दिनारा विधानसभा क्षेत्र में चुनावी समीकरण लगातार दिलचस्प होते जा रहे हैं. दो बार के पूर्व मंत्री जयकुमार सिंह ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में नामांकन दाखिल कर राजनीतिक माहौल को गर्मा दिया है. जयकुमार सिंह, जनता दल यूनाइटेड (JDU) के वरिष्ठ नेता रहे हैं और नीतीश सरकार में दो बार मंत्री भी रह चुके हैं.
लेकिन इस बार टिकट वितरण में असंतोष और “पैसे से टिकट बिकने” के आरोप लगाते हुए उन्होंने पार्टी से इस्तीफा दे दिया. नामांकन के बाद उन्होंने साफ कहा कि वे एनडीए को सबक सिखाने के लिए मैदान में हैं.
जयकुमार सिंह राजपूत समुदाय से आते हैं. वहीं, एनडीए ने राष्ट्रीय लोक मोर्चा (उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी) के संसदीय दल बोर्ड के अध्यक्ष आलोक सिंह को दिनारा से प्रत्याशी बनाया है. आलोक सिंह कैमूर जिले के रहने वाले हैं और कई राजनीतिक दलों से जुड़े रहे हैं. उनका कांग्रेस, बसपा और जदयू जैसी पार्टियों में उनका आना-जाना रहा है.
जयकुमार सिंह के नामांकन के दौरान उमड़ी भारी भीड़ ने यह संकेत दे दिया है कि उन्हें स्थानीय स्तर पर मजबूत जनसमर्थन प्राप्त है. कार्यकर्ताओं और समर्थकों का मानना है कि उनका टिकट कटना पार्टी के लिए बड़ी भूल साबित हो सकती है.
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि जयकुमार सिंह के निर्दलीय उतरने से एनडीए को सीधा नुकसान हो सकता है. उनका प्रभाव राजपूत, कुशवाहा, मुसलमान, यादव और अति पिछड़े समाज पर काफी मजबूत माना जाता है. इस कारण महागठबंधन भी इस स्थिति का फायदा उठाने की रणनीति पर काम कर रहा है. एनडीए में आंतरिक असंतोष भी उभरकर सामने आ रहा है. भाजपा के वरिष्ठ नेता राजेंद्र सिंह के भी नाराज होने की खबरें पहले से हैं. वहीं जदयू के अंदर टिकट बंटवारे को लेकर पुराने कार्यकर्ताओं में गहरा असंतोष देखा जा रहा है.
इधर राष्ट्रीय जनता दल (RJD) ने दिनारा विधानसभा से संजय यादव को उम्मीदवार बनाया है. पार्टी ने वर्तमान विधायक विजय कुमार मंडल का टिकट काट दिया है, जिससे राजद खेमे में भी असंतोष की स्थिति बनी हुई है. दिनारा का चुनाव इस बार पूरी तरह त्रिकोणीय और रोचक मुकाबले में बदल चुका है एक ओर एनडीए के आलोक सिंह, दूसरी ओर आरजेडी के संजय यादव और तीसरी ओर बगावती तेवरों के साथ निर्दलीय जयकुमार सिंह. अब देखना दिलचस्प होगा कि जनता का झुकाव किस ओर जाता है.
सासाराम से रंजन सिंह की रिपोर्ट