- बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में सुपौल जिले के पिपरा विधानसभा क्षेत्र में 11 नवंबर को मतदान होगा.
- पिपरा विधानसभा क्षेत्र की स्थापना 2008 में हुई और यहां हर पांच साल में विधायक बदलते रहे हैं.
- जदयू के राम विलास कामत ने 14 अक्टूबर को पिपरा से नामांकन पर्चा दाखिल कर चुनावी मैदान में कदम रखा है.
Bihar Assembly Elections 2025: बिहार में दो चरण में विधानसभा चुनाव होना है. इसके लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है. राज्य में 6 और 11 नवंबर को मतदान होगी. वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी. सुपौल जिले में बिहार के दूसरे चरण में मतदान होना है. सुपौल के पिपरा विधानसभा क्षेत्र से14 अक्टूबर को जदयू उम्मीदवार राम विलास कामत ने नामांकन पर्चा दाखिल किया है. सुपौल जिले में स्थित पिपरा विधानसभा क्षेत्र राज्य की राजनीति के लिए काफी अहम मानी जाती है. इस सीट की अहमियत इस बात से लगाई जा सकती है कि यहां JDU की मजबूत स्थिति के बावजूद विपक्ष का भी दबदबा रहा है.
पिपरा का राजनीतिक इतिहास
बिहार में 2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई. 2010 में इस सीट पर पहली बार विधानसभा चुनाव हुए और उस दौरान जदयू की सुजाता देवी ने 14,686 वोटों से जीत हासिल की. हालांकि, 2015 के चुनाव में यह सीट जदयू के हाथों से निकल गई और राजद के यदुवंश कुमार यादव ने भाजपा के विश्व मोहन कुमार को 36,369 वोटों से मात दी. 2020 में फिर से यहां परिवर्तन हुआ और जदयू ने जीत दर्ज की. 2020 में यहां से जदयू के रामविलास कामत ने जीत हासिल की थी. उन्होंने राजद के विश्ममोहन कुमार को हराया था.
पिपरा में हर 5 साल पर बदल जाते विधायक
पिपरा के चुनावी इतिहास को देखें तो यह पता चलता है यहां के लोग हर 5 साल में विधायक बदल देते हैं. 2010 में यहां जदयू की सुजाता देवी विधायक बनीं. लेकिन 2015 में लोगों ने राजद के यदुवंश कुमार यादव को जिताया. फिर 2020 में लोगों ने जदयू रामविलास कामत को जिताया. अब देखना है कि इस बार लोग फिर विधायक बदलते है या फिर रामविलास कामत परंपरा को तोड़ने में सफल हो पाते हैं.
जदयू से सीटिंग विधायक रामविलास कामत ने पर्चा दाखिल कर दिया है.
इस बार पिपरा में जदयू ने तोड़ी पुरानी परिपाटी
2025 से पहले तक पिपरा की राजनीति में एक खास बात यह रही कि कोई भी पार्टी लगातार तीन चुनावों में एक ही उम्मीदवार को टिकट नहीं दे पाई है. पिछले तीन चुनावों में पार्टी के साथ-साथ जीतने वाला उम्मीदवार भी अलग ही रहा है. लेकिन इस बार यह परिपाटी टूटी है. जदयू ने सीटिंग विधायक राम विलास कामत को फिर से चुनावी मैदान में उतारा है.
सुरसार नदी के किनारे बसा है पिपरा विधानसभा क्षेत्र
पिपरा विधानसभा क्षेत्र सुरसार नदी के तट पर स्थित है, जिसके कारण यहाँ साल बाढ़ का खतरा बना रहता है.यह नदी जहां कृषि के लिए उपजाऊ भूमि प्रदान करती है, वहीं बाढ़ के रूप में तबाही भी लाती है. इसके बावजूद, यहां धान,गेहूं, मक्का और जूट जैसी फसलों की बड़े पैमाने पर खेती होती है, जो स्थानीय अर्थव्यवस्था का आधार है. हालांकि, क्षेत्र की भौगोलिक-आर्थिक स्थिति और बुनियादी ढांचे की चुनौतियां इसे विकास में पीछे रखती हैं.
पिपरा विधानसभा क्षेत्र के चुनावी मुद्दें
सड़क, बिजली और स्वच्छ पेयजल जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी भी यहां के निवासियों के लिए बड़ी समस्या है. कृषि-आधारित उद्योगों की कमी और स्थानीय स्तर पर रोजगार के सीमित अवसरों के कारण युवाओं का पलायन एक गंभीर मुद्दा बना हुआ है. सुपौल जिला मुख्यालय से करीब 20 किमी पूर्व में स्थित पिपरा के आसपास के प्रमुख क्षेत्रों में सिंहेश्वर स्थान(22 किमी) मधेपुरा (30 किमी), सहरसा (50 किमी), बनमंखी (60 किमी), और पूर्णिया (100किमी) शामिल हैं.
करीब 2.90 लाख वोटर, मुस्लिम और अनूसूचित जाति के वोटर अधिक
चुनाव आयोग के अनुसार, 2020 के विधानसभा चुनाव में पिपरा में 2,89,160 रजिस्टर्ड मतदाता थे, जिनमें 16.70 प्रतिशत मुस्लिम और 14.65 प्रतिशत अनुसूचित जाति के मतदाता शामिल थे. इसके अलावा, यादव मतदाता भी क्षेत्र में बड़ी संख्या में हैं, जो चुनाव में निर्णायक भूमिका निभाते हैं. पिपरा में जदयू की मजबूत पकड़ के बावजूद आगामी बिहार विधानसभा चुनाव में राजद-नेतृत्व वाले विपक्षी गठबंधन से उन्हें कड़ी चुनौती मिलने की उम्मीद है.
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(सुपौल से अभिषेक मिश्रा की रिपोर्ट)