बिहार चुनाव 2025: तारापुर विधानसभा सीट से दिग्गज बीजेपी नेता सम्राट चौधरी की जीत

2021 के उपचुनाव समेत दो इलेक्शन में जदयू और राजद के बीच जीत का अंतर करीब 2 से 4 प्रतिशत रहा है.इस सीट पर 2010 के बाद से जदयू का कब्जा रहा है.

विज्ञापन
Read Time: 3 mins
फटाफट पढ़ें
Summary is AI-generated, newsroom-reviewed
  • तारापुर विधानसभा क्षेत्र में आठ ग्राम पंचायतें शामिल हैं और यह जमुई लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है
  • यहां की राजनीति में कुशवाहा समुदाय का प्रभाव प्रमुख है और अधिकांश विधायक इसी जाति के रहे हैं
  • इस बार ये सीट एनडीए गठबंधन में जदयू के पास से बीजेपी के हिस्से में आ गई है
क्या हमारी AI समरी आपके लिए उपयोगी रही?
हमें बताएं।
तारापुर:

बिहार की तारापुर सीट से बीजेपी नेता सम्राट चौधरी ने शानदार जीत हासिल की. इस सीट पर 122480 वोट हासिल किए. वहीं दूसरे नंबर पर आरजेडी के अरूण कुमार रहे, जिन्हें 76637 वोट मिले. बिहार के मुंगेर जिले का एक प्रमुख अनुमंडल स्तरीय कस्बा तारापुर इतिहास, संस्कृति, आस्था और राजनीति के कई रंगों को समेटे हुए है. तारापुर विधानसभा क्षेत्र जमुई लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है. तारापुर विधानसभा क्षेत्र में असरगंज, टेटिहा बम्बर, संग्रामपुर और खड़गपुर ब्लॉक की आठ ग्राम पंचायतें शामिल हैं.1951 में स्थापित इस क्षेत्र ने 19 बार विधायक चुने हैं, जिनमें दो उपचुनाव शामिल हैं. इस क्षेत्र की राजनीतिक विशेषता यहां की ओबीसी आबादी, खासकर कुशवाहा समुदाय का प्रभाव है.यहां से चुने गए अधिकांश विधायक इसी जाति से रहे हैं, चाहे वे किसी भी राजनीतिक दल से जुड़े हों.

कांग्रेस ने पांच, जदयू ने छह (दो बार समता पार्टी के रूप में) और आरजेडी ने तीन बार जीत हासिल की.अन्य दलों जैसे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी, शोषित दल, जनता पार्टी, सीपीआई और एक निर्दलीय ने भी एक-एक बार जीत दर्ज की. तारापुर विधानसभा सीट पर बीजेपी के कैंडिडेट उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी का सीधा मुकाबला राजद के अरुण कुमार साह से था. जिसमें बाजी सम्राट चौधरी के हाथ लगी. इस सीट पर 2010 के बाद से जदयू का कब्जा रहा है. तारापुर की पहचान दो महत्वपूर्ण, लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं से जुड़ी है.पहली घटना 15 फरवरी 1932 की है, जब झंडा सत्याग्रह के दौरान लगभग 4,000 स्वतंत्रता सेनानी स्थानीय थाने पर इकट्ठा हुए थे.इस दौरान ब्रिटिश पुलिस ने गोलीबारी की, जिसमें 34 लोग शहीद हो गए.इसे जलियांवाला बाग के बाद दूसरा सबसे बड़ा ब्रिटिश नरसंहार माना जाता है, फिर भी यह इतिहास के पन्नों में उपेक्षित रहा.

2022 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस दिन को 'शहीद दिवस' के रूप में मनाने की घोषणा की, जिससे यह बलिदान राष्ट्रीय पटल पर सामने आया. दूसरी बड़ी घटना 1995 के विधानसभा चुनाव के दौरान हुई, जब कांग्रेस प्रत्याशी सचिदानंद सिंह और उनके समर्थकों पर ग्रेनेड से हमला किया गया.घायल सचिदानंद सिंह को अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वहां एक दूसरे हमले में उनकी मृत्यु हो गई.इस हिंसा में कुल नौ लोगों की जान गई.33 अभियुक्तों में शामिल समता पार्टी नेता शकुनि चौधरी ने इस सीट से चुनाव भी जीता.

तारापुर धार्मिक और सांस्कृतिक रूप से भी अत्यंत समृद्ध है.श्रावण मास के दौरान सुल्तानगंज से गंगाजल लेकर देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम तक कांवरियों का जत्था 100 किलोमीटर पैदल यात्रा करता है, जिसका प्रमुख रास्ता तारापुर से होकर गुजरता है.इस दौरान तारापुर क्षेत्र में श्रावणी मेला जैसा वातावरण बन जाता है.तेलडीहा भगवती मंदिर कांवड़िया परिपथ का एक प्रमुख पड़ाव है, जहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है.

तारापुर विधानसभा क्षेत्र में उल्टा स्थान महादेव मंदिर बेहद प्रसिद्ध है.मंदिर में दर्शनार्थियों की लंबी कतारें लगी रहती हैं.इस प्राचीन शिव मंदिर की स्थापना 750 ईस्वी में पाल वंश के राजा ने की थी.यहां भगवान शिव की प्रतिमा पूरब और माता पार्वती की प्रतिमा पश्चिम की ओर स्थापित है, जो इसे अन्य मंदिरों से अलग बनाती है.मंदिर में स्थापित पंचमुखी शिवलिंग और 90 दिनों तक जलभराव की रहस्यमयी घटना इसे और भी खास बनाती है.

तारापुर के रणगांव में रत्नेश्वरनाथ महादेव मंदिर स्थित है.इसे लोग 'छोटा देवघर' भी कहते हैं.मान्यता है कि यह मंदिर देवघर से भी पुराना है और यहां के पत्थरों में बाबाधाम से समानता पाई जाती है.

Advertisement
Featured Video Of The Day
Mohibbullah Nadvi ने संसद में दिया विवादित बयान "जुल्म के खिलाफ जिहाद करना पड़ेगा", मदनी की तारीफ की
Topics mentioned in this article