- बिहार चुनाव की तैयारी में बीजेपी ने पटना में चुनाव समिति की अहम बैठक कर सीट वितरण और उम्मीदवारों पर चर्चा की.
- सम्राट चौधरी को दानापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ाने का निर्णय लिया गया है, जहां वर्तमान विधायक जेल में हैं.
- पूर्व केंद्रीय मंत्री रामकृपाल यादव को मनेर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारने की योजना बनाई जा रही है.
बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों में बीजेपी ने अब पूरी ताकत झोंक दी है. इसी कड़ी में पटना में पार्टी की अहम चुनाव समिति की बैठक शुक्रवार को संपन्न हुई. इस बैठक की अध्यक्षता बिहार चुनाव प्रभारी और केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने की. बैठक का मुख्य एजेंडा था- बीजेपी बिहार में कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी, किन चेहरों को टिकट दिया जाएगा और किन सीटों पर सहयोगी दलों के साथ तालमेल बनाना है. सूत्रों के अनुसार, बैठक में कई बड़े नामों पर चर्चा हुई, जिनमें से कुछ पर सहमति भी बन गई है. कहा जा रहा है कि बिहार में मध्य प्रदेश चुनाव वाला 'प्लान' लागू हो सकता है. इस 'प्लान' के तहत पूर्व सांसदों और बड़े नेताओं को भी चुनावी मैदान में उतारा जा सकता है.
दानापुर से उतर सकते हैं उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी
बैठक में सबसे अधिक चर्चा का विषय रहे बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी ने निर्णय लिया है कि सम्राट चौधरी को इस बार पटना जिले की दानापुर विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है. वर्तमान में यह सीट आरजेडी विधायक रीतलाल यादव के पास है, जो फिलहाल जेल में बंद हैं.
सम्राट चौधरी फिलहाल एमएलसी हैं और बिहार विधान परिषद के माध्यम से सरकार में शामिल हैं, लेकिन अब पार्टी चाहती है कि वे सीधे जनता के बीच जाकर चुनाव लड़ें. पहले उनका नाम पटना साहिब विधानसभा सीट से भी चर्चा में था. लेकिन सूत्रों के अनुसार अब पार्टी नेतृत्व ने लगभग दानापुर पर सहमति बना ली है.
पार्टी का मानना है कि सम्राट चौधरी की संगठन पर पकड़ और पिछड़े वर्गों में उनकी पैठ उन्हें इस सीट पर मजबूत दावेदार बना सकती है.
रामकृपाल यादव को मनेर से उतारने की तैयारी
बैठक में दूसरा बड़ा नाम सामने आया पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद रामकृपाल यादव का है. सूत्रों के अनुसार, पार्टी उन्हें मनेर विधानसभा सीट से टिकट दे सकती है, जहां से इस समय आरजेडी के वरिष्ठ नेता भाई वीरेंद्र विधायक हैं. रामकृपाल यादव का मनेर और उसके आस-पास के इलाकों में अच्छा जनाधार है. वे पिछले कई वर्षों से इस क्षेत्र में सक्रिय हैं. पार्टी चाहती है कि वे लोकसभा के अनुभव के साथ विधानसभा में भी पार्टी को सशक्त करें.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मनेर सीट पर रामकृपाल यादव और भाई वीरेंद्र के बीच मुकाबला बेहद दिलचस्प रहेगा, क्योंकि दोनों का आधार यादव मतदाताओं में है और यह सीट सामाजिक समीकरणों के लिहाज से बेहद अहम मानी जाती है.
मंगल पांडे को सिवान के महाराजगंज से टिकट मिलने के संकेत
बीजेपी के वरिष्ठ नेता और बिहार सरकार के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे भी इस बार विधानसभा चुनाव लड़ सकते हैं. सूत्रों के मुताबिक, उन्हें उनके गृह जिले सिवान की महाराजगंज विधानसभा सीट से उतारा जा सकता है. हालांकि, मंगल पांडे ने अपनी इच्छा जाहिर की थी कि उन्हें पटना की कुम्हरार सीट से चुनाव लड़ने का मौका मिले, जो बीजेपी की पारंपरिक मजबूत सीट रही है. लेकिन पार्टी नेतृत्व ने संगठनात्मक संतुलन और क्षेत्रीय प्रतिनिधित्व को ध्यान में रखते हुए उन्हें सिवान भेजने का मन बना लिया है.
मंगल पांडे लंबे समय से एमएलसी हैं और संगठन में युवा मोर्चा से लेकर मंत्री पद तक पहुंचे हैं. पार्टी चाहती है कि वे इस बार सीधे जनता के बीच जाकर जनादेश हासिल करें.
सुशील सिंह को औरंगाबाद से मिल सकता है टिकट
बैठक में एक और नाम जो प्रमुखता से उभरा, वह है पूर्व सांसद सुशील सिंह का. वे लंबे समय से औरंगाबाद क्षेत्र में सक्रिय रहे हैं और पार्टी संगठन से जुड़े रहे हैं. सूत्रों के अनुसार, बीजेपी उन्हें इस बार औरंगाबाद विधानसभा सीट से टिकट देने पर विचार कर रही है. पार्टी चाहती है कि उनके अनुभव का लाभ चुनाव में मिले और वे इस क्षेत्र में बीजेपी की पकड़ और मजबूत करें.
एमएलसी और पूर्व सांसदों पर भी नजर
बैठक में केवल वर्तमान विधायकों या सांसदों पर ही नहीं, बल्कि पार्टी के एमएलसी और पूर्व सांसदों को भी टिकट देने की रणनीति पर चर्चा हुई. सूत्रों के अनुसार, बीजेपी के पास फिलहाल 7 एमएलसी मंत्री हैं, जिनमें सम्राट चौधरी, दिलीप जायसवाल (वर्तमान में प्रदेश अध्यक्ष), मंगल पांडे, जनक राम, हरि साहनी और संतोष सिंह प्रमुख हैं. पार्टी इन सभी एमएलसी को इस बार विधानसभा चुनाव में उतारने की तैयारी में है.
इसके अलावा, लगभग आधा दर्जन पूर्व सांसदों और वरिष्ठ नेताओं को भी टिकट दिए जाने की संभावना जताई जा रही है. पार्टी का मानना है कि अनुभव और जनाधार का यह संतुलन विधानसभा चुनाव में पार्टी को मज़बूती देगा.
बीजेपी की रणनीति... संगठन से सरकार तक
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि बीजेपी इस बार संगठन से लेकर सरकार तक 'मैदान बनाम मंडल' रणनीति पर काम कर रही है. यानी पार्टी चाहती है कि जो नेता अभी तक केवल संगठन या परिषद की राजनीति में सक्रिय थे, वे सीधे जनता के बीच उतरें. सम्राट चौधरी, मंगल पांडे, दिलीप जायसवाल जैसे नाम इसी रणनीति का हिस्सा हैं. इस कदम से पार्टी न केवल अपने नेताओं को ग्राउंड पर मजबूत करना चाहती है, बल्कि राज्य में अपनी जमीनी पकड़ को और विस्तार देना चाहती है.