Bihar Election 2025: पटना साहिब सीट पर दिलचस्प मुकाबला, कांग्रेस ने IIT-दिल्ली, IIM-कलकत्ता के पढ़े शशांत शेखर को बनाया उम्मीदवार

Bihar Election 2025: 2022 में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता लेने के बाद शशांत शेखर ने पूरी ऊर्जा के साथ पटना साहिब क्षेत्र में काम शुरू किया. उनका फोकस युवाओं, मध्यमवर्गीय परिवारों और शहरी वोटरों के बीच कांग्रेस की पैठ मजबूत करने पर रहा.

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की सरगर्मी बढ़ चुकी है और इसी बीच कांग्रेस ने अपनी पहली उम्मीदवार सूची जारी कर एक नया और दिलचस्प नाम सामने रखा है. शशांत शेखर, जो पटना साहिब विधानसभा सीट से पार्टी के उम्मीदवार हैं. यह सीट हमेशा से चर्चाओं में रही है. लेकिन इस बार यह चर्चा एक अलग वजह से है, क्योंकि कांग्रेस ने यहां पारंपरिक राजनीति से अलग रास्ता अपनाते हुए एक IIT-दिल्ली और IIM-कलकत्ता से पढ़े, प्रोफेशनल बैकग्राउंड वाले युवा चेहरे पर दांव लगाया है.

IIT से IIM तक, फिर कॉरपोरेट दुनिया में सफलता

शशांत शेखर की शैक्षणिक यात्रा बेहद प्रेरणादायक रही है. उन्होंने अपनी स्कूली पढ़ाई के बाद देश के प्रतिष्ठित संस्थान IIT दिल्ली से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की. इसके बाद उनका सफर रुका नहीं, उन्होंने IIM कलकत्ता से मैनेजमेंट की पढ़ाई पूरी की, जो एशिया के टॉप बिजनेस स्कूलों में गिना जाता है.

IIM से ग्रेजुएशन के बाद शशांत को जर्मनी की दिग्गज कंपनी Siemens से ऑफर मिला, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया. बाद में उन्होंने Samsung जैसी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी में काम किया और कॉरपोरेट सेक्टर में अपनी अलग पहचान बनाई. यहां उन्होंने रणनीति, टीम लीडरशिप और नवाचार के क्षेत्र में बेहतरीन काम किया.

राजनीति की ओर रुख: I-PAC से शुरू हुआ सफर

कॉरपोरेट करियर में सफलता के बावजूद, शशांत के मन में समाज और राजनीति को समझने की गहरी इच्छा हमेशा से थी. यही वजह रही कि उन्होंने 2019 में प्रशांत किशोर की कंपनी I-PAC (Indian Political Action Committee) से जुड़कर राजनीतिक रणनीति की दुनिया में कदम रखा.

I-PAC में शशांत ने 2022 तक काम किया और कई बड़े चुनाव अभियानों में अहम भूमिका निभाई. लेकिन 2022 में प्रशांत किशोर से विचारों में मतभेद के चलते उन्होंने I-PAC छोड़ दिया. इसके बाद उन्होंने कुछ समय तक Inclusive Minds नामक संगठन के साथ काम किया, जो एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहां युवाओं को सामाजिक बदलाव की दिशा में प्रेरित किया जाता है. इसी दौरान उनका झुकाव पूरी तरह से सक्रिय राजनीति की ओर बढ़ा और उन्होंने कांग्रेस का हाथ थाम लिया.

कांग्रेस से जुड़ाव और जनसंपर्क अभियान

2022 में कांग्रेस पार्टी की सदस्यता लेने के बाद शशांत शेखर ने पूरी ऊर्जा के साथ पटना साहिब क्षेत्र में काम शुरू किया. उनका फोकस युवाओं, मध्यमवर्गीय परिवारों और शहरी वोटरों के बीच कांग्रेस की पैठ मजबूत करने पर रहा. जून 2025 में उन्होंने एक अनोखा जनसंपर्क अभियान शुरू किया आपका बेटा, आपके द्वारा. इस अभियान के तहत उन्होंने पटना साहिब के 80,000 से अधिक घरों तक पहुंच बनाई, लोगों से मुलाकात की, उनकी समस्याएं सुनीं और स्थानीय मुद्दों के समाधान पर अपनी योजना साझा की.

इस अभियान में 80 से 85 युवा कार्यकर्ताओं की टीम उनके साथ लगातार काम कर रही है. यह जमीनी जुड़ाव और लोकसंपर्क की नई शैली ने शशांत को इलाके में एक पहचाना हुआ चेहरा बना दिया है.

परिवार से मिली प्रेरणा

शशांत का परिवार भी राजनीति से जुड़ा रहा है. उनके दादाजी ने 1980 और 1985 में CPI (Communist Party of India) के टिकट पर पटना पूर्वी सीट से चुनाव लड़ा था और बेहद कम अंतर से हार का सामना किया. 1995 में उन्होंने जनता दल के टिकट पर भी चुनाव लड़ा, लेकिन किस्मत साथ नहीं दे सकी. शशांक के पिता एक सम्मानित बिजनेसमैन हैं, जिनका समाज में अच्छा प्रभाव है. यानी राजनीति और समाज सेवा का संस्कार उन्हें अपने परिवार से ही मिला है.

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कांग्रेस की नई सोच: 'पढ़े-लिखे चेहरों से नई पहचान'

कांग्रेस ने पटना साहिब जैसी हाई-प्रोफाइल सीट पर IIT-IIM पृष्ठभूमि वाले उम्मीदवार को उतारकर एक स्पष्ट संदेश दिया है, पार्टी अब नई सोच, आधुनिक दृष्टिकोण और युवाओं की आकांक्षाओं को प्राथमिकता देना चाहती है. पार्टी सूत्रों के मुताबिक, कांग्रेस शशांत शेखर जैसे प्रोफेशनल, पढ़े-लिखे और जमीनी नेताओं के जरिए अपनी पुरानी छवि से बाहर निकलकर नई कांग्रेस की झलक दिखाना चाहती है.

शशांत का तकनीकी और प्रबंधन अनुभव उन्हें एक ऐसे उम्मीदवार के रूप में प्रस्तुत करता है, जो न केवल जनता की समस्याएं समझता है, बल्कि उन्हें डेटा-ड्रिवन सोच और व्यवहारिक दृष्टिकोण से हल करना चाहता है.

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पटना साहिब में दिलचस्प मुकाबला

पटना साहिब विधानसभा सीट हमेशा से राजनीतिक रूप से चर्चित रही है. यहां कई दिग्गज नेता चुनाव लड़ चुके हैं. इस बार शशांत शेखर की एंट्री ने मुकाबले को और रोमांचक बना दिया है. यह मुकाबला अब केवल दो पार्टियों के बीच नहीं, बल्कि दो सोचों के बीच है, एक ओर पारंपरिक राजनीति, और दूसरी ओर आधुनिक, शिक्षित और विजन-ड्रिवन नेतृत्व.

शशांत शेखर का दावा है कि उनका अभियान राजनीति को सेवा के रूप में देखने की शुरुआत है, सत्ता के साधन के रूप में नहीं. कांग्रेस ने बिहार की राजनीति में एक नए युग की शुरुआत की है, जहां योग्यता, शिक्षा, और जनता से जुड़ाव को टिकट देने का आधार बनाया जा रहा है. शशांत शेखर जैसे उम्मीदवार इस बदलाव के सबसे जीवंत प्रतीक हैं.

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