- नवादा विधानसभा सीट से राजद के कौशल यादव और गोविंदपुर सीट से पूर्णिमा यादव 2025 में चुनाव लड़ रहे हैं
- तेजस्वी यादव ने 2025 के चुनाव में नवादा और गोविंदपुर सीटों पर कौशल-पूर्णिमा दंपति पर भरोसा जताया है
- नवादा सीट पर राजबल्लभ , विभा देवी और कौशल-पूर्णिमा परिवार के बीच लंबे समय से राजनीतिक प्रतिस्पर्धा रही है
बिहार चुनाव
कौशल-पूर्णिमा दंपति की वापसी होगी या फिर अपने सीट से रहेंगे बेदखल, बाहुबलियों की पत्नी में किसे मिलेगा ताज, नीतू और अनिल में किसकी बारी
अशोक प्रियदर्शी
बिहार विधानसभा के चुनाव में एक ऐसा दंपति हैं जो दोनों चुनाव लड़ रहे हैं. ये दंपति राजद की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में इसके परिणाम पर हर किसी की नजर है. नवादा विधानसभा सीट से कौशल यादव चुनाव लड़ रहे हैं जबकि गोविंदपुर सीट पर पूर्णिमा यादव. कौशल-पूर्णिमा दंपति चार चार बार विधायक रह चुके हैं. 2020 के चुनाव से कौशल-पूर्णिमा दंपति अपने अपने सीट से बेदखल हैं. ऐसे में 2025 का चुनाव कौशल-पूर्णिमा दंपति के लिए प्रतिष्ठा का विषय बना हुआ है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा कि कौशल-पूर्णिमा फिर से अपने सीट पर काबिज होते हैं या फिर अपने अपने सीट से बेदखल रहेंगे.
तेजस्वी ने कौशल-पूर्णिमा पर किया भरोसा
कौशल-पूर्णिमा जदयू की राजनीति करते रहे हैं लेकिन 2025 के चुनाव में बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और राजद के लीडर तेजस्वी यादव ने कौशल-पूर्णिमा पर भरोसा जताया है. देखें तो, नवादा में पूर्व मंत्री राजबल्लभ प्रसाद की जगह कौशल यादव को तवज्जो दिया है. राजबल्लभ यादव राजद प्रमुख लालू प्रसाद के करीबी माने जाते थे. नवादा में राजबल्लभ प्रसाद राजद को लीड करते थे. राजबल्लभ के सजायाप्ता के बाद भी राजद ने उनकी पत्नी विभा देवी को 2020 में चुनाव लड़ाया.
तेजस्वी यादव ने गोविंदपुर में भी निवर्तमान राजद विधायक मो. कामरान की जगह कौशल यादव की पत्नी पूर्णिमा यादव को मैदान में उतारा. 2020 के चुनाव में पूर्णिमा को पराजित कर मो कामरान निर्वाचित हुए थे लेकिन तेजस्वी ने निवर्तमान विधायक मो कामरान की जगह पूर्व विधायक पूर्णिमा यादव पर भरोसा किया.
राजबल्लभ-कौशल यादव के बीच सह मात का खेल
नवादा विधानसभा सीट पर पूर्व मंत्री राजबल्लभ प्रसाद और पूर्व विधायक कौशल यादव के बीच शह मात का खेल चलता रहा है. नवादा सीट पर तीन दफा राजबल्लभ यादव निर्वाचित हुए हैं. जबकि एक दफा राजबल्लभ प्रसाद की पत्नी विभा देवी जीती हैं. इस सीट पर राजबल्लभ प्रसाद के बड़े भाई कृष्णा प्रसाद भी जीते थे. वहीं दूसरी तरफ, एक दफा कौशल यादव निर्वाचित हुए हैं. जबकि तीन दफा कौशल यादव की पत्नी पूर्णिमा यादव जीती हैं. नवादा सीट पर कौशल यादव की मां गायत्री देवी भी जीती थीं. 2020 के चुनाव में राजद से विभा देवी चुनाव लड़ी थी. तब जदयू के कौशल यादव पराजित हुए थे. फिलहाल, विभा देवी जदयू से हैं जबकि कौशल यादव राजद से मैदान में हैं.
गोविंदपुर में 33 हजार से हारी थी पूर्णिमा
2020 के चुनाव में पूर्णिमा यादव जदयू से चुनाव लड़ी थी. तब राजद के मो. कामरान से 33 हजार मतों के अंतर से पराजित हो गई थीं. इस दफा पूर्णिमा यादव राजद से उम्मीदवार हैं जबकि राजद के निवर्तमान विधायक मो. कामरान निर्दलीय मैदान में हैं. दूसरी तरफ, एनडीए से एलजेपीआर से बिनीता मेहता उम्मीदवार हैं. बिनीता के पति अनिल मेहता बीजेपी के जिलाध्यक्ष हैं. गौरतलब हो कि गोविंदपुर सीट कौशल-पूर्णिमा परिवार का परंपरागत सीट रही है. गोविंदपुर में 1967 से अबतक 15 चुनाव हुए हैं लेकिन इसमें दस दफा कौशल-पूर्णिमा परिवार का कब्जा रहा है.
बाहुबलियों की पत्नी में किसे मिलेगा ताज
वारिसलीगंज विधानसभा क्षेत्र में दो बाहुबली आमने सामने हैं. एक तरफ बीजेपी से बाहुबली अखिलेश सिंह की पत्नी अरूणा देवी मैदान में हैं, जबकि दूसरी तरफ राजद से बाहुबली अशोक महतो की पत्नी अनिता महतो मैदान में हैं. वारिसलीगंज सीट पर अरूणा देवी चार दफा निर्वाचित हो चुकी हैं. दूसरी तरफ, अनिता महतो पहली दफा वारिसलीगंज सीट से चुनाव लड़ रही हैं. हालांकिस बाहुबली अशोक महतो के परिजन प्रदीप महतो दो दफा वारिसलीगंज से चुनाव जीते हैं. 2020 के चुनाव में बीजेपी की अरूणा देवी ने 9 हजार 30 मतों के अंतर से कांग्रेस के सतीश मंटन को पराजित किया था. तीसरे स्थान पर प्रदीप महतो की पत्नी आरती रही थीं, जिन्हें 39363 मत मिले थे जबकि अरूणा को 62451 मत मिले थे. दूसरे स्थान पर रहे सतीश मंटन को 53421 मत मिले थे.
हिसुआ में किसकी होगी वापसी
हिसुआ विधानसभा क्षेत्र का चुनाव भी दिलचस्प रहा है. एक तरफ कांग्रेस की निवर्तमान विधायक नीतू कुमारी हैं जबकि दूसरी तरफ बीजेपी के पूर्व विधायक अनिल सिंह हैं. हिसुआ विधानसभा सीट पर अनिल सिंह और नीतू परिवार का 45 सालों से कब्जा रहा है. 2020 के चुनाव में नीतु कुमारी पहली दफा निर्वाचित हुई थी जबकि 1980 से लगातार छह दफा नीतू के ससुर आदित्य सिंह निर्वाचित हुए थे. दूसरी तरफ, अनिल सिंह अक्टूबर 2005 से 2015 तक निर्वाचित हुए हैं. 2020 के चुनाव में कांग्रेस की नीतू कुमारी ने बीजेपी के अनिल सिंह को 17091 मतों के अंतर से पराजित कर दिया था. फिलहाल, अनिल और नीतू एक बार फिर आमने सामने हैं. देखना दिलचस्प होगा कि 2025 के चुनाव में किसकी वापसी होती है.














