त्रिवेणीगंज सीटः 2005 से JDU का कब्जा, उम्मीदवार बदले फिर भी मिलती रही जीत, समझें समीकरण

Bihar Assembly Elections 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में दो चरण में मतदान होना है. वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी. बिहार के सुपौल जिले की त्रिवेणीगंज सीट का समीकरण क्या है, आइए जानते हैं.

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त्रिवेणीगंज विधानसभा सीट की JDU उम्मीदवार सोनम रानी.
सुपौल:

Triveniganj Vidhan Sabha Seat Profile: बिहार की 243 विधानसभा सीटों में से एक सुपौल जिले की त्रिवेणीगंज सीट बीते 20 साल से JDU के खाते में है. साल 2005 से ही जदयू यहां लगातार जीतती आई है. हालांकि इस बीच हुए चुनावों में जदयू ने यहां से अपने प्रत्याशी को खूब बदला भी है. 2005 में यहां से त्रिवेणीगंज से जदयू के विश्वमोहन कुमार ने जीत हासिल की थी. हालांकि 2010 में जदयू ने अमला देवी टिकट दिया. फिर 2015 में पार्टी ने वीणा भारती को टिकट थमाया. तीनों चुनाव में तीन अलग-अलग उम्मीदवार उतारने के बाद भी जदयू त्रिवेणीगंज जीतती रही. 2020 के चुनाव में पार्टी ने फिर से वीणा भारती को टिकट दिया, और वो जीती भी. लेकिन इस बार पार्टी ने यहां से उम्मीदवार बदल दिया है.

जदयू ने इस बार त्रिवेणीगंज से सोनम रानी को टिकट दिया है. वो पार्टी की प्रखंड उपाध्यक्ष के अलावा जिला परिषद सदस्य हैं. शनिवार को सोनम रानी ने अपना नामांकन पर्चा दाखिल किया. उनके नामांकन में हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी भी पहुंचे थे.

त्रिवेणीगंज की जदयू उम्मीदवार सोनम रानी के नामांकन में हरियाणा सीएम नायब सिंह सैनी सहित अन्य नेता.

त्रिवेणीगंज विधानसभा का राजनीतिक महत्व और सामाजिक विविधता इसे बिहार की एक महत्वपूर्ण विधानसभा सीट बनाती है. सुपौल जिले के अंतर्गत आने वाली त्रिवेणीगंज विधानसभा सीट अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित है, जो अपनी सामाजिक-आर्थिक और राजनीतिक पहचान के लिए जानी जाती है.

1957 से 1962 तक कांग्रेस का कब्जा

त्रिवेणीगंज विधानसभा सीट पर 1957 में पहली बार चुनाव हुआ था. उस दौरान इस सीट को अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित किया गया. इस सीट को 1962 से 2009 तक सामान्य श्रेणी में रखा गया, लेकिन 2010 से इसे दोबारा आरक्षित घोषित किया गया. 1957 से 1962 तक इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा, लेकिन समय के साथ संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, जनता पार्टी और जनता दल ने भी यहां जीत का परचम लहराया.

त्रिवेणीगंज विधनसभा सीट का हालिया चुनावी इतिहास

2000 में इस सीट पर राजद का कब्जा रहा, जबकि 2005 के चुनाव में लोक जनशक्ति पार्टी ने जीत हासिल की. पहली बार 2009 के उपचुनाव में यहां जदयू का खाता खुला, तब से यह सीट जदयू के पास है.

2010 में जदयू की अमला देवी और 2015-2020 में वीणा भारती ने जीत दर्ज की. 2020 के विधानसभा चुनाव में वीणा भारती ने राजद के संतोष कुमार को 3,031 वोटों से हराया. उनकी जीत का फायदा पार्टी को लोकसभा चुनाव 2024 में भी मिला और यहां को बड़ी बढ़त मिली थी. लेकिन इस बार जदयू ने यहां से सोनम रानी को टिकट दिया है.

त्रिवेणीगंज में करीब 21 फीसदी यादव वोटर

चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 के विधानसभा चुनाव में त्रिवेणीगंज में 2,86,147 रजिस्टर्ड मतदाता थे, जिनमें 18.53 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 14.90 प्रतिशत मुस्लिम और 21.70 प्रतिशत यादव समुदाय के थे. 2024 तक मतदाताओं की संख्या बढ़कर 3,09,402 हो गई है.

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बाढ़ यहां की हर साल की समस्या

त्रिवेणीगंज विधानसभा सीट के आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण पर नजर डालें तो यह इलाका बघला और सुरसार नदी के तट पर स्थित है और हर साल इस क्षेत्र को बाढ़ की समस्या का सामना करना पड़ता है. यहां की अर्थव्यवस्था मुख्य रूप से धान, मक्का और जूट की खेती पर आधारित है. बघला और सुरसार नदी खेती का आधार तो है, लेकिन बाढ़ का प्रमुख कारण भी यही है.

रोजगार के सीमित अवसरों और कृषि आधारित उद्योगों की कमी के चलते युवाओं का पलायन एक बड़ी समस्या है. शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी बुनियादी सुविधाएं भी अपर्याप्त हैं. क्षेत्र की चुनौतियों के बावजूद यह सीट बिहार की राजनीति में एक खास स्थान रखती है.

(सुपौल से अभिषेक मिश्रा की रिपोर्ट)

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