बिहार का चुनावी संग्राम: ​उजियारपुर में चार-चार कुशवाहा उम्मीदवार और उपेंद्र कुशवाहा बिगाड़ेंगे एनडीए का खेल!

बिहार विधानसभा चुनाव में उजियारपुर सीट इस बार काफी रोचक हो गया है. यहां से आरएसएस के सदस्य रहे उपेंद्र कुशवाहा मैदान में उतर गए हैं. इसके अलावा इस सीट पर चार-चार कुशवाहा उम्मीदवार मैदान में हैं.

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उजियारपुर की रोचक लड़ाई
उजियारपुर:

समस्तीपुर जिले के ​उजियारपुर विधानसभा सीट पर इस बार का चुनावी रण बेहद रोचक और जटिल हो गया है. यहां की चुनावी तस्वीर सिर्फ राजनीतिक दलों के बीच की टक्कर नहीं, बल्कि चार-चार कुशवाहा प्रत्याशियों के मैदान में उतरने से पूरी तरह बदल गई है. इस बहुकोणीय मुकाबले ने मतदाताओं, विशेषकर कुशवाहा (कोइरी) समाज के वोटरों को, एक कठिन धर्मसंकट में डाल दिया है.

किस गठबंधन से कौन प्रत्याशी 

1. राजद (महागठबंधन) / आलोक मेहता / पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक / पार्टी का भरोसा बरकरार

2. राष्ट्रीय लोक मोर्चा (NDA) / प्रशांत कुमार पंकज / NDA गठबंधन के प्रत्याशी।

3. जनसुराज / दुर्गा प्रसाद सिंह / इसी सीट से पूर्व विधायक रहे हैं, यह जदयू, राजद और भाजपा में रह चुके है. जदयू ने 2010 में टिकट नहीं दिया तो राजद के सिंबल पर 2010 में विधायकी जीती. फिर 2015 में राजद ने आलोक मेहता को उजियारपुर से उम्मीदवार बनाया तो भाजपा में शामिल हो गये. अब 2025 में जनसुराज से भाग्य आजमा रहे है.

4. निर्दलीय उपेंद्र कुशवाहा (बागी) भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष, पार्टी से बगावत कर मैदान में है. वह 25 वर्ष से आरएसएस के सदस्य रहे और भाजपा के जिला स्तर पर बड़े चेहरे रहे.

जातीय गणित और असमंजस

​इस चुनाव में सबसे बड़ी बात यह है कि चारों मुख्य उम्मीदवार कुशवाहा समाज से आते हैं. यह स्थिति न केवल कुशवाहा मतदाताओं में असमंजस पैदा कर रही है, बल्कि अन्य जातियों के वोटरों की रणनीति को भी प्रभावित कर सकती है. चार प्रमुख उम्मीदवारों के बीच कुशवाहा वोटों का बंटवारा लगभग तय है. यह बिखराव किस प्रत्याशी को फ़ायदा या नुकसान पहुंचाएगा, यह देखना दिलचस्प होगा.उम्मीदवारों की जातिगत पहचान के बावजूद, मुकाबला आखिरकार एनडीए और महागठबंधन के पारंपरिक आधार वोट पर निर्भर करेगा. अब देखना यह है कि ये कुशवाहा प्रत्याशी अपने-अपने गठबंधन के आधार वोट में कितनी सेंधमारी कर पाते हैं.

​'दो-दो' उपेंद्र कुशवाहा की चर्चा

​चुनावी गलियारों में एक और रोचक बात दो 'उपेंद्र कुशवाहा' के नाम की है. ​राष्ट्रीय लोक मोर्चा (RLM) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा जिनकी पार्टी को गठबंधन में यह सीट मिली है, हालांकि उनके प्रत्याशी प्रशांत कुमार पंकज हैं. ​भाजपा के बागी निर्दलीय प्रत्याशी उपेंद्र कुशवाहा जो स्वयं मैदान में ताल ठोक रहे हैं. भाजपा के बागी उपेंद्र कुशवाहा का आरोप है कि कुछ लोगों की वजह से यह सीट एनडीए में राष्ट्रीय लोक मोर्चा के खाते में गई. इस तरह, एक तरफ RLM प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर है, तो दूसरी तरफ भाजपा के बागी उपेंद्र कुशवाहा सीधे चुनावी मैदान में हैं. ​यह सीट अब केवल व्यक्तिगत प्रभाव और जातिगत समीकरण के जोड़-घटाव का केंद्र बन गई है. सभी प्रत्याशी स्थानीय हैं, जिससे मुकाबला और भी भावनात्मक हो गया है. उजियारपुर का परिणाम यह तय करेगा कि क्या जातीय एकजुटता इस बार वोटों के बिखराव को रोक पाएगी या फिर गठबंधन की राजनीति अपनी पैठ बरकरार रखेगी.

इनपुट- अविनाश कुमार 

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