफर करवा सकती है. आज से बिहार पर्व त्योहार में व्यस्त हो गया, जो छठ पारण के दिन यानी 28 अक्टूबर तक रहेगा.
पर्व-त्योहार के बीच प्रचार अभियान
इसी में मतदाता को पर्व त्योहार करना है और उम्मीदवारों को अपना प्रचार भी. इस परिस्थिति में कुल मिलाकर अंतिम पाँच दिन महत्वपूर्ण रहेंगे. अब धीरे धीरे माहौल साफ़ होने लगा है. तेजश्वी अपने कुनबे को साथ रखने और जनता के बीच एक मजबूत संदेश देने में विफल रहे हैं.
NDA ने बागियों को बहुत हद तक कंट्रोल कर लिया
कई जगहों पर राजद और कांग्रेस के उम्मीदवार एक दूसरे के ख़िलाफ़ हैं . जिसका फ़ायदा NDA को मिलता दिख रहा है. NDA अपने बागियों को भी बहुत हद तक नियंत्रण में रखी है जबकि राजद और कांग्रेस में बागी अब प्रेस कॉन्फ़ेंस से टिकट बिकने का इल्ज़ाम भी लगा रहे हैं.
कांग्रेस की गांठ खुल चुकी है
हालांकि तेजस्वी अपने बागी उम्मीदवारों को फोन और पैरवी से शांत करने की कोशिश में लगे हैं लेकिन कांग्रेस की गांठ बुरी तरह खुली हुई है जिसे समेटना आसान नहीं होगा. अब देखना दिलचस्प होगा कि बिहार में महागठबंधन के घटक दल चुनाव प्रचार में किस हद तक एकजुटता दिखा पाते हैं.
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