बिहार चुनाव में वोट पाने की अनोखी होड़... कोई मछुआरों संग डुबकी लगा रहा, तो कोई शादी-बच्चे का वादा कर रहा!

चुनावी माहौल को देखते हुए सभी पार्टियां अपने-अपने तरीकों से जनता तक पहुंचने की कोशिश में हैं. कोई भावनात्मक जुड़ाव पर जोर दे रहा है, तो कोई हंसी-मजाक में वादे कर रहा है. कुछ नेता सोशल मीडिया रील्स के ज़रिए अपने प्रचार को नए रंग में पेश कर रहे हैं. राजनीति में यह पॉपुलर पॉलिटिक्स का दौर है, जहां फोटो और वीडियो वायरल होना भी बड़ी जीत माना जाने लगा है.

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  • बिहार चुनाव में नेता पारंपरिक प्रचार छोड़कर सोशल मीडिया पर वायरल होने वाले तरीकों का सहारा ले रहे हैं.
  • राहुल गांधी ने मछुआरों के साथ समुद्र में डुबकी लगाकर खुद को आम जनता के करीब दिखाने का प्रयास किया.
  • तेजस्वी यादव ने कहा कि उनकी सरकार बनने पर शादी न होने वाले की शादी और संतान संबंधी समस्याएं दूर होंगी.
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पटना:

बिहार में चुनावी की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है, वैसे-वैसे नेताओं के बयान और प्रचार के तरीके भी अजब-गजब होते जा रहे हैं. जनता का ध्यान खींचने और वोट बटोरने के लिए प्रत्याशी अब पारंपरिक रैलियों या भाषणों तक सीमित नहीं हैं, बल्कि कुछ ऐसा कर रहे हैं, जो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाए और चर्चा में बने रहें.

राहुल गांधी की डुबकी वाली राजनीति

सोशल मीडिया पर खास चर्चा में रहा जब कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने मछुआरों के साथ समुद्र में डुबकी लगाई. यह नज़ारा देखकर हर कोई हैरान रह गया. राहुल गांधी ने कहा कि वे “मछुआरों की मेहनत और जीवन को करीब से समझना” चाहते हैं. यह कदम निश्चित तौर पर प्रतीकात्मक था. लेकिन इसका संदेश साफ था वे खुद को आम जनता के करीब दिखाना चाहते हैं. लोगों ने इस दृश्य को लेकर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दीं. कुछ ने कहा कि यह जनता से जुड़ने का बढ़िया तरीका है, जबकि कुछ ने इसे चुनावी स्टंट बताया. चाहे जो भी हो, राहुल गांधी का यह “डुबकी अभियान” अगले कई दिनों तक चर्चा में रहेगा.

तेजस्वी यादव का “शादी-बच्चा” वादा

उधर बिहार में आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने एक अलग ही तरह का बयान दे दिया. अपनी एक रैली में उन्होंने कहा, “अगर मेरी सरकार बनी, तो जिनकी शादी नहीं हो रही है, उनकी शादी हो जाएगी और जिनका बच्चा नहीं हो रहा, उनका बच्चा भी हो जाएगा.” तेजस्वी का यह बयान सोशल मीडिया पर छा गया. लोग इसे हंसी-मजाक के तौर पर भी ले रहे हैं. लेकिन इसमें राजनीतिक रणनीति भी झलकती है. युवाओं और आम परिवारों के बीच हल्के अंदाज में जुड़ाव बनाना. तेजस्वी यादव का यह बयान उनकी कोशिश दिखाता है कि वे गंभीर मुद्दों के साथ-साथ जनता की रोजमर्रा की बातें भी पकड़ना जानते हैं.

चुनावी माहौल को देखते हुए सभी पार्टियां अपने-अपने तरीकों से जनता तक पहुंचने की कोशिश में हैं. कोई भावनात्मक जुड़ाव पर जोर दे रहा है, तो कोई हंसी-मजाक में वादे कर रहा है. कुछ नेता सोशल मीडिया रील्स के ज़रिए अपने प्रचार को नए रंग में पेश कर रहे हैं. राजनीति में यह पॉपुलर पॉलिटिक्स का दौर है, जहां फोटो और वीडियो वायरल होना भी बड़ी जीत माना जाने लगा है.

लोगों के बीच इस तरह की गतिविधियों को लेकर मिश्रित प्रतिक्रियाएं हैं. एक ओर कुछ लोग कहते हैं कि नेता आखिर जनता के बीच आ रहे हैं, तो यह अच्छी बात है. वहीं, दूसरी ओर कई लोग इसे सिर्फ कैमरे के सामने की “नाटकबाज़ी” बताते हैं.

श्रेष्ठा नारायण की रिपोर्ट

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