सवालः बनना क्या चाहती हैं?
जवाबः बनना तो हर कोई बहुत कुछ चाहता है, लेकिन फाइनैंशल प्रॉब्लम के हिसाब से ही हर कोई कुछ बनता है. मेरी फाइनैंशल कंडिशन उतनी खास नहीं है. मेरे पापा ऑटो ड्राइवर हैं. आप जानते हैं ऑटो ड्राइवर की हालत क्या है. हम लोग एक दिन खाना खा लेते हैं, यही बहुत है. अब मेरे इतने सारे रिश्तेदार जुड़ गए हैं. सभी साथ देंगे तो हम आगे बढ़ेंगे... पढ़ाई के दौरान कभी-कभी फाइनैंशल प्रॉब्लम आती थी. मैंने कोचिंग वाले सर से कहा कि मेरे पास फीस के पैसे नहीं हैं. उनके कम्प्यूटर कोचिंग में मैं एक घंटे काम करती थी और 500 रुपये मिलते थे. इस तरह मेरी कोचिंग की फीस निकल जाती थी.
यह जवाब है बिहार की उस बिटिया का, जिसने 12वीं में कॉमर्स से टॉप किया है. रोशनी को 95 प्रतिशत अंक प्राप्त हुए हैं. किस मुश्किल डगर पर चलकर उसने कामयाबी हासिल की है, रोशनी की चमकती आंखें बयां करती हैं. आधा दर्जन माइक और कैमरों के बीच ऑटो ड्राइवर पिता बेटी का मुंह मीठा करवा रहे हैं. और इस पूरे दृश्य के पीछे वो कच्ची दीवार है, जिससे ईंटें झांक रही हैं.
रोशनी ने आर्थिक चुनौतियों को दे दी मात
बिहार स्कूल एग्जामिनेशन बोर्ड (BSEB)ने बिहार में 12वीं के परिणाम मंगलवार को जारी कर दिए. वैशाली जिले के हाजीपुर की रोशनी कुमारी कॉमर्स में स्टेट टॉपर बनी है. रौशनी की यह सफलता केवल एक परीक्षा का परिणाम नहीं है बल्कि उसने एग्जाम के सवालों के साथ-साथ आर्थिक चुनौतियों को भी मात देते हुए सफलता हासिल की है. कॉमर्स की टॉपर रोशनी के घर जब मीडिया पहुंची तो सामने आई तस्वीरों में घर की तस्वीरों में दिवारें गवाही दे रही है कि रोशनी ने किन-किन चुनौतियों को पार करते हुए इस सफलता को हासिल किया है. आंखों में सपने और दिल में जुनून लिए एक ऑटो चालक की बेटी ने न सिर्फ अपने परिवार का नाम रोशन किया, बल्कि पूरे बिहार को गर्व करने का मौका दिया है.
रोशनी के पिता ने बताया कि मैंने ऑटो चलाकर अपनी बच्ची को पढ़ाया. कई बार एक वक्त का खाना खाकर दिन गुजारा, लेकिन बेटी की पढ़ाई में कभी कमी नहीं आने दी. रोशनी की मां आरती देवी भी भावुक होकर कहती हैं, "हमारी बेटी दिन में 8-9 घंटे और रात को भी पढ़ती थी. उसका सपना था टॉप करना, और आज उसका जुनून पूरा हुआ.
रोशनी ने अपनी पूरी पढ़ाई गांव में ही की. प्राथमिक शिक्षा काशीपुर चकबीबी स्कूल से पूरी की. मैट्रिक चांदपुरा हाई स्कूल से और इंटर की पढ़ाई हाजीपुर के जमुनीलाल कॉलेज से पूरी की. तीन भाई-बहनों में सबसे बड़ी रोशनी अपने परिवार की उम्मीदों रही हैं. रोशनी बताती हैं, "मेरे पापा ऑटो चलाते हैं. कई बार घर में पैसे की तंगी रहती थी, लेकिन मम्मी-पापा ने मुझे हमेशा सपोर्ट किया. मम्मी मेरे लिए दोस्त की तरह थीं, जो हर कदम पर साथ रहीं." रोशनी का सपना है कि वे आगे चलकर चार्टर्ड अकाउंटेंट (CA) बनें और अपने परिवार की आर्थिक स्थिति को बेहतर करें.
रोशनी के पिता सुधीर कुमार खुद इंटर पास हैं. वे बताते हैं कि जब रोशनी तीन साल की थी, तभी उसकी पढ़ाई में लगन देखकर लगता था कि यह एक दिन जरूर कुछ बड़ा करेगी. आज वह दिन आ गया. मैं ऑटो चलाकर उसे आगे बढ़ाता रहूंगा.
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